स्पैनिश नेशनल रिसर्च काउंसिल की पुरातत्वविद हाला अलाराशी और उनकी टीम को वर्ष 2018 में पेट्रा (जॉर्डन) से उत्तर में कई मील दूर बाजा नामक एक प्राचीन बस्ती में लगभग 9000 साल पुरानी एक छोटी, पत्थर से बनी कब्र के अंदर एक बच्चे का कंकाल भ्रूण जैसी मुद्रा में दफन मिला था। इसी के साथ दफन थी मनकों से बनी एक माला जो इस कंकाल की गर्दन पर पहनाई गई थी। हालांकि यह माला बिखरे हुए मनकों के ढेर के रूप में मिली थी लेकिन वैज्ञानिकों ने इन्हें सावधानी से समेटा और वैसा का वैसा पुनर्निर्मित किया। अब, प्लॉस वन में प्रकाशित विश्लेषण बताता है कि प्राचीन लोग किस तरह अपने मृतकों की परवाह करते थे। इसके अलावा यह खेती और बड़े समाजों में बसने से समुदायों में उस समय उभर रहे कुलीन वर्ग के बारे में भी बताता है। फिलहाल यह माला पेट्रा संग्रहालय में रखी गई है।
शोधकर्ताओं ने इस स्थल पर पाई गई कलाकृतियों की तुलना अन्य नवपाषाण स्थलों पर खोजी गई कलाकृतियों से करके यह पता लगाया था कि यह स्थल कितना पुराना है। फिर ल्यूमिनेसेंस डेटिंग तकनीक से इसके काल की पुष्टि की। ल्यूमिनेसेंस डेटिंग यह मापता है कि कोई तलछट कितने समय पहले आखिरी बार प्रकाश के संपर्क में आई थी। पाया गया कि यह कंकाल लगभग 7000 ईसा पूर्व नवपाषाण काल का था। इसी समय कई संस्कृतियां खेती करना, मवेशी-जानवर पालना और बड़े व जटिल समाजों में बसना शुरू कर रही थीं। इस गांव के निवासी भी गेहूं की खेती करते थे और भेड़-बकरियां पालते थे। हालांकि शोधकर्ता पुख्ता तौर पर माला पहने कंकाल के लिंग का पता तो नहीं कर पाए हैं, लेकिन कुछ हड्डियों के आकार को देखकर अनुमान है कि वह एक लड़की थी। शोधकर्ताओं ने उसका नाम जमीला रखा है, जिसका अर्थ है ‘सुंदर’।
अलाराशी बताती हैं कि हालांकि अन्य भूमध्यसागरीय खुदाई स्थलों पर भी नवपाषाण काल और उससे पूर्व के आभूषण (जैसे पत्थर की अंगूठियां व कंगन) मिलते हैं लेकिन ये आभूषण बाजा में मिली माला जितने बड़े नहीं हैं। अब तक खोजे गए नवपाषाणकालीन आभूषणों में सबसे प्राचीन और सबसे प्रभावशाली आभूषणों में से एक इस माला में 2500 मनके थे जो पत्थर, सीप और अश्मीभूत गोंद (एम्बर) के थे। ये मनके नौ लड़ियों में पिरोए हुए थे जो माला के ऊपरी ओर हेमेटाइट के पेंडल से बंधी थीं। नीचे की ओर, बाहरी सात लड़ियां एक छल्ले जैसे नक्काशीदार पेंडल से जुड़ी थीं और अंदरूनी दो लड़ियां बिना पेंडल के थीं।
वे आगे बताती हैं कि खुदाई से जब माला के सभी हिस्सों को खोदकर निकाल लिया गया तो उसे वापस बनाना एक कठिन काम था। अधिकांश मनके जमीला की गर्दन और कंधों के पास मिले थे, और कुछ मनके लड़ी की तरह कतार में पड़े थे, जिससे लगता था कि वे एक बड़ी माला के हिस्से थे। मनकों की कुछ अक्षुण्ण कतारों की सावधानीपूर्वक जांच करके अलाराशी ने इसके समग्र पैटर्न का अनुमान लगाया। और थोड़ा अपने हिसाब से अंदाज़ा लगाया कि माला कैसी रही होगी: उनका तर्क है कि हेमेटाइट पेंडेंट और छल्ले को माला में प्रमुख स्थान पर रखा गया होगा।
माला के अधिकांश मनके बलुआ पत्थर से बने थे, जो बाजा में आसानी से उपलब्ध थे। लेकिन अन्य मनके जैसे फिरोज़ा और एम्बर दूर से मंगाए गए थे। माला का केन्द्रीय हिस्सा यानी छल्ला एक विशाल मोती सीप से बनाया गया था, जो कई किलोमीटर दूर लाल सागर से आई थी।
अलाराशी का कहना है कि समुदायों के खेती करने और बड़े समाज में बसना शुरू करने से उन समुदायों में विशेष स्थिति वाले लोग उभरे। माला से पता चलता है कि जमीला को उच्च दर्जा प्राप्त था – हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उसे यह विशेषाधिकार क्यों प्राप्त था। और, उसको दफनाना एक सामुदायिक कार्यक्रम रहा होगा जिसने सामुदायिक बंधनों को मज़बूत किया होगा।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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