यह बात आम तौर मानी जाती है कि हरकारे कबूतर (होमिंग पिजन) एक बार जिस रास्ते को अपनाते हैं, उसे याद रखते हैं। अब एक अध्ययन ने दर्शाया है कि ये कबूतर अपना रास्ता 4 साल बाद भी नहीं भूलते।
देखा जाए तो मनुष्यों से इतर जंतुओं में याददाश्त का परीक्षण करना टेढ़ी खीर है। और यह पता करना तो और भी मुश्किल है कि कोई जंतु किसी जानकारी को याददाश्त में दर्ज करने के कितने समय बाद उसका उपयोग कर सकता है। प्रोसीडिंग्स ऑफ रॉयल सोसायटी बी में प्रकाशित शोध पत्र में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्राणि विज्ञानी डोरा बायरो और उनके साथियों ने घरेलू होमिंग पिजन्स के इस तरह के अध्ययन की जानकारी देते हुए बताया है कि याददाश्त दर्ज करने और पुन:उपयोग करने के बीच 4 साल तक अंतराल हो सकता है।
बायरो और उनके साथियों ने इसके लिए 2016 में किए गए एक प्रयोग के आंकड़ों की मदद ली। 2016 के प्रयोग में इन कबूतरों को रास्ते सिखाए गए थे। इन कबूतरों ने ये रास्ते या तो अकेले उड़ते हुए सीखे थे या साथियों के साथ। कभी-कभी साथी ऐसे होते थे जिन्हें रास्ता पता होता था या कभी-कभी साथी भी अनभिज्ञ होते थे। तो इन कबूतरों ने अपनी अटारी से लेकर करीब 6.8 किलोमीटर दूर स्थित एक खेत तक का अपना रास्ता 2016 में स्थापित किया था।
2019 और 2020 में बायरो की टीम ने इन कबूतरों का अध्ययन किया। इनकी पीठ पर जीपीएस उपकरण लगा दिए गए और इन्हें उसी खेत से छोड़ दिया गया। कुछ कबूतर अपने कुछ लैंडमार्क्स को चूके ज़रूर लेकिन अधिकांश ने इस यात्रा में लगभग ठीक वही रास्ता पकड़ा, जो उन्होंने 2016 में इस्तेमाल किया था। और तो और, 3-4 साल के इस अंतराल में ये कबूतर उस स्थल पर दोबारा गए भी नहीं थे।
शोधकर्ताओं को यह भी पता चला कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कबूतर ने 2016 में वह रास्ता अकेले उड़कर तय किया था या झुंड में। लेकिन 2016 के प्रयोग में शामिल कबूतरों का प्रदर्शन अन्य ऐसे कबूतरों से बेहतर रहा जो 2016 की उड़ान में शरीक नहीं थे।
कई शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अध्ययन संज्ञान के मामले में मानव-केंद्रित नज़रिए को थोड़ा शिथिल करने में मददगार होगा। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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