हम अनाज को सड़ने से बचाने या चूहों या अन्य किसी के हाथ लगने से सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के उपाय अपनाते हैं। ऐसा ही काम कुछ गिलहरियां भी करती पाई गई हैं।
जब शोधकर्ता दक्षिणी चीन के वर्षावनों में पेड़-पौधों की विविधता का सर्वेक्षण कर रहे थे तब उन्हें पौधों पर उन जगहों पर फलों की गिरियां मिलीं जहां शाखाएं दो भागों में बंट रही थीं। शाख पर बनाए गए खांचों में ये गिरियां इतनी मज़बूती से फंसी थीं कि पेड़ को ज़ोर से हिलाने पर भी वे नहीं गिरीं। लेकिन इस बात का कोई सुराग नहीं था कि ये गिरियां वहां पहुंची कैसे। खुलासा तो तब हुआ जब वहां मोशन कैमरे लगाए गए। पता चला कि यह करतूत गिलहरियों की थी।
रिकॉर्डिंग्स में शोधकर्ताओं को दो प्रजातियों की उड़न गिलहरियां नज़र आईं। ये छोटी, निशाचर होती हैं और प्राकृतिक परिस्थिति में इनका अध्ययन मुश्किल होता है। रिकॉर्डिंग में दिखा कि ये उन गिरियों को निकालकर खा रही हैं और अपने दांतों की मदद से गिरियों को शाखाओं में फंसाने के लिए कुंडलीदार खांचे बना रही थीं। कुछ उस्ताद गिलहरियां तो वापस आकर अपने द्वारा फंसाई गई गिरियों को और मज़बूती देने का काम करती हैं। इस तरह इन गिलहरियों की गिरियां अन्य प्रतिस्पर्धी गिलहरियों की पहुंच से दूर रहती हैं, और संभवत: वर्षावन की नम भूमि में गिरकर मिट्टी में सड़कर गल जाने से भी बची रहती हैं।
गिलहरियों के भोजन को सुरक्षित रखने के अलावा उनका यह व्यवहार वर्षावन को आकार देने में मदद कर सकता है। हो सकता है पेड़ फंसी गिरियां कभी पौधों के लिए बीज का काम भी कर देती हों। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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