आजकल ऑर्गेनॉइड्स (अंगाभ) अनुसंधान की एक प्रमुख धारा है। ऑर्गेनॉइड का मतलब होता है ऊतकों का कृत्रिम रूप से तैयार किया गया एक ऐसा पिंड जो किसी अंग की तरह काम करे। विभिन्न प्रयोगशालाओं में विभिन्न अंगों के अंगाभ बनाने के प्रयास चल रहे हैं। इन्हीं में से एक है मस्तिष्क अंगाभ।
सेल स्टेम सेल नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया है कि पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मानव मस्तिष्क अंगाभ को चूहे के क्षतिग्रस्त मस्तिष्क में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर दिया है। और तो और, अंगाभ ने शेष मस्तिष्क के साथ कड़ियां भी जोड़ लीं और प्रकाश उद्दीपन पर प्रतिक्रिया भी दी।
शोध समुदाय में इसे एक महत्वपूर्ण अपलब्धि माना जा रहा है क्योंकि अन्य अंगों की तुलना में मस्तिष्क कहीं अधिक जटिल अंग है जिसमें तमाम कड़ियां जुड़ी होती हैं। इससे पहले मस्तिष्क अंगाभ को शिशु चूहों में ही प्रत्यारोपित किया गया था; मनुष्यों की बात तो दूर, वयस्क चूहों पर भी प्रयोग नहीं हुए थे।
वर्तमान प्रयोग में पेनसिल्वेनिया की टीम ने कुछ वयस्क चूहों के मस्तिष्क के विज़ुअल कॉर्टेक्स नामक हिस्से का एक छोटा सा भाग निकाल दिया। फिर इस खाली जगह में मानव मस्तिष्क कोशिकाओं से बना अंगाभ डाल दिया। यह अंगाभ रेत के एक दाने के आकार का था। अगले तीन महीनों तक इन चूहों के मस्तिष्क की जांच की गई।
जैसी कि उम्मीद थी प्रत्यारोपित अंगाभों में 82 प्रतिशत पूरे प्रयोग की अवधि में जीवित रहे। पहले महीने में ही स्पष्ट हो गया था कि चूहों के मस्तिष्कों में इन अंगाभों को रक्त संचार में जोड़ लिया गया था और जीवित अंगाभ चूहों के दृष्टि तंत्र में एकाकार हो गए थे। यह भी देखा गया कि अंगाभों की तंत्रिका कोशिकाओं और चूहों की आंखों के बीच कनेक्शन भी बन गए थे। यानी कम से कम संरचना के लिहाज़ से तो अंगाभ काम करने लगे थे। इससे भी आगे बढ़कर, जब शोधकर्ताओं ने इन चूहों की आंखों पर रोशनी चमकाई तो अंगाभ की तंत्रिकाओं में सक्रियता देखी गई। अर्थात अंगाभ कार्य की दृष्टि से भी सफल रहा था। लेकिन फिलहाल पूरा मामला मनुष्यों में परीक्षण से बहुत दूर है हालांकि यह सफलता आगे के लिए आशा जगाती है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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