हाल ही में इस्रायली संसद द्वारा देश के धार्मिक स्कूलों का बजट बढ़ाने का निर्णय काफी चर्चा में है। चूंकि इन स्कूलों में विज्ञान और गणित विषय नहीं पढ़ाए जाते इसलिए शोध समुदाय का मानना है कि इस कदम से देश के युवा आवश्यक तकनीकी ज्ञान और कौशल प्राप्त नहीं कर पाएंगे जिसके बिना वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस्राइल की हिस्सेदारी कम होने की आशंका रहेगी।
वर्तमान में इस्राइल में अति-रूढ़िवादी हरेदी (यहूदी) समुदाय की जनसंख्या लगभग 13 प्रतिशत है। लेकिन हरेदी स्कूलों में लगभग 26 प्रतिशत यहूदी छात्र और कुल इस्राइली छात्रों में से 20 प्रतिशत पढ़ते हैं। सरकार द्वारा वित्तपोषित इन स्कूलों में विशेष रूप से लड़कों को ताउम्र यहूदी धर्म ग्रंथ और कानून पढ़ने के लिए तैयार किया जाता है। इनमें से अधिकांश लड़के कभी भी धर्मनिरपेक्ष विषयों का अध्ययन नहीं करते हैं। हालांकि, हरेदी लड़कियों को राज्य-अनुमोदित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। इसमें धर्मनिरपेक्ष विषय होते हैं लेकिन गैर-हरेदी छात्राओं को पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम की तुलना में यह काफी निम्न स्तर का है।
हरेदी शिक्षा के समर्थकों का मत है कि ये स्कूल बौद्धिक रूप मज़बूत लोगों को तैयार करते हैं जो विश्व में यहूदी पहचान को मज़बूत करने का पवित्र दायित्व निभाते हैं। दूसरी ओर, आलोचकों के अनुसार इन स्कूलों से हरेदी समुदाय में गरीबी और बेरोज़गारी दर में वृद्धि होती रही है। वर्तमान में हरेदी समुदाय के लगभग आधे पुरुष बेरोज़गार हैं। इसके साथ ही गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी में इस्रायली छात्रों की औसत दक्षता अन्य विकसित देशों के औसत से काफी नीचे है। ऐसे में सरकार का यह निर्णय इस्राइल को तीसरी दुनिया की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर ले जाएगा।
पूर्व में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू हरेदी स्कूलों में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी सहित धर्मनिरपेक्ष विषयों को पढ़ाने की इच्छा तो ज़ाहिर कर चुके हैं लेकिन गठबंधन सरकार (जिसमें धार्मिक कट्टरपंथी और राष्ट्रवादी दल शामिल है) के दबाव के कारण बजट प्रस्ताव में ऐसी कोई शर्त शामिल नहीं की जा सकी है।
अलबत्ता, कुछ विज्ञान और प्रौद्योगिकी समर्थकों द्वारा हरेदी स्कूलों से उत्तीर्ण छात्रों को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करने के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। 2021-22 के दौरान 5000 से अधिक हरेदी छात्रों को हाई स्कूल के बाद तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में दाखिला दिया गया है। इसके साथ ही लगभग 15,600 छात्रों ने कॉलेज डिग्री प्राप्त की है। बुनियादी धर्मनिरपेक्ष शिक्षा न मिलने के कारण हरेदी हाई स्कूल के छात्रों की गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी में पकड़ कमज़ोर होती है लेकिन उनकी कठोर धार्मिक शिक्षा में उन्हें रटना और विश्लेषण करना होता है जिससे उनमें ‘कैसे सीखें’ की समझ विकसित होती है। यह उनकी शैक्षिक खाई को पाटने का रास्ता बन सकती है। लेकिन स्पष्ट रूप से खाई तो है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adj5135/abs/_20230630_nid_israel_ultra_orthodox_school_new.jpg