आज से पचास साल पहले 7 दिसंबर 1972 को, अपोलो-17 में सवार अंतरिक्ष यात्रियों ने चंद्रमा की ओर जाते हुए करीब 30,000 किलोमीटर की दूरी से पृथ्वी की एक सुप्रसिद्ध तस्वीर ली थी। गौरतलब है कि अपोलो-17 मिशन यात्रियों समेत चंद्रमा पर नासा का आखिरी मिशन था। इस तस्वीर को ‘ब्लू मार्बल’ के नाम से जाना जाता है – यह तस्वीर किसी व्यक्ति द्वारा ली गई पृथ्वी की पहली पूरी तरह से स्पष्ट रंगीन तस्वीर थी।
अब, वैज्ञानिकों ने इस तस्वीर को अत्याधुनिक डिजिटल जलवायु मॉडल के परीक्षण के दौरान फिर से बनाया है। यह जलवायु मॉडल सामान्य अनुकृति मॉडल की तुलना में 100 गुना अधिक आवर्धन क्षमता, एक किलोमीटर तक की विभेदन क्षमता के साथ तूफान और समुद्री तूफान जैसी जलवायु सम्बंधी घटनाओं को दर्शा सकता है।
ब्लू मार्बल की चक्रवाती हवाओं – जिसमें हिंद महासागर पर बना एक चक्रवात भी शामिल है – को फिर से बनाने के लिए शोधकर्ताओं ने वर्ष 1972 के मौसम सम्बंधी आंकड़े सुपर कंप्यूटर-संचालित सॉफ्टवेयर में डाले। परिणामी तस्वीर में क्षेत्र की अलग-अलग विशेषताएं दिखाई दे रही थीं। जैसे कि नामीबिया के तट से उमड़ते पानी (जल उत्सरण) और लंबे, बेंतनुमा बादलों का आच्छादन।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये कलाबाज़ियां दर्शाती हैं कि उच्च-आवर्धन क्षमता वाले जलवायु मॉडल परिष्कृत होते जा रहे हैं। उम्मीद है कि ये मॉडल युरोपीय संघ के डेस्टिनेशन अर्थ प्रोजेक्ट का केंद्र बनेंगे। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य पृथ्वी की डिजिटल ‘जुड़वां पृथ्वी’ बनाना है ताकि चरम मौसम परिघटनाओं का बेहतर पूर्वानुमान किया जा सके और बेहतर तैयारी में मदद मिले। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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