हाल ही में नेपाल में सूखा अनुसंधान संस्थान शुरू हुआ है। काठमांडू इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज़ के सेंटर फॉर वॉटर एंड एटमॉस्फेरिक रिसर्च की हेमू काफले ने इसे स्थापित करने में काफी योगदान दिया है।
नेपाल के काठमांडू इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज़ द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया यह मौसम विज्ञान स्टेशन कम लागत वाले स्टेशनों में शुमार है। इसका पहला मॉडल तीन साल पहले बना था। यहां तापमान, आर्द्रता, दबाव, हवा की गति और दिशा, और वर्षा को मापा जाता है।
काफले बताती हैं कि बचपन के दिनों में उन्होंने नेपाल के सूखे (नेपाली में खदेरी) के बारे में सुना था। लेकिन जब उन्होंने नेपाल में सूखे पर शोध करने की कोशिश की, तो पाया कि इस बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। नेपाली लोग बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं के बारे में तो बात करते हैं, लेकिन वे सूखे के बारे में बात नहीं करते। जबकि तथ्य यह है कि सूखा फसल उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, खास कर असिंचित क्षेत्रों की बरसाती खेती को।
नेपाल में बहुत कम मौसम विज्ञान केंद्र थे। और चूंकि यहां का भूगोल काफी पर्वतीय है, तो लोग बाहर जाकर अपने उपकरणों को अंशांकित नहीं कर सकते हैं; इसलिए मौसम सम्बंधी पर्याप्त डैटा था ही नहीं। काफले ने नेपाल के बाहर (जापान के नागोया युनिवर्सिटी से) रिमोट सेंसिंग पर पीएच.डी. की थी। उनका विचार था कि उपग्रह डैटा का उपयोग करके मौसम सम्बंधी डैटा की पूर्ति कर सकते हैं और नेपाल के सूखे की संपूर्ण तस्वीर उकेर सकते हैं। लेकिन इसके लिए मॉडलिंग कंप्यूटर की ज़रूरत थी, और उनके तत्कालीन संस्थान ने यह सुविधा देने से इन्कार कर दिया था।
सिर्फ वे ही नहीं, नेपाल के बाहर के संस्थानों में अध्ययन करने वाले अन्य शोधकर्ता भी नेपाल की विशिष्ट समस्याओं पर शोध करना चाहते थे। आखिरकार 2015 में विदेशी अनुदान की मदद से अपना संस्थान स्थापित किया गया जो वन्यजीव संरक्षण, चरम जलवायु परिस्थितियों और पर्यावरण प्रदूषण में अनुसंधान को समर्थन देता है।
मौसम सम्बंधी अनुसंधान के लिए अपना कंप्यूटर मिला, और संस्थान ने नेपाल के साथ-साथ भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के भी कुछ हिस्सों के सूखों विश्लेषण किया। काफले आगे बताती हैं कि विकासशील देशों में स्थानीय स्तर पर बहुत सारा शोध कार्य करने की आवश्यकता है। आगे यह संस्थान युवाओं को भी प्रशिक्षित करना चाहता है ताकि नेपाल को विकासशील देश से विकसित देश की श्रेणि में लाने के लिए अच्छे वैज्ञानिक और दूरदर्शी लोग तैयार किए जा सकें। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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