महामारी की शुरुआत से ही संकेत मिलने लगे थे कि सार्स-कोव-2 से संक्रमित गंभीर रोगियों में हृदय और रक्त वाहिनियों में क्षति होती है। मुख्य रूप से खून के थक्के बनना, हृदय में सूजन, धड़कन की लय बिगड़ना, दिल का दौरा जैसी समस्याएं देखी गई थीं। हाल ही में किए गए एक व्यापक अध्ययन में पता चला है कि वायरस के ऐसे प्रभाव काफी लंबे समय तक बने रह सकते हैं।
अमेरिका के 1.1 करोड़ वृद्ध लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड के विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने पाया कि 1 वर्ष पहले कोविड-19 से ग्रसित लोगों में 20 विभिन्न हृदय और रक्त वाहिनी सम्बंधी विकारों का जोखिम सामान्य की तुलना में काफी बढ़ गया है। यह जोखिम प्रारंभिक रोग की गंभीरता के साथ-साथ बढ़ता पाया गया।
इस अध्ययन से प्राप्त डैटा से स्पष्ट हो जाता है कि सार्स-कोव-2 संक्रमण सामान्य फ्लू से कहीं अधिक खतरनाक है। हालांकि, विशेषज्ञ इस अध्ययन को दोहराने का सुझाव देते हैं क्योंकि इसमें दोषपूर्ण निदान जैसी त्रुटियों की संभावना है।
फिलहाल तो शोधकर्ताओं को वायरस द्वारा दीर्घकालिक क्षति की प्रक्रिया के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। लेकिन उनका मानना है कि हृदय सम्बंधी जोखिम और लॉन्ग कोविड लक्षणों के समूह (ब्रेन फॉग, थकान, कमज़ोरी और गंध संवेदना का ह्रास) का मूल कारण एक ही हो सकता है।
इसके लिए शोधकर्ताओं ने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन्स अफेयर्स (वीए) के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड में लगभग डेढ़ लाख लोगों के डैटा का विश्लेषण किया जो मार्च 2020 से जनवरी 2021 के बीच कोविड से संक्रमित हुए और संक्रमित होने के कम से कम 30 दिन तक जीवित रहे। उन्होंने दो तुलना समूहों की भी पहचान की। एक समूह 56 लाख ऐसे लोगों का था जिन्होंने महामारी के दौरान देखभाल की मांग तो की थी लेकिन जांच में कोविड नहीं पाया गया था; दूसरा समूह ऐसे 59 लाख लोगों का था जिन्होंने 2017 में देखभाल चाही थी।
अध्ययन में टीके के व्यापक रूप से उपलब्ध होने से पहले का ही डैटा शामिल किया गया था। इस तरह से 99.7 प्रतिशत लोग संक्रमित होने के समय टीकाकृत नहीं थे। इसलिए इस अध्ययन में यह स्पष्ट नहीं है कि टीकाकृत लोगों में ब्रेकथ्रू संक्रमण के बाद दीर्घकालिक हृदय सम्बंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं या नहीं। इसके अलावा, इस अध्ययन का झुकाव वृद्ध, श्वेत और पुरुष आबादी की ओर अधिक दिखाई देता है। तीनों समूहों में 90 प्रतिशत पुरुष और 71-76 प्रतिशत श्वेत रोगी थे और सभी की औसत उम्र 60 और 70 के बीच थी।
शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 के बाद हृदय रोग होने की संभावना में वृद्धि लगभग सभी लोगों – वृद्ध और युवा, मधुमेह और बिना मधुमेह, मोटापे और बिना मोटापे, धूम्रपान करने वाले और धूम्रपान न करने वाले – में एक जैसी थी।
कोविड-19 ने 20 तरह के हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ा दिया है। जैसे कोविड से पीड़ित वृद्ध लोगों में संक्रमित होने के 12 महीने बाद नियंत्रण समूह की तुलना में 72 प्रतिशत अधिक हृदयाघात की संभावना देखी गई। 1000-1000 संक्रमित व असंक्रमित लोगों को लें तो किसी ना किसी हृदय सम्बंधी दिक्कत की संभावना असंक्रमित लोगों की अपेक्षा 45 अतिरिक्त संक्रमित लोगों में है।
फिलहाल वायरस द्वारा हृदय और रक्त वाहिनियों पर दीर्घकालिक असर शोध का विषय है। एक संभावित प्रक्रिया एंडोथेलियल कोशिकाओं की सूजन है जो हृदय और रक्त वाहिनियों का अंदरूनी अस्तर बनाती हैं। वैसे कई अन्य संभावनाएं भी हैं। जैसे वायरल आक्रमण से हृदय की मांसपेशियों की क्षति, साइटोकाइंस नामक सूजन बढ़ाने वाले रसायनों का उच्च स्तर जो हृदय पर सख्त धब्बे बनाता हो और वायरस का ऐसे स्थानों छिपे रहना जहां प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावी ढंग से निपट न सके।
शोधकर्ताओं का मानना है कि आने वाले समय में कोविड-19 से संक्रमित हो चुके लाखों लोगों को कोविड के दीर्घकालिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं जिससे स्वास्थ्य प्रणालियों पर एक बार फिर दबाव बन सकता है। इसके लिए विश्व भर की सरकारों और स्वास्थ्य सेवाओं को हृदय सम्बंधी रोगों से निपटने के लिए ज़रूरी कदम उठाने होंगे। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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