विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। घर के बाहर वायु प्रदूषण के बारे में तो हम सजग हैं। लेकिन घर के अंदर की आब-ओ-हवा हमें सुरक्षित और स्वच्छ लगती है, क्योंकि हम यह मानकर चलते हैं कि हम (या हमारा शरीर) कोई प्रदूषण नहीं फैलाते हैं। लेकिन साइंस पत्रिका में प्रकाशित हालिया अध्ययन बताता है हमारी त्वचा खतरनाक वायु प्रदूषक पैदा करने में भूमिका निभाती है।
वायुमंडलीय रसायनज्ञों और इंजीनियरों के एक दल ने पाया है कि मानव त्वचा पर मौजूद तैलीय पदार्थ ओज़ोन से क्रिया करके क्रियाशील मुक्त मूलक उत्पन्न करता है जो फिर घर के अंदर मौजूद कई कार्बनिक यौगिकों के साथ क्रिया करके खतरनाक प्रदूषक पैदा करते हैं।
सायप्रस इंस्टीट्यूट व मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर केमिस्ट्री के वायुमंडलीय रसायनज्ञ जोनाथन विलियम्स और उनके साथियों ने चार-चार वयस्क प्रतिभागियों के तीन समूह बनाए, और उन्हें अलग-अलग दिनों में शयनकक्ष जितने बड़े एक जलवायु-नियंत्रित स्टेनलेस-स्टील कक्ष में पांच घंटे तक बिठाया। फिर, अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों की मदद से कमरे की वायु में मौजूद कार्बनिक यौगिक और हाइड्रॉक्सिल मूलक का स्तर मापा। उन्होंने एक विशेष मास्क की मदद से प्रतिभागियों की श्वास वायु में मौजूद रसायन भी जांचे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कक्ष की वायु में हुए परिवर्तन उनकी सांस के कारण नहीं हुए थे।
इसके बाद, शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के साथ यही प्रयोग दोहराया लेकिन इस बार उन्होंने कक्ष में ओज़ोन डाली। ओज़ोन की मात्रा 35 पार्ट्स पर बिलियन (पीपीबी)) थी – हवाई जहाज़ के यात्री ओज़ोन की लगभग इतनी ही मात्रा के संपर्क में रहते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि त्वचा का तेल स्क्वैलीन ओज़ोन के साथ क्रिया करके ऐसे यौगिक बनाते हैं जो पुन: ओज़ोन के साथ क्रिया करके हाइड्रॉक्सिल मूलक नामक शक्तिशाली ऑक्सीकारक बनाते हैं। फिर ये मूलक घर के अंदर के फर्नीचर, घरेलू क्लीनर और यहां तक कि ताज़ा पके भोजन वगैरह जैसी चीज़ों से निकलने वाले अणुओं से क्रिया करके विषैले यौगिक बनाते हैं।
सामान्यत: वायुमंडल में हाइड्रॉक्सिल मूलक तब बनते हैं जब सूर्य का प्रकाश ओज़ोन को ऑक्सीजन परमाणुओं में तोड़ता है; ये ऑक्सीजन परमाणु पानी से क्रिया करके हाइड्रॉक्सिल मूलक बनाते हैं। वैसे (चाहे अंदर हो या बाहर) वायुमंडल में मौजूद हाइड्रॉक्सिल मूलक अपने आप में हानिकारक नहीं होते। कभी-कभी तो इन हाइड्रॉक्सिल मूलकों को ‘सफाईकर्ता’ भी कहा जाता है, क्योंकि ये हवा में मौजूद हाइड्रोकार्बन प्रदूषकों के साथ क्रिया करके उन्हें हटा देते हैं। लेकिन घर के अंदर इनकी उपस्थिति खतरनाक है, क्योंकि ये हवा में मौजूद कार्बनिक यौगिकों से क्रिया करके उन्हें ऐसे रसायनों में बदल देते हैं जो सांस सम्बंधी व हृदय रोगों का कारण बनते हैं।
अपने निष्कर्षों की पुष्टि के लिए शोधकर्ताओं ने वायु कक्ष में मौजूद रसायनों की मात्रा का डैटा ऐसे कंप्यूटर मॉडल्स में डाला, जो दर्शा सकते हैं कि त्वचा के आसपास पैदा हुए रसायन हवा में कैसे फैलेंगे।
पाया गया कि घर के अंदर हाइड्रॉक्सिल मूलक स्थिति को विकट बना देते हैं। जहां ओज़ोन चुनिंदा रसायनों से क्रिया करती है, वहीं हाइड्रॉक्सिल मूलक इतने अधिक क्रियाशील होते हैं कि उनके द्वारा उत्पादित सभी प्रकार के रसायनों का अनुमान लगाना भी मुश्किल है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि तापमान, नमी और त्वचा से संपर्क की मात्रा जैसे कई कारक हैं जो इन मूलकों के निर्माण को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए यह समझने की कोशिश चल रही है कि हवा में नमी हाइड्रॉक्सिल मूलकों के निर्माण को कैसे प्रभावित करती है।
उक्त निष्कर्ष घरेलू सामानों जैसे परफ्यूम्स, डिओडोरेंट्स और क्लीनर्स में उपस्थित रसायनों के ऑक्सीकरण के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों पर सवाल उठाते हैं। अन्य शोधकर्ता देखना चाहते हैं कि ओज़ोन की मात्रा हाइड्रॉक्सिल मूलकों के निर्माण को कैसे प्रभावित करती है, क्योंकि किसी धूप वाले दिन में, खुली खिड़कियों वाले घर में ओज़ोन का स्तर सिर्फ 20 पीपीबी के करीब होता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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