मानव मस्तिष्क 10 वर्ष की उम्र तक वयस्क आकार में तो पहुंच जाता है; लेकिन इसकी वायरिंग और इसकी क्षमताएं जीवन भर बदलती रहती हैं।
40 की उम्र के बाद मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है। मस्तिष्क में से कम रक्त प्रवाहित होता है, और हारमोन्स तथा न्यूरोट्रांसमीटर्स के स्तर कम हो जाते हैं। वृद्धावस्था नए काम सीखने जैसे कुछ कार्यों को मंद कर देती है।
कुछ नया सीखने के लिए मस्तिष्क में नए तंत्रिका-कनेक्शन बनने ज़रूरी होते हैं; इस गुण को न्यूरोप्लास्टिसिटी (तंत्रिका-लचीलापन) कहते हैं। आपका मस्तिष्क एक नित परिवर्तनशील इकाई है जो नए अनुभवों के हिसाब से लगातार खुद को ढालता रहता है।
मस्तिष्क की कुछ संरचनाओं में अन्य की तुलना में अधिक लचीलापन होता है और इनमें अधिक नए कनेक्शन बनते-बिगड़ते रहते हैं। वृद्धावस्था इन संरचनाओं को तुलनात्मक रूप से में अधिक प्रभावित करती है। ऐसी ही एक संरचना है हिप्पोकैम्पस। हिप्पोकैम्पस हमारे दोनों कानों के बीच स्थित होता है। यह नई और स्थायी स्मृतियां बनाने और उन्हें सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस तरह से यह सीखने और तज़ुर्बे में भूमिका निभाता है। यह आपके आसपास के परिवेश का मानसिक चित्र भी बनाता है, जिससे आप अपने घर का रास्ता जान पाते हैं।
प्रयोगों से पता चला है कि वृद्ध चूहों के मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच कनेक्शन (सायनेप्स) कम थे और भूलभुलैया में से बाहर का रास्ता खोजने में उनका प्रदर्शन भी घटिया रहा। इससे संकेत मिलता है कि उनमें स्थान-विषयक सीखने/समझ की कमी होती है।
लंदन के टैक्सी ड्राइवरों के मस्तिष्क का एमआरआई करने पर पता चला है कि उनका हिप्पोकैम्पस बड़ा था – हिप्पोकैम्पस में शहर की सड़कों का नक्शा बस जाता है, और नए अनुभव होने पर यह ‘नक्शा’ आसानी से विस्तारित होता जाता है।
हालांकि, इस मामले में मनुष्यों पर हुए अध्ययनों में दिखे व्यक्ति-दर-व्यक्ति अंतर हैरान करने वाले हैं – कुछ “सुपर वृद्ध” स्मृति परीक्षणों में नौजवानों को मात दे सकते हैं।
दिमागी चोट
मस्तिष्क की रीवायरिंग और परिवर्तन क्षमता सदमे या स्ट्रोक से होने वाली मस्तिष्क क्षति के मामलों में देखी गई है। ऐसे हादसों में मस्तिष्क की कोशिकाएं बड़ी संख्या में मर जाती हैं, जिसके कारण कुछ क्षमताएं गुम हो जाती हैं। अलबत्ता, समय के साथ, मस्तिष्क खुद को फिर से तैयार करता है और खोई हुई क्षमताएं आंशिक या पूर्ण रूप से बहाल हो जाती हैं। इस प्रक्रिया को दवाओं, स्टेम सेल थेरपी और मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप से गति दी जा सकती है।
हालांकि ज़रूरी नहीं कि हमेशा ऐसा हो लेकिन अक्सर उम्र बढ़ने पर संज्ञान क्षमता में कमी आती है। स्मृति के साथ-साथ कार्यकारी प्रणालियां भी गड़बड़ा सकती हैं – जैसे योजना बनाने की क्षमता और एक साथ दो या दो से अधिक काम करने की क्षमता।
ये परिवर्तन मस्तिष्क के अपने तंतु फिर से जोड़ने की क्षमता में कमी, तंत्रिका-लचीलेपन में कमी, का परिणाम हैं। लेकिन व्यवहार और जीवन शैली में बदलाव करके मस्तिष्क की नया सीखने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और इससे एक युवा मस्तिष्क की तरह कार्य करवाया जा सकता है।
