मुलायम और सुस्त चाल होने के बावजूद समुद्री खीरे यानी सी-कुकम्बर (Actinopyga echinites) वास्तव में जंतु हैं जो आश्चर्यजनक रूप से सख्तजान होते हैं। ये समुद्र के दुरूह और लगातार बदलते पेंदे में भोजन तलाशते हैं और विषैले बैक्टीरिया का सामना करते हैं। ये अपने सहोदर स्टारफिश की तरह शिकारियों और रोगजनकों से खुद को बचाने के लिए सैपोनिन्स नामक रक्षात्मक विषैले पदार्थ बनाते हैं।
अब, हालिया अध्ययन बताता है कि सी-कुकम्बर इकाइनोडर्म समूह के एकमात्र और उन गिने-चुने जीवों में से हैं जो ट्राइटरपेनॉइड सैपोनिन रसायन बनाते हैं। और तो और, उनका अद्वितीय चयापचय स्वयं उनको इस विष से सुरक्षित रखता है।
नेचर केमिकल बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार सी-कुकम्बर ने अन्य इकाइनोडर्म तथा अन्य जंतुओं की अपेक्षा सैपोनिन्स को संश्लेषित करने का अलग ही तरीका विकसित किया है जिसके लिए वे भिन्न एंज़ाइम्स का उपयोग करते हैं। इसके फलस्वरूप उनमें ऐसी क्रियाविधि विकसित हुई है जो उन्हें स्वयं के सैपोनिन्स के विषैले प्रभाव से सुरक्षित रखती है।
वैज्ञानिक यह तो जानते थे कि सी-कुकम्बर ऐसे ट्राइटरपेनॉइड सैपोनिन्स बनाते हैं, जो जानवरों की तुलना में पौधों में अधिक पाए जाते हैं। ये ट्राइटरपेनॉइड सैपोनिन्स कोशिका झिल्ली में मौजूद कोलेस्टरॉल अणुओं से जुड़ जाते हैं और कोशिका की मृत्यु का कारण बनते हैं। नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि सी-कुकम्बर कोलेस्टरॉल नहीं बनाते हैं और उनकी कोशिका झिल्लियों में भी इसकी बहुत कम मात्रा होती है; लिहाज़ा, वे सैपोनिन्स से अप्रभावित रहते हैं।
दरअसल पूर्व में पौधों के ट्राइटरपेनॉइड्स पर काम कर चुके नोइडा की एमिटी युनिवर्सिटी उत्तर के जीव विज्ञानी रमेश थिमप्पा और उनके साथी जानना चाहते थे कि सी-कुकम्बर में ये दुर्लभ यौगिक (ट्राइटरपेनॉइड्स) क्यों और कैसे बनते हैं।
सी-स्टार्स के सैपोनिन्स स्टेरॉयड आधारित होते हैं। ट्राइटरपेनॉइड्स और स्टेरॉल एक जैसे अणुओं से ही बनते हैं, और दोनों को बनाने के आणविक परिपथ में ऑक्सीडोस्क्वेलेन साइक्लेज़ (OSC) समूह के एंजाइमों की भूमिका होती है।
इकाइनोडर्म समूह के जंतुओं में इन विभिन्न क्रियापथों को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने मनुष्यों, समुद्री अर्चिन और सी-स्टार के जीनोम में एक विशिष्ट OSC पर ध्यान दिया – लैनोस्टेरॉल सिंथेज़ (LSS)। LSS एंज़ाइम अधिकांश जंतु प्रजातियों में कोलेस्टरॉल व अन्य स्टेरोल निर्माण के लिए और स्टारफिश में सैपोनिन उत्पादन के लिए ज़रूरी है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सी-कुकम्बर में LSS बनाने वाला जीन तो नदारद था ही, इसके अलावा अन्य प्रजातियों में स्टेरॉल बनाने के लिए ज़िम्मेदार तीन अन्य एंज़ाइम भी नदारद थे। देखा गया कि इनकी बजाय सी-कुकम्बर के जीनोम में OSC एंज़ाइम बनाने के लिए दो अन्य जीन मौजूद थे।
आगे की जांच के लिए शोधकर्ताओं ने दो सी-कुकम्बर प्रजातियों (Apostichopus japonicus और Parastichopus parvimensis) से OSC एंज़ाइम्स के जीन लेकर एक ऐसी खमीर कोशिका में प्रत्यारोपित किए जिसमें LSS जीन नहीं था। दोनों ही जीन खमीर में LSS का निर्माण करवाने में विफल रहे। इससे पता चलता है कि सी-कुकम्बर के ये जीन LSS के कोड नहीं हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सी-कुकम्बर के OSC जीन्स स्टेरोल जैसे दो अणुओं का निर्माण करते हैं, और ये दोनों अणु ट्राइटरपेनॉयड के उत्पादन में शामिल थे। इन अणुओं ने यौगिकों को कोलेस्टरॉल जैसे अणुओं में भी परिवर्तित किया जो सी-कुकम्बर की कोशिका झिल्ली में पाए जाते हैं। ये अणु काम तो कोलेस्टरॉल के समान करते हैं, लेकिन कोलेस्टरॉल और इनके बीच जो अंतर है, वह सी-कुकम्बर को सैपोनिन्स की विषाक्तता से बचाता है।
एक अन्य प्रयोग में, शोधकर्ताओं ने सी-कुकम्बर के OSC जीन की उत्परिवर्तित प्रतियां खमीर कोशिकाओं में डालीं। पाया गया कि दो अलग-अलग उत्परिवर्तन LSS जीन द्वारा कोड किए गए एक एमिनो एसिड को प्रभावित करते हैं जो दोनों सी-कुकम्बर में OSC एंज़ाइमों के परिवर्तित कार्य के लिए ज़िम्मेदार हैं।
शोधकर्ता बताते हैं कि सी-कुकम्बर एकमात्र ऐसे ज्ञात जानवर हैं जिनमें दो OSC-कोडिंग जीन तो हैं लेकिन वे कोलेस्टरॉल नहीं बनाते। सी-कुकम्बर में दो ऐसे OSC-कोडिंग जीन का होना जंतुओं के लिहाज़ से एक असाधारण बात है जो दोनों LSS नहीं बनाते हैं।
सी-कुकम्बर से प्राप्त अर्क, विशेषकर सैपोनिन्स, औषधीय रूप से काफी मूल्यवान है। सैपोनिन्स का उपयोग टीकों में प्रतिरक्षा सहायक के रूप में किया जाता है, और इनमें शोथ-रोधी और कैंसर-रोधी गुण भी हो सकते हैं। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि भविष्य में वे सी-कुकम्बर, जो कि कई जगहों पर लुप्तप्राय है, को पीसे बिना पौधों और खमीर से इन यौगिकों को प्राप्त करने के तरीके विकसित कर लेंगे।
थिमप्पा कहते हैं कि इन प्राणियों को संरक्षित करना इस लिहाज़ से महत्वपूर्ण है कि ये मिट्टी में केंचुओं जैसा कार्य करते हैं। वे समुद्र तल के मलबे को साफ करते हैं और ऑक्सीजन युक्त रेत उत्सर्जित करते हैं। ये भूमिकाएं पर्यावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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