आज पूरी दुनिया ऊर्जा संकट के दौर से गुजर रही है। परंपरागत ऊर्जा स्रोत और गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को लेकर समय-समय पर विश्व स्तर पर ज़रूरी नियम बनाए जाते रहते हैं और उनका पालन कराने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास भी होता रहता है। इसी संदर्भ में एक महत्वपूर्ण खबर आई है कि अब रेलवे पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की तैयारी की जा रही है ताकि बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पन्न की जा सके और इस परियोजना को पूरे विश्व में लागू किया जा सके। इस नवोन्मेषी परियोजना का संचालन स्विट्ज़रलैण्ड की कंपनी सन-वेज़ द्वारा किया जा रहा है। कंपनी ने एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जिसके माध्यम से पटरियों के बीच निश्चित आकार के सोलर पैनल लगाने का काम किया जाएगा। पटरियों के बीच की चौड़ाई के हिसाब से एक मीटर चौड़े पैनल को पिस्टन तंत्र का उपयोग कर लगाया जाएगा।
कंपनी का दावा है कि पैनल को पटरियों के बीच लगाने से रेल गाड़ियों के संचालन में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। इनमें विशेष प्रकार के एंटी-रिफ्लेक्शन फिल्टर का प्रयोग होगा ताकि ट्रेन चलाने वाले ड्राइवरों को पैनल के रिफ्लेक्शन की वजह से किसी प्रकार की परेशानी न हो।
वर्तमान में स्विटज़रलैण्ड के बट्स रेलवे स्टेशन की पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। इसकी सफलता के बाद, स्विट्ज़रलैण्ड के कुल 5317 किलोमीटर लंबे रेलवे नेटवर्क में इसे बिछाने की योजना है। कंपनी का अनुमान है कि इन सोलर पैनलों के द्वारा वार्षिक तौर पर 1 टेरावॉट प्रति घंटा सौर ऊर्जा उत्पन्न की जा सकेगी और स्विट्ज़रलैण्ड की वार्षिक ऊर्जा खपत का 2 प्रतिशत उत्पन्न किया जा सकेगा।
आवश्यकता होने पर सोलर पैनल को वापस बिना किसी असुविधा के निकाला जा सकेगा।
सन-वेज़ कंपनी ने आगामी सालों में जर्मनी, ऑस्ट्रिया, इटली, अमेरिका और एशियाई देशों में परियोजना को संचालित करने का लक्ष्य रखा है। भारत सहित जिन देशों में बड़े स्तर पर रेलवे नेटवर्क हैं, उनके लिए यह परियोजना बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि अब तक रेलवे ट्रैक के बीच खाली पड़ी जगह का कोई उपयोग नहीं हो रहा था। इस परियोजना की सफलता के बाद सौर ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर सकारात्मक परिवर्तन आने की उम्मीद है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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