मस्तिष्क को युवा बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम और अच्छा आहार उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि सीखने (नई भाषा या वाद्ययंत्र में महारत हासिल करने) की चाह रखना।
व्यायाम के लाभ
वृद्ध व्यक्तियों में व्यायाम हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसे विकारों के जोखिम को कम करता है। इस तरह के विकार मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को बढ़ाते हैं। अर्थात व्यायाम मनोभ्रंश और अल्ज़ाइमर जैसे रोगों के जोखिम को भी कम करता है।
नियमित व्यायाम आपको वज़न कम करने में मदद करता है; या कम से कम वज़न बढ़ना रुक जाता है, या कम किया हुआ वज़न दोबारा नहीं बढ़ता। व्यायाम से फेफड़े, पेट, बड़ी आंत (कोलन) और ब्लैडर के कैंसर की संभावना कम हो जाती है। व्यायाम करने वाले व्यक्तियों में चिंता और अवसाद से घिरने का खतरा भी कम होता है।
वृद्धों में व्यायाम का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इससे गिरने का और गिरने से पहुंचने वाली चोटों का जोखिम कम हो जाता है। एन-कैथरीन रोजे और उनके साथियों के एक अध्ययन (न्यूरोसाइकोलॉजिया, 2019) के अनुसार व्यायाम आपके खड़े रहते और चलते दोनों स्थितियों में शरीर विन्यास की स्थिरता को बढ़ाता है, क्योंकि आपका मस्तिष्क संतुलन में गड़बड़ी होने पर त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए लगातार प्रशिक्षित होता रहता है।
सवाल है कि किस तरह का व्यायाम बेहतर है? 40-56 वर्ष के व्यक्तियों के साथ 6 महीने तक (स्ट्रेचिंग/तालबद्ध) प्रशिक्षण और एरोबिक स्थिरता प्रशिक्षण (घर पर साइकिल चलाना) के परिणामों की तुलना करने पर पाया गया कि दोनों तरह की गतिविधियों से सुस्त व्यक्तियों की स्मृति में सुधार दिखा। ये गतिविधियां बेशक हृदय-रक्तवाहिनी की हालत में भी सुधार करेंगी। अध्ययन में शामिल जिन प्रतिभागियों के हृदय-वाहिनी स्वास्थ्य में सबसे अधिक सुधार दिखा, उनकी याददाश्त में भी सबसे अच्छा सुधार दिखा। वापिस सुस्त हो जाना और फिटनेस में कमी स्मृति सम्बंधी लाभ को बेअसर कर देता है (हॉटिंग व रोडर, न्यूरोसाइंस विहेवियर रिव्यूस, 2013)।
संज्ञान प्रशिक्षण, यानी दिमागी कसरत, आपके मस्तिष्क को लचीला रहने में मदद करता है। संज्ञान प्रशिक्षण के साथ शारीरिक व्यायाम करने से वृद्धजनों की संज्ञान क्षमताओं में और भी अधिक सुधार होता है।
एक सवाल है कि कितना व्यायाम? अक्सर वृद्ध व्यक्तियों में स्वास्थ्य और संज्ञान सम्बंधी मूल्यांकन 10 मिनट की दैनिक सैर के पहले और बाद में किया जाता है; दैनिक सैर में थोड़ी जॉगिंग और थोड़ा टहलना शामिल है (जो हल्का पसीना पैदा करने के लिए पर्याप्त हो लेकिन थकाए नहीं)। 65 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सप्ताह में पांच या अधिक बार 30 मिनट तक तेज़ चाल से चलने की सलाह देता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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