अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा से प्राप्त जानकारी के अनुसार इनसाइट मिशन का अंत हो गया है। यह मार्स लैंडर चार वर्षों से अधिक समय तक मंगल ग्रह पर होने वाले भूकंपों (मंगल-कंपों) की जानकारी देता रहा जिससे ग्रह की आंतरिक संरचना को समझने में काफी मदद मिली। लैंडर से आखिरी बार 15 दिसंबर, 2022 को संपर्क हुआ। दो बार संपर्क का प्रयास करने के बाद एजेंसी का ऐसा मानना है कि लैंडर की बैटरी खत्म हो गई होगी और धूल से ढंके सौर-पैनल बिजली पैदा नहीं कर पा रहे होंगे।
83 करोड़ डॉलर की लागत वाले इस मिशन का उद्देश्य मंगल के छोटे मंगलकंपों की कंपन तरंगों को रिकॉर्ड करना था। ये तरंगें ग्रह की गहराई में सीमाओं से टकराकर लैंडर पर स्थित कंपनमापी तक पहुंचती हैं। शोधकर्ताओं ने इन तरंगों के आगमन के समय में अंतर का उपयोग करते हुए ग्रह की आंतरिक तस्वीर तैयार करने की कोशिश की है।
टीम ने पाया कि मंगल ग्रह एक पतली पर्पटी, एक ठंडे मेंटल और एक बड़े कोर से निर्मित है। ग्रह के कोर में एक पिघली हुई बाहरी परत भी है।
वैसे इस मिशन में कुछ दिक्कतें भी रहीं। लैंडर में उपस्थित हीट प्रोब ग्रह की लौंदेदार मिट्टी में घुसकर अपना बिल नहीं बना पाया। लेकिन अपने पूरे जीवनकाल में लैंडर ने क्षुद्रग्रह की टक्करों सहित 1319 मंगलकंपों का पता लगाया। पिछले वर्ष मई में इसने 4.7 तीव्रता वाले सबसे विशाल मंगलकंप का पता लगाया जिसने मंगल की ऊपरी सतह को 10 घंटों तक कंपाया।
इस ज़ोरदार मंगलकंप के ठीक बाद इस मिशन ने अंत की तैयारी शुरू कर दी। बैटरी की शक्ति को बचाने के लिए लैंडर के विभिन्न हिस्सों को बंद करते हुए केवल कंपनमापी को चालू रखा गया ताकि वह लंबे समय तक चलता रहे। मिशन का अंत तो हो गया लेकिन इसने मंगल ग्रह का अंदरूनी नक्शा बनाने में बहुत मदद की है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adg4237/abs/_20221222_on_mars_insight.jpg