चंद्रमा की सतह छोटे-बड़े हज़ारों गड्ढों (क्रेटर) से अटी पड़ी है, जो क्षुदग्रहों की टक्कर के कारण बने हैं। पृथ्वी पर हुई उल्कापिंड की ज़ोरदार टक्कर तो विख्यात है, जिसके कारण किसी समय पृथ्वी पर राज करने वाले डायनासौर पृथ्वी से खत्म हो गए थे। अब, साइंस एडवांसेस पत्रिका में प्रकाशित हालिया अध्ययन बताता है कि लाखों साल पहले चंद्रमा और पृथ्वी पर उल्कापिंडों की बौछार लगभग एक समय पर हुई थी। यह शोध खगोलविदों को आंतरिक सौर मंडल को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है और यह अनुमान लगाने में मदद कर सकता है कि भविष्य में विनाशकारी टक्कर लगभग कब होगी?
ऑस्ट्रेलिया की कर्टिन युनिवर्सिटी के स्पेस साइंस एंड टेक्नॉलॉजी सेंटर के शोधकर्ता चीन के चांग’ई-5 चंद्र मिशन द्वारा पृथ्वी पर लाई गई चंद्रमा की मिट्टी में मिले सूक्ष्म कांच के मनकों का अध्ययन करके इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
उन्होंने विभिन्न तकनीकों और सांख्यिकीय मॉडलिंग और भूगर्भीय सर्वेक्षणों के आधार पर यह भी अनुमान लगाया कि चंद्रमा पर कांच के ये सूक्ष्म मनके कैसे बने और कब। उन्होंने पाया कि ये मनके उल्का पिंडों की टक्कर के कारण उत्पन्न हुई तीव्र गर्मी और दबाव के कारण बने थे। तो यदि शोधकर्ता यह पता कर लेते हैं कि इन मनकों की उम्र क्या है तो इससे चंद्रमा पर हुई उल्का पिंडों की बौछार का समय भी निर्धारित किया जा सकता है।
जब ऐसा किया गया तो पता चला कि चंद्रमा और पृथ्वी पर क्षुद्रग्रहों के टकराने का समय और आवृत्ति लगभग एक समान है। चंद्रमा पर पाए गए कुछ मनके लगभग 6.6 करोड़ साल पहले बने थे, यानी चंद्रमा की सतह पर टक्कर 6.6 करोड़ वर्ष पहले हुई थी। और लगभग इसी समय डायनासौर को खत्म कर देने वाला उल्कापिंड, चिक्सुलब इंपेक्टर, मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप के पास पृथ्वी से टकराया था। यह टक्कर इतनी भीषण थी कि इसके कारण पृथ्वी का लगभग तीन-चौथाई जीवन खत्म हो गया था।
करीब 70,000 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से टकराए 10 कि.मी. चौड़े इस उल्कापिंड ने पृथ्वी में 150 कि.मी. चौड़ा और 19 कि.मी. गहरा गड्ढा बना दिया था। टक्कर से उपजी भूकंपनीयता के अलावा पृथ्वी पर धूल का गुबार छा गया था जिसने सूर्य का प्रकाश रोक दिया था। फलस्वरूप जीवन के विकास ने नया मोड़ लिया था।
टीम अब चांग’ई-5 द्वारा लाई गई मिट्टी के नमूनों की तुलना चंद्रमा से लाई गई मिट्टी के अन्य नमूनों और चंद्रमा की सतह पर बने गड्ढों की उम्र के साथ करना चाहती है ताकि चंद्रमा पर हुई अन्य टक्करों के बारे में समझ सकें, और इसकी मदद से पृथ्वी पर होने वाली क्षुद्रग्रह टक्कर से जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को समझ सकें। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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