Customise Consent Preferences

We use cookies to help you navigate efficiently and perform certain functions. You will find detailed information about all cookies under each consent category below.

The cookies that are categorised as "Necessary" are stored on your browser as they are essential for enabling the basic functionalities of the site. ... 

Always Active

Necessary cookies are required to enable the basic features of this site, such as providing secure log-in or adjusting your consent preferences. These cookies do not store any personally identifiable data.

No cookies to display.

Functional cookies help perform certain functionalities like sharing the content of the website on social media platforms, collecting feedback, and other third-party features.

No cookies to display.

Analytical cookies are used to understand how visitors interact with the website. These cookies help provide information on metrics such as the number of visitors, bounce rate, traffic source, etc.

No cookies to display.

Performance cookies are used to understand and analyse the key performance indexes of the website which helps in delivering a better user experience for the visitors.

No cookies to display.

Advertisement cookies are used to provide visitors with customised advertisements based on the pages you visited previously and to analyse the effectiveness of the ad campaigns.

No cookies to display.

पाकिस्तान का पोलियोवायरस अफ्रीका पहुंचा

लावी सरकार ने सूचना दी है कि पकिस्तान में पाया जाने वाला प्राकृतिक पोलियोवायरस संस्करण अब अफ्रीकी महाद्वीप पहुंच चुका है। 1992 के बाद से देश में प्राकृतिक पोलियोवायरस का यह पहला मामला है जिसने एक तीन वर्षीय बच्ची को लकवाग्रस्त कर दिया है। इस नए मामले ने पोलियो को जड़ से खत्म करने के वैश्विक अभियान को काफी धक्का पहुंचाया है। हालांकि, ग्लोबल पोलियो उन्मूलन अभियान (जीपीईआई) को उम्मीद है कि इस प्रकोप को जल्द से जल्द नियंत्रित किया जा सकेगा।

वर्तमान में पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही ऐसे देश हैं जहां वायरस फैलने की घटनाएं निरंतर होती रही हैं। इसका पिछला मामला 2013 में देखने को मिला था जिसमें पाकिस्तान से निकले वायरस ने सीरिया में प्रकोप बरपाया था। गौरतलब है कि अफ्रीका महाद्वीप पहले से ही टीका-जनित पोलियो वायरस के बड़े प्रकोप से जूझ रहा है।

इस तरह का वायरस मुख्य रूप से कम टीकाकरण वाले क्षेत्रों में पाया जाता है जहां ओरल पोलियो टीके में पाया जाने वाला जीवित लेकिन निष्क्रिय वायरस लकवाग्रस्त करने की क्षमता विकसित कर लेता है। हालांकि अफ्रीकी महाद्वीप में प्राकृतिक पोलियो का आखिरी मामला 2016 में पाया गया था और अगस्त 2020 में अफ्रीका को प्राकृतिक पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था।           

गौरतलब है कि पोलियो संक्रमण खामोशी से फैलता है और 200 संक्रमित बच्चों में से मात्र एक बच्चे को लकवाग्रस्त करता है। ऐसे में यदि वायरस का एक भी मामला सामने आता है तो उसे प्रकोप माना जाता है। वैसे जीपीईआई का इतिहास रहा है कि 6 माह के अंदर इस प्रकार के आयातित प्रकोपों को खत्म किया गया है। मलावी में पाया गया वाइल्ड टाइप 1 पोलियोवायरस का निकट सम्बंधी निकला जो अक्टूबर 2019 में सिंध प्रांत में फैला था। लगता है, वायरस तभी से ही गुप्त रूप से उपस्थित था।

पिछले दो वर्षों में कोविड महामारी के कारण जीपीईआई के विश्लेषकों के पास वायरस के आगमन और फैलाव के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। मलावी से मोज़ांबिक, ज़ाम्बिया और तंज़ानिया में लोगों की अत्यधिक आवाजाही के कारण अन्य देशों में वायरस के फैलने के जोखिम का आकलन और व्यापक टीकाकरण रणनीति पर भी विचार किया जा रहा है।

पोलियो के इस नए मामले से इतना तो स्पष्ट है कि इस वायरस का खतरा अभी भी बच्चों पर मंडरा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो संचरण को स्थायी रूप से बाधित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए दुनिया भर में टीकाकरण को प्राथमिकता देने की ज़रूरत है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://media.nature.com/lw800/magazine-assets/d41586-020-02501-3/d41586-020-02501-3_18325462.jpg

प्रातिक्रिया दे