पृथ्वी पर अतीत में अंतरिक्ष पिंडों की टक्कर और तबाही से वैज्ञानिकों को हमेशा ये चिंता रही थी कि कहीं कोई क्षुदग्रह फिर आकर न टकरा जाए। भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो इसलिए उनकी योजना है कि पृथ्वी की ओर आते हुए पिंड को टक्कर मारकर उसकी दिशा बदल दी जाए। बीते सितंबर ऐसे ही एक परीक्षण में नासा के डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (DART) अंतरिक्ष यान द्वारा एक क्षुदग्रह को टक्कर मारकर उसका मार्ग बदल दिया गया था। अब, वैज्ञानिकों ने इस टक्कर और उसके प्रभाव का विश्लेषण करके देखा है कि वास्तव में यह टक्कर कितनी सफल रही।
परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों ने डायमॉर्फोस नामक जिस क्षुद्रग्रह को चुना था वह स्वयं डायडिमॉस नामक एक बड़े क्षुदग्रह की परिक्रमा करता है। गौरतलब है कि यह क्षुदग्रह पृथ्वी के लिए न तो खतरा था, और न होगा।
पाया गया कि इस टक्कर से डायमॉर्फोस का परिक्रमा पथ छोटा हो गया है, और यह पहले की तुलना में 33 मिनट कम समय में परिक्रमा पूरी कर लेता है। इससे लगता है कि भविष्य में कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी की ओर आते हुए दिखा, तो वैज्ञानिक इसका रास्ता बदलने में सक्षम होंगे।
वैसे तो DART की सफलता की खबर पहले भी आ चुकी है; लेकिन अब, नेचर पत्रिका में प्रकाशित पांच अध्ययन इस घटना के आखिरी पलों का विस्तार से वर्णन करते हैं और बताते हैं कि इसने क्षुद्रग्रह को कैसे प्रभावित किया। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि यह परीक्षण इतना सफल क्यों रहा।
इनमें से एक अध्ययन में टक्कर से ठीक पहले अंतरिक्ष यान के रास्ते का डैटा और क्षुद्रग्रह की सतह की तस्वीरों का विश्लेषण किया गया है। टक्कर के पहले DART द्वारा ली गई छवियों में डायमॉर्फोस खुरदुरी चट्टानी खोल में लिपटे अंडे की तरह दिख रहा था। और भुरभुरा सा लग रहा था – टक्कर पर टूट जाए ऐसा।
6 किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक की रफ्तार से डायमॉर्फोस की ओर बढ़ते हुए DART यान का सौर पैनल वाला हिस्सा सबसे पहले टकराया – क्षुद्र ग्रह की एक 6.5-मीटर-चौड़ी चट्टान से। इसके चंद माइक्रोसेकंड बाद DART यान का मुख्य भाग टकराया। इस टक्कर में DART भी टुकड़े-टुकड़े हो गया।
इस टक्कर से 4.3 अरब किलोग्राम वज़नी डायमॉर्फोस से कम से कम दस लाख किलोग्राम हिस्सा टूटकर अलग हो गया था। इससे निकला मलबा क्षुदग्रह की पूंछ बनाता हुआ हज़ारों किलोमीटर दूर तक फैला था। कई दूरबीनों द्वारा मलबे की इस पूंछ गति और विकास पर नज़र रखी गई; हबल टेलीस्कॉप से तो इसकी एक अन्य पूंछ भी दिखी जो 18 दिन बाद गायब हुई।
इसके सफल होने के पीछे एक कारक यह है कि DART यान क्षुद्रग्रह के केंद्र से लगभग 25 मीटर दूरी पर टकराया था, जिससे अधिकतम प्रभाव पड़ा। दूसरा यह है कि टक्कर से निकला अधिकतर मलबा क्षुद्रग्रह से बाहर की ओर उड़ा। जिसकी प्रतिक्रिया के चलते क्षुद्रग्रह अपने परिक्रमा पथ से काफी भटक गया। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इस मलबे के धक्के से डायमॉर्फोस को DART यान की टक्कर से मिले संवेग की तुलना में 4 गुना अधिक संवेग मिला।
उम्मीद है कि भविष्य में यदि खतरा मंडराता है तो इस तकनीक को उन पर लागू किया जा सकेगा।
इसके अलावा, टक्कर से पहले, उसके दौरान और बाद में किए गए दूरबीन निरीक्षण में देखा गया कि अंतरिक्ष यान के टकराने के तुरंत बाद पिंड काफी लाल हो गया था। इसके बाद इसका रंग नीला हो गया था। यह संभवत: इसलिए हुआ होगा कि डायमॉर्फोस का काफी सारा पदार्थ बाहर फेंका गया होगा जिसके चलते उसकी अंदरूनी सतह उजागर हो गई होगी।
बहरहाल, डायमॉर्फोस और डायडिमॉस दोनों की भौतिकी, रसायन विज्ञान और भूविज्ञान के बारे में अधिक जानने के लिए शोधकर्ता DART यान के डैटा के विश्लेषण का काम जारी रखे हैं। इसमें कई शौकिया खगोलशास्त्रियों की मदद ली जा रही है। 2026 में युरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का हेरा यान डायमॉर्फोस पर पहुंचेगा। तब और भी बारीक प्रभाव देखने को मिलेंगे। इस बीच कई अन्य अध्ययनों के नतीजों का इन्तज़ार है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://media.hswstatic.com/eyJidWNrZXQiOiJjb250ZW50Lmhzd3N0YXRpYy5jb20iLCJrZXkiOiJnaWZcL25hc2EtZGFydC1pbXBhY3QuanBnIiwiZWRpdHMiOnsicmVzaXplIjp7IndpZHRoIjo4Mjh9fX0=