लगभग 11,000 साल पहले वर्तमान के दक्षिणी तुर्की में शिकारी-संग्रहकर्ताओं ने अपनी घूमंतू जीवन शैली त्यागकर एक जगह बसना शुरू किया था। खेती शुरू होने के सदियों पहले वहां उन्होंने पत्थर के टिकाऊ घर और स्मारक बनाए थे। अब, हाल ही में खोजी गई नक्काशी इन नवपाषाण युगीन अनातोलियन लोगों की मान्यताओं, डरों और कहानियों की एक झलक पेश करती है।
सायबुर्क गांव के नीचे दफन 3.7 मीटर लंबे पत्थर के पटल पर एक जंगली सांड, गुर्राते तेंदुए और अपने शिश्न की नुमाइश करते दो मनुष्य उकेरे गए हैं। पूर्व में इसके आसपास के अन्य खुदाई स्थलों पर पुरातत्वविदों को उग्र शिकारियों और लिंग की आकृतियां मिली थीं, लेकिन ऐसा लगता नहीं था कि इनमें उकेरे गए पात्र एक-दूसरे को देख रहे हों। अधिकांश पात्र मूर्तियों की तरह सीधे अकेले खड़े थे, नज़रें अलग-अलग कहीं देख रही थीं, इनमें आपसी संवाद जैसी कोई भंगिमा नहीं थी, न ही संवाद या संपर्क के अन्य कोई संकेत थे। लेकिन एंटीक्विटी नामक शोध पत्रिका में शोधकर्ता बताते हैं कि सायबुर्क में मिली ताज़ा नक्काशी के दो दृश्यों में पात्रों के बीच कुछ संवाद दिखता है। यह संभवत: इस क्षेत्र की सबसे प्राचीन कला अभिव्यक्ति है।
दक्षिण-पूर्वी अनातोलिया में लगभग 12,000 से 9000 साल पहले जीवन शैली तेज़ी से बदली थी – खानाबदोश शिकारी-संग्रहकर्ता धीरे-धीरे एक स्थान पर टिकने लगे थे, और कालांतर में खेती करने लगे थे। इस परिवर्तन के समय, शुरुआती ग्रामीणों ने 10 मीटर से अधिक व्यास वाली चट्टान की शानदार गोल इमारतों का निर्माण किया था। इन इमारतों के एकल प्रस्तर खंभों पर शेर, सांप और अन्य हिंसक जानवरों की तस्वीरें हैं जो अपने सबसे घातक अंगों का प्रदर्शन कर रहे हैं – जैसे नुकीले दांत, नाखून, सींग वगैरह। इन पर सिर्फ शिश्न या शिश्न दिखाती पुरुष आकृतियां भी हैं।
इन नवपाषाण भवनों की खोज पुरातत्वविदों ने फरात नदी से लगभग 90 किलोमीटर पूर्व गोबेकली टेपे में 1990 के दशक में की थी। ये स्थल अब युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल हैं। शुरुआत में शोधकर्ताओं को लगा था कि नवपाषाण काल के लोगों ने बड़े अनुष्ठान स्थल के रूप मे इन भवनों को बनाया होगा। लेकिन उसके बाद से तुर्की के सान्लीउर्फा में इसी तरह की नक्काशी और वास्तुशिल्प वाले एक दर्जन से अधिक भवन मिले हैं। इससे यह स्पष्ट होता लगता है कि तत्कालीन तुर्की में भवन निर्माण का यह मानक या आम तरीका था।
साल 2021 में, इस्तांबुल विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद आइलम ओज़ोगेन और उनके साथियों ने सायबुर्क में खुदाई शुरू की थी। खुदाई में उन्हें लगभग 9000 ईसा पूर्व (आज से लगभग 11 हज़ार साल पहले) के कुछ अवशेष और गोबेकली टेपे जैसी गोलाकार इमारत भी मिलीं। वे केवल आधी इमारत को खोदकर उजागर कर सके क्योंकि बाकी आधे हिस्से के ऊपर आधुनिक बस्ती बस चुकी है। उजागर पुरातन इमारत में उन्हें एक पत्थर की बेंच के पास के पटल पर शिकारियों और शिश्न की नक्काशियां मिलीं।
एक दृश्य में एक छह-उंगली वाला, पालथी मारकर बैठा मनुष्य सांप या झुनझुने जैसी कोई चीज़ एक पैने सींग वाले सांड की ओर लहराता दिख रहा है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह दो जीवों के बीच लड़ाई जैसा दृश्य लगता है। दूसरे दृश्य में एक व्यक्ति शिश्न पकड़े सामने की ओर मुंह करके खड़ा है और इसके दोनों ओर दो तेंदुए इस व्यक्ति की ओर मुंह करके खड़े हैं। इसे शोधकर्ता खतरे के सामने ‘एक लापरवाह रवैया’ बताते हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि दीवार पर बनी आकृतियां एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं या किसी क्रम में है, लेकिन शोधकर्ताओं को लगता है कि ये नक्काशियां खानाबदोश समुदाय के एक जगह बसने के साथ उनके प्रकृति के प्रति बदलते दृष्टिकोण को व्यक्त करती हैं। सांड के साथ संघर्ष और तेंदुओं के प्रति उदासीनता संभवत: जंगली जीवों को वश में करना सीखने वाले लोगों की कहानी बताती होगी।
वैसे, अन्य वैज्ञानिक इन नक्काशियों को देखकर इनकी अलग व्याख्या प्रस्तुत कर सकते हैं। जर्मन आर्कियोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के पुरातत्वविद मुलर-न्यूहोफ को लगता है कि सांड और उसके साथ एक-दूसरे की ओर मुंह किए तेंदुए मिलकर कोई कहानी कहते हैं। और शिश्न पकड़े खड़ा व्यक्ति आगंतुकों का अभिवादन कर रहा है या अनचाहे मेहमानों को डरा रहा है। युनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के एडवर्ड बैनिंग को सांड वाले दृश्य के लिए ऐसा लगता है कि यह आदमी किसी झुनझुने से डराने के बजाय जानवर को काबू करने के लिए फंदा डालने की तैयारी में है।
इन नक्काशियों के अर्थ समझने के लिए शोधकर्ताओं को इस बारे में और समझना पड़ेगा जिससे मिलकर पूरा समुदाय बनता है। अन्य शोधकर्ता चेताते हैं कि नक्काशियों का अर्थ स्वतंत्र रूप से सिर्फ नक्काशी देखकर निकालने के बजाए उनके साथ मिले भोजन अवशेष, मानव कंकाल और अन्य कलाकृतियों के साथ जोड़ते हुए निकालना अधिक सार्थक होगा।
बहरहाल, ये पुरातात्विक साक्ष्य जल्द उजागर होने की उम्मीद है। तुर्की सरकार इन प्राचीन इमारत के ऊपर रह रहे लोगों को अन्यत्र नए घर बनाकर दे रही है ताकि पूरी इमारत खोद कर बाहर निकाली जा सके। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adg1940/abs/_20221207_on_neolithic_narrative.jpg