एक जापानी कीटविज्ञानी मिसाकी त्सूजी को जब एक नर ततैया ने डंक मारा तो वे हैरान रह गईं। क्योंकि माना जाता है कि सिर्फ मादा ततैया और मधुमक्खियां ही दर्दनाक डंक मार सकती हैं। दरअसल वे जिस अंग से डंक मारती हैं वह अंडे देने के अंग (ओविपॉज़िटर) का परिवर्तित रूप होता है। इसलिए आम तौर पर माना जाता है कि नर डंक नहीं मार सकते।
इस अनुभव के बाद जिस ततैया, एंटरहाइंचियम गिबिफ्रॉन्स, ने डंक मारा था त्सूजी ने उसका बारीकी से अवलोकन किया। करंट बायोलॉजी में वे बताती हैं कि ततैया ने डंक मारने के लिए अपने नुकीले, दो कांटों वाले जननांग का उपयोग किया था।
यह जानने के लिए कि क्या नर ततैया के छद्म डंक उन्हें उनके शिकारियों से बचाते हैं, शोधकर्ताओं ने ए. गिबिफ्रॉन्स नर ततैया को उनके शिकारी (वृक्ष मेंढक) के साथ रखा। जब-जब मेंढक ने ततैया पर हमला किया ततैया ने अपने पैने शिश्न से पलटवार किया। नतीजतन मेंढक ने लगभग एक तिहाई दफा ततैया को बाहर थूक दिया। तुलना के तौर पर जिन नर ततैया के छद्म डंक हटा दिए गए थे वे मेंढक का भोजन बन गए थे।
जीव जगत में ऐसा पहली बार देखा गया है जब नर जननांग द्वारा रक्षात्मक भूमिका निभाई जा रही हो। शोधकर्ताओं को लगता है कि इसी तरह की रणनीति अन्य ततैया में भी पाई जाती होगी। शोधकर्ता आगे इसी का अध्ययन की तैयारी में हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adg3707/abs/_20221219_on_wasp_genitalia_frog.jpg