नोबेल विजेता आनुवंशिकीविद ग्रेग सेमेंज़ा के कई शोध पत्रों के चित्रों पर उठे सवालों के बाद शोध पत्रिकाओं ने जांच शुरू कर दी है। शोध पत्रिकाओं ने उनके 17 शोध पत्रों को या तो वापस ले लिया है, या उन्हें सुधारा गया है या उन पर चिंता व्यक्त की गई है। कई शोध पत्रों की जांच जारी है।
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में कार्यरत सेमेंज़ा को 2019 में कार्यिकी या चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्हें यह पुरस्कार 1990 के दशक में किए गए काम – कोशिकाएं शरीर में ऑक्सीजन की उपलब्धता को भांपकर कैसे उसके प्रति अनुकूलन करती हैं – के लिए मिला था। हालिया चिंताएं उसके बाद इस विषय में प्रकाशित शोधकार्यों पर केंद्रित हैं।
हाल के वर्षों में, डिजिटल उपकरणों द्वारा परिणामों में हेरफेर करने में आसानी होने के कारण, वैज्ञानिक शोध पत्रों में चित्रों की सत्यता जांच के दायरे में अधिक आई है। वैसे, चित्रों में हेरफेर करने या बदलाव करने के कुछ वाजिब कारण भी हो सकते हैं – जैसे रंग संतुलन या विभेद बढ़ाकर परिणामों को स्पष्ट करना। यह भी हो सकता है कि शोध पत्र तैयार करते समय आंकड़े या लेबल लगाने में गड़बड़ी हो जाए या चित्र विकृत भी हो सकते हैं। लेकिन यह संभावना भी रहती है कि इमेज-एडिटिंग टूल का इस्तेमाल जान-बूझकर जाली परिणाम बनाने में किया गया हो।
चित्र-प्रामाणिकता की प्रमुख सलाहकार और सेमेंज़ा के काम में अनियमितताओं को पहचानने वाली एलिज़ाबेथ बिक का कहना है कि 20 सालों के शोध कार्य के दौरान भूल-चूक की संख्या ठीक ही लगती है, और कई सवाल संभवत: ‘लापरवाही’ के दायरे में आते हैं। लेकिन चित्र हेर-फेर की वजह से 5 शोध पत्रों को वापस लिया जाना गड़बड़ी की ओर इशारा करता है।
PubPeer नामक वेबसाइट पर टिप्पणीकर्ताओं ने सेमेंज़ा द्वारा वर्ष 2000 से 2021 के बीच प्रकाशित 52 शोध पत्रों के चित्रों पर सवाल उठाए हैं। 2011 के बाद से, इनमें से 17 शोध पत्रों को या तो वापस ले लिया गया है, या उनमें सुधार किया गया है या ‘चिंता व्यक्त’ की गई है। इन शोध पत्रों में परिणाम दर्शाने वाले चित्रों में संभावित परिवर्तन, पुन: उपयोग या गलत लेबलिंग देखी गई थी।
जिन 32 शोध पत्रों पर जांच चल रही है उनमें सेमेंज़ा के साथ सह-लेखक अलग-अलग वैज्ञानिक हैं। 14 शोध पत्रों के प्रमुख लेखक सेमेंज़ा हैं। और ये 14 शोध पत्र विभिन्न तरह के कैंसर में ऑक्सीजन सेंसिंग के आणविक तंत्र से सम्बंधित शोध, और रक्त वाहिनियों के कार्य और गड़बड़ियों पर हैं। किसी भी मामले में शरारत सिद्ध नहीं हुई है। लेकिन चित्रों में हेरफेर की वजह से कई शोध पत्रों का वापिस लिया जाना इरादतन गड़बड़ी की शंका पैदा करता है। वैसे यह स्पष्ट नहीं है कि किस वैज्ञानिक ने क्या योगदान दिया है, इसलिए चित्रों में त्रुटि या समस्या के लिए ज़िम्मेदार किसे ठहराएं यह स्पष्ट नहीं है।
सेमेंज़ा के काम के बारे में पहली पोस्ट 2015 में PubPeer पर छपी थी, और अधिकांश पोस्ट 2020 और 2021 की हैं। जर्नल्स ने 2011 में सेमेंज़ा का एक शोध पत्र वापस लिया था, और 2013 में दो शोध पत्रों में सुधार किया था। लेकिन बाकी शोध पत्रों पर संपादकीय दलों ने पिछले दो सालों में ही कदम उठाए हैं।
2021 में, पांच शोध पत्रिकाओं ने गलत लेबल किए गए डैटा और चित्रों के दोबारा उपयोग जैसी त्रुटियों के कारण पांच शोध पत्रों में भूल-सुधार जारी किए थे। मार्च में, कैंसर रिसर्च पत्रिका ने एक शोध पत्र में सुधार किया था और जांच के बाद एक अन्य शोध पत्र पर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें पाया गया था कि शोधकर्ताओं ने एक ही डैटा को अलग-अलग प्रयोगों के परिणामों के रूप में प्रस्तुत किया था।
पिछले महीने, प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ ने सेमेंज़ा के कोशिका जीव विज्ञान के चार शोध पत्र वापस लिए और अन्य तीन में सुधार किया। इन शोध पत्रों में डैटा का दोहराव और‘स्प्लायसिंग’ (चित्र के किसी हिस्से को काट कर कहीं और लगाना) जैसी समस्याएं थीं। तकरीबन दर्जन भर शोध पत्र जांच की प्रक्रिया में हैं।
सेमेंज़ा के 20 शोध पत्र प्रकाशित करने वाली सात शोध पत्रिकाओं ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। कुछ पत्रिकाएं विवादित शोध पत्रों की जांच नहीं कर रही हैं। कई वैज्ञानिक भी इस मामले में टिप्पणी करने से बच रहे हैं। खुद सेमेंजा ने भी पूरे मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
इस क्षेत्र के एक शोधकर्ता का कहना है कि ऑक्सीजन-सेंसिंग पर सेमेंज़ा के शोध का काफी प्रभाव रहा है। अन्य वैज्ञानिकों द्वारा दोहराए जाने पर ऐसे ही नतीजे प्राप्त हुए हैं। बहरहाल, देखा यह जाना है कि चित्रों में समस्याएं शोध पत्रों के निष्कर्षों को प्रभावित करती हैं या नहीं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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