इन दिनों बाज़ार में कई सौंदर्य उत्पाद और मेकअप तकनीकें आ गई हैं। इसमें हाथों और नाखूनों को सुंदर बनाने के लिए जेल मैनीक्योर काफी प्रचलन में है। आम तौर पर जेल मैनीक्योर से कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या नहीं होती है, लेकिन कुछ लोगों को जीवनभर के लिए विभिन्न चिकित्सीय उपकरणों से या दांतों के मसाले वगैरह से एलर्जी हो सकती है। जेल मैनीक्योर या पेडीक्योर से होने वाली एलर्जी हाथों, उंगलियों या कलाई पर अधिक होती है। त्वचा लाल पड़ सकती है, लोंदे बन सकते हैं, पपड़ियां बन सकती हैं और खुजली हो सकती है। चेहरा, गर्दन और पलकें भी प्रभावित होती हैं जिन्हें हम अक्सर छूते हैं। एलर्जी पैर की उंगलियों या पैरों पर भी हो सकती है। एलर्जी के चलते नाखून टूटकर गिर भी सकते हैं। गंभीर मामलों में उच्च मात्रा में इसके उपयोग से व्यक्तियों को सांस लेने में समस्या हो सकती है। ऐसे में मैनीक्योर का काम करने वाले लोगों को श्वसन सम्बंधी प्रभावों का अधिक जोखिम रहता है।
मैनीक्योर में उपयोग की जाने वाली जेल को सुखाने व कठोर बनाने के लिए पराबैंगनी या एलईडी प्रकाश से संपर्क ज़रूरी होता है। नेल पॉलिश के मुकाबले यह जल्दी सूखती है और लंबे समय तक टिकती है। हालिया अध्ययन बताता है कि नेल ड्रायर्स का पराबैंगनी प्रकाश जेनेटिक उत्परिवर्तन का कारण बन सकता है और कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है।
दरअसल, इस प्रक्रिया में नाखूनों पर एक्रिलेट पाउडर का लेप लगाया जाता है और फिर नाखूनों को प्रकाश स्रोत के नीचे रखते हैं। ये एक्रिलेट्स एलर्जी शुरू कर सकते हैं। अमेरिकी खाद्य व औषधि प्रशासन ने कई एक्रिलेट्स पर प्रतिबंध लगाया है लेकिन कई अभी भी नाखून सम्बंधित सौंदर्य उत्पादों में उपयोग होते हैं।
यह तो पता नहीं है कि ऐसी एलर्जी कितने लोगों को होती है लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि अधिक बार मैनीक्योर करवाने से एलर्जी की संभावना बढ़ती है। इसके उपचार के रूप में विशेषज्ञ नाखूनों को हटाने के अलावा स्थानीय स्टेरॉयड से इलाज करने की सलाह देते हैं।
कई मामलों में तो यह एक जीवनभर की समस्या भी बन सकती है। यह मुख्य रूप से बड़ी समस्या इसलिए भी है कि इसमें उपयोग किया जाने वाला रसायन दंत चिकित्सा, प्रोस्थेटिक्स और मधुमेह सम्बंधी उपकरणों में भी उपयोग होता है। कुछ सावधानी बरतकर इस समस्या को कम किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञ घर पर जेल नेल किट के इस्तेमाल की मनाही करते हैं और प्रशिक्षित पेशेवरों द्वारा ही इस प्रक्रिया को कराने का सुझाव देते हैं। और तकनीशियनों को नाइट्राइल दस्ताने पहनने की सलाह दी जाती है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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