फिंगरप्रिंट, नाम तो सुना ही होगा। मनुष्यों और पेड़ों पर चढ़ने वाले कुछ जंतुओं की उंगलियों के सिरों पर जो धारियां पाई जाती हैं, उन्हीं के विन्यास को फिंगरप्रिंट कहते हैं। ये फिंगरप्रिंट किसी चीज़ पर पकड़ को बेहतर बनाते हैं और चीज़ों के चिकने-खुरदरेपन को भांपने में भी मदद करते हैं।
यह तो आम जानकारी है कि किन्हीं भी दो व्यक्तियों के फिंगरप्रिंट एक समान नहीं होते। लेकिन यह बात शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि हूबहू एक-समान जुड़वां व्यक्तियों के फिंगरप्रिंट भी अलग-अलग होते हैं। तो ऐसा क्यों है? सवाल का जवाब इस सवाल में छिपा है कि फिंगरप्रिंट बनते कैसे हैं।
एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि तीन प्रकार के संकेतक अणु और उंगलियों की आकृतियों में और त्वचा की वृद्धि में बारीक अंतर मिलकर इस विशिष्ट पैटर्न को पैदा करते हैं।
फिंगरप्रिंट का निर्माण भ्रूणावस्था में काफी जल्दी (गर्भ ठहरने के करीब तेरहवें हफ्ते में) शुरू हो जाता है। सबसे पहले उंगली के सिरे पर धसानें बनती हैं। ये धसानें ही आगे चलकर तीन मुख्य पैटर्न का रूप ले लेती हैं – चक्र, शंख, और मेहराब।
वैज्ञानिकों ने कई जीन्स की पहचान की है जो पैटर्न निर्माण को प्रभावित करते हैं। लेकिन यह रहस्य ही रहा है कि ये जीन किसी तरह की जैव-रासायनिक क्रियाओं के ज़रिए इस पैटर्न का निर्धारण करते हैं। और अब इसे समझने की कोशिश में एडिनबरा विश्वविद्यालय के डेनिस हेडन ने मनुष्य की भ्रूणीय उंगली के सिरों की कोशिकाओं के केंद्रकों में उपस्थित आरएनए का अनुक्रमण किया है। वे जानना चाहते थे कि विकास के दौरान वहां कौन-से जीन्स अभिव्यक्त होते हैं। इन जीन्स ने तीन संकेत क्रियापथ उजागर किए। संकेत क्रियापथ उन प्रोटीन्स को कहते हैं जो कोशिकाओं के बीच निर्देशों को लाते-ले जाते हैं। ये तीन क्रियापथ उंगली के छोरों पर त्वचा के विकास का निर्धारण करते हैं।
इनमें से दो संकेत क्रियापथों के लिए ज़िम्मेदार जीन्स – WNT और BMP – विकसित हो रहे उंगली के सिरों पर एकांतर पट्टियों में अभिव्यक्त होते हैं। यही पट्टियां अंतत: धसान और उभार में तबदील हो जाती हैं। तीसरा क्रियापथ – EDAR – विकासमान धसानों में बाकी दो के साथ ही अभिव्यक्त होता है।
उपरोक्त जानकारी तो मानव ऊतकों के अध्ययन से मिली थी। गौरतलब है कि ये ऊतक स्वेच्छा से गर्भपात किए गए भ्रूणों से प्राप्त किए गए थे। लेकिन वैज्ञानिक इस जानकारी की पुष्टि किसी जंतु मॉडल पर करना चाहते थे।
चूहों में भी उंगली के छोरों पर धारियों का सरल पैटर्न पाया जाता है। जब वैज्ञानिकों ने संकेत क्रियापथों का कृत्रिम रूप से दमन किया तो पता चला कि WNT और BMP क्रियापथ परस्पर विपरीत ढंग से काम करते हैं। WNT क्रियापथ कोशिका वृद्धि को बढ़ावा देता है जिसके चलते त्वचा की ऊपरी परत में उभार बनते हैं। दूसरी ओर, BMP कोशिका वृद्धि को रोकता है और इसकी वजह से नालियां बन जाती हैं। तो तीसरा क्रियापथ EDAR क्या करता है? यह क्रियापथ उभारों की साइज़ और उनके बीच की दूरी का निर्धारण करता है।
जब शोधकर्ताओं ने WNT क्रियापथ का दमन कर दिया तो उन चूहों की उंगलियों पर उभार बने ही नहीं जबकि BMP क्रियापथ को दबाने से उभार अधिक चौड़े बने। और जब EDAR को ठप कर दिया गया तो उभार व नालियां तो बनी लेकिन पट्टियों के रूप में नहीं बल्कि थेगलों के रूप में।
तो सवाल वहीं का वहीं है। हूबहू समान जुड़वां में तो जीन्स एक जैसे होते हैं। फिर पैटर्न अलग-अलग क्यों। इस संदर्भ में ट्यूरिंग पैटर्न को समझना ज़रूरी है। उक्त शोध के प्रमुख हेडन का कहना है कि परस्पर व्याप्त (ओवरलैपिंग), अलग-अलग रासायनिक क्रियाएं पेचीदा पैटर्न पैदा करती हैं। इन्हें ट्यूरिग पैटर्न कहते हैं – ऐसे पैटर्न प्रकृति में कई जगह देखने को मिलते हैं। जैसे बाघ के फर पर अलग-अलग रंग की पट्टियां, चीतों के शरीर पर धब्बे वगैरह। फिंगरप्रिंट के पैटर्न भी ट्यूरिंग पैटर्न हैं। गौरतलब है कि इन पैटर्न्स के बनने की क्रियाविधि का प्रस्ताव मशहूर कंप्यूटर वैज्ञानिक एलन ट्यूरिंग द्वारा दिया गया था।
लेकिन फिंगरप्रिंट में एक पेंच और है। हेडन की टीम ने पाया कि धारियों के विशिष्ट पैटर्न उंगलियों के आकारों में बारीक अंतरों पर भी निर्भर करते हैं। मानव भ्रूण के उतकों में उन्होंने देखा कि प्राथमिक उभार तीन स्थलों पर बनना शुरू होते हैं। भ्रूणीय उंगली की उभरी हुई मुलायम गद्दी के केंद्र में, उंगली के नाखून के नीचे वाले सिरे पर और उंगली के जोड़ पर। धारियां इन तीन स्थलों से बाहर की ओर तरंगों के रूप में फैलती हैं। हर धारी अपने से अगली धारी की स्थिति निर्धारित कर देती है।
आगे सब कुछ उंगली की रचना पर निर्भर करता है। यदि गद्दियां चौड़ी और सममित हैं और धारियां वहां पहले बनने लगें तो चक्र प्रकट होता है। लेकिन यदि गद्दियां लंबी और असममित हों, तो शंख बनेगा। तीसरी स्थिति यह हो सकती है कि गद्दी पर धारियां न बनें या देर से बनना शुरू हों तो नाखून वाले सिरे और जोड़ के किनारे से धारियां बढ़ते-बढ़ते गद्दी के मध्य में आकर मिलेंगी और मेहराब का निर्माण हो जाएगा।
फिंगरप्रिंट निर्माण का अध्ययन करते-करते शोधकर्ताओं ने पाया कि यही तीन रासायनिक संकेत – WNT, BMP, EDAR – शरीर के शेष भागों की त्वचा पर विभिन्न रचनाएं बनाने के लिए ज़िम्मेदार हैं, जिनमें बाल वगैरह भी शामिल हैं। (स्रोत फीचर्स) (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://iet-content.s3.ap-southeast-1.amazonaws.com/Daily-Edition/Fact/-/HVad783