हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए कीटनाशक मिश्रण से उपचारित मच्छरदानी के उपयोग का अनुमोदन किया है। इस नई मच्छरदानी में ऐसे दो रसायनों का उपयोग किया गया है जो मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को अधिक प्रभावी ढंग से खत्म करने में सक्षम हैं। जल्दी ही यह उपचारित मच्छरदानी उप-सहारा अफ्रीका में व्यापक रूप से उपलब्ध हो जाएगी जहां पिछले वर्ष मलेरिया से 6 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी का डबल फायदा है। इसके अंदर सोता व्यक्ति तो सुरक्षित रहता ही है, इस पर बैठने वाले मच्छरों का भी खात्मा हो जाता है। 2000 से 2015 के बीच मलेरिया के प्रकोप में 40 प्रतिशत गिरावट का श्रेय उपचारित मच्छरदानियों को जाता है।
लेकिन मच्छर इनमें प्रयुक्त पाएरेथ्रॉइड नामक कीटनाशक के प्रतिरोधी हो चले थे। नई अनुमोदित मच्छरदानी में पाएरेथ्रॉइड के साथ क्लोरफेनापिर का उपयोग किया गया है। क्लोरफेनापिर मच्छरों के माइटोकॉन्ड्रिया को निशाना बनाता है जिसके चलते मांसपेशियों में मरोड़ पैदा होती है और मच्छर हिलडुल या उड़ नहीं पाते हैं।
वैसे पिछले वर्ष भी WHO ने एक नए प्रकार की मच्छरदानी को सीमित स्वीकृति प्रदान की थी। इस मच्छरदानी में पाएरेथ्रॉइड के साथ पीबीओ का उपयोग किया गया था जो मच्छरों की पाइरेथ्रॉइड का विघटन करने की क्षमता को खत्म करता है। ये केवल-पाइरेथ्रॉइड मच्छरदानी की तुलना में काफी महंगी थीं और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि इनके उपयोग से मलेरिया के प्रकोप में कमी से जितना फायदा होता है वह इनकी लागत के हिसाब से कम है।
क्लोरफेनापिर ने इस समस्या को दूर कर दिया है। तंज़ानिया और बेनिन में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि नई मच्छरदानियों के उपयोग से बच्चों में मलेरिया का प्रकोप लगभग आधा रह गया। अर्थात इन मच्छरदानी के उपयोग में होना वाला खर्च मलेरिया उपचार की लागत से काफी कम साबित हुआ जो WHO द्वारा अनुमोदन के लिए पर्याप्त कारण था।
गौरतलब है कि क्लोरफेनापिर का उपयोग सबसे पहले अमेरिका में वर्ष 2001 में गैर-खाद्य फसलों के लिए ग्रीनहाउसों में किया गया था। पक्षियों और जलीय जीवों में विषाक्तता के कारण खेतों पर इसके छिड़काव पर प्रतिबंध है। चूंकि इस मच्छरदानी का उपयोग घर के अंदर किया जा रहा है और व्यापक पर्यावरण से इसका सीमित संपर्क है इसलिए पर्यावरण की दृष्टि से इसे सुरक्षित माना जा रहा है।
विशेषज्ञों की चेतावनी है कि देर सबेर मच्छरों में क्लोरफेनापिर के खिलाफ भी प्रतिरोध उभरना तय है। इसलिए प्रतिरोध पैदा होने की रफ्तार को धीमा करने की तकनीकें विकसित करना महत्वपूर्ण होगा। इसके लिए नई मच्छरदानियों के साथ-साथ घरों में अंदर कीटनाशक छिड़काव या कुछ वर्षों के लिए पाइरेथ्रॉइड-पीबीओ मच्छरदानियों का उपयोग भी करते रहना ठीक होगा। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adh8127/abs/_20230314_on_who_bednet_guidelines.jpg