वर्ष 2021 विज्ञान जगत के लिए चुनौतियों भरा रहा है। इस दौरान मंगल मिशन, अल्ज़ाइमर की दवा, क्रिस्पर तकनीक, जलवायु सम्मेलन जैसे विषय सुर्खियों में रहे लेकिन परिदृश्य पर कोविड-19 छाया रहा। विश्वभर में जागरूकता और टीकाकरण अभियान चलाए गए। 2022 में भी कोविड-19 हावी रहेगा। अलबत्ता इसके अलावा भी कई अन्य क्षेत्र सुर्खियों में रहने की उम्मीद हैं।
कोविड-19 से संघर्ष
2022 में भी कोरोनावायरस चर्चा का प्रमुख मुद्दा बना रहेगा। शोधकर्ता ऑमिक्रॉन जैसे संस्करणों के प्रभावों को समझने और निपटने का निरंतर प्रयास करेंगे। संक्रमितों की विशाल संख्या को देखते हुए 2022 में भी इसके काफी फैलने की संभावना है। वैश्विक आबादी के एक बड़े हिस्से ने टीकों या संक्रमण से एक स्तर की प्रतिरक्षा विकसित की है, और वैज्ञानिकों की अधिक रुचि ऐसे संस्करणों की ओर है जो मानव प्रतिरक्षा को चकमा देने में सक्षम हैं। फिलहाल यह भी स्पष्ट नहीं है कि टीके नए संस्करणों के लिए मुफीद हैं भी या नहीं। वैज्ञानिक टीकों की एक नई पीढ़ी विकसित करने में जुटे हैं जो व्यापक प्रतिरक्षा दे सकें या फिर श्वसन मार्ग की श्लेष्मा झिल्ली में मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित कर सकें। 2022 में हम सार्स-कोव-2 के विरुद्ध ओरल एंटीवायरल दवाओं की भी उम्मीद कर सकते हैं।
इस वर्ष शोधकर्ताओं का प्रयास दीर्घ कोविड के रहस्यों को समझना-सुलझाना भी रहेगा जिसने संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को काफी परेशान किया है। इसके अतिरिक्त गरीब देशों तक टीके की पहुंच सुनिश्चित करना भी एक बड़ी चुनौती रहेगी।
नाभिकीय भौतिकी
मिशिगन स्टेट युनिवर्सिटी में 73 करोड़ डॉलर के फैसिलिटी फॉर रेयर आइसोटॉप बीम्स (एफआरआईबी) के शुरू होने के बाद से पहली बार अल्पजीवी परमाणु नाभिक पृथ्वी पर उत्पन्न किए जाएंगे जो आम तौर पर तारकीय विस्फोटों में उत्पन्न होते हैं। एफआरआईबी एक शक्तिशाली आयन स्रोत है जो हाइड्रोजन से लेकर युरेनियम परमाणु नाभिकों तक को निशाना बनाकर अल्पजीवी नाभिकों में बदल सकता है। उद्देश्य सैद्धांतिक रूप से संभव 80 प्रतिशत समस्थानिकों का निर्माण करना है। एफआरआईबी की मदद से भौतिक विज्ञानी नाभिक-संरचना की अपनी समझ को मज़बूत करने के अलावा, तारकीय विस्फोटों में भारी तत्वों के निर्माण की प्रक्रिया और प्रकृति में नए बलों का पता लगाने की उम्मीद करते हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी
वर्ष 2022 में संभवत: चीन दुनिया के दो सबसे तेज़ और शक्तिशाली कंप्यूटरों का प्रदर्शन करेगा। खबर है कि ये कंप्यूटर प्रदर्शन के वांछित मानकों को पछाड़ चुके हैं। एक्सास्केल नामक यह सुपर कंप्यूटर प्रति सेकंड 1 महाशंख (1018) से अधिक गणनाएं करने में सक्षम है। दूसरी ओर, अमेरिका स्थित ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी में यूएस के पहले एक्सास्केल कंप्यूटर, फ्रंटियर के 2022 में शुरू होने की उम्मीद है।
एक्सास्केल कंप्यूटरों की मदद से विशाल डैटा सेट के साथ कृत्रिम बुद्धि का संयोजन काफी उपयोगी हो सकता है। इसकी मदद से व्यक्ति-विशिष्ट दवाइयों, नए पदार्थों की खोज, जलवायु परिवर्तन मॉडल आदि क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन हो सकता है।
अंतरिक्ष: चंद्रमा की ओर
पचास साल पहले मनुष्य ने चंद्रमा पर पहली बार कदम रखा था। अब रोबोटिक चांद मिशन पूरे जोशो-खरोश से लौट आए हैं और एक बार फिर मानव के वहां पहुंचने की तैयारी है। चीन द्वारा भेजे गए रोवर की सफल लैंडिंग के बाद कुछ छोटे स्टार्ट-अप्स द्वारा विकसित और नासा द्वारा वित्तपोषित तीन रोबोटिक लैंडर 2022 में चांद पर भेजे जाएंगे। इस दौड़ में रूस, जापान और भारत के भी शामिल होने की संभावना है। इस परियोजना के पीछे नासा के दो उद्देश्य हैं: चांद पर पानी की उपलब्धता एवं फैलाव का अध्ययन करना और चांद की धूल भरी सतह पर पेलोड पहुंचाकर मानव अन्वेषण के लिए मार्ग तैयार करना। इस वर्ष नासा का स्पेस लॉन्च सिस्टम और स्पेसएक्स स्टारशिप भी प्रक्षेपित किए जाएंगे जो अंतरिक्ष यात्रियों और भारी उपकरणों को चंद्रमा या उससे आगे ले जाने में सक्षम होंगे।
प्रदूषण पर यूएन पैनल
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा फरवरी 2022 में रासायनिक प्रदूषण और कचरे से होने वाले जोखिमों का अध्ययन करने के लिए एक वैज्ञानिक सलाहकार संस्था बनाने के प्रस्ताव पर मतदान की तैयारी कर रही है। संयुक्त राष्ट्र ने पहले भी कई प्रकार के प्रदूषण (जैसे पारा और कार्बनिक रसायन) पर संधियां की हैं। नए प्रस्ताव का समर्थन करने वालों के अनुसार वर्तमान में नीति निर्माताओं को उभरती समस्याओं और शोध आवश्यकताओं की पहचान करने के लिए व्यापक मूल्यांकन की आवश्यकता है। इसके लिए 1800 से अधिक वैज्ञानिक पैनल के समर्थन में हस्ताक्षर कर चुके हैं।
खगोलशास्त्र: ब्लैक होल
हाल के वर्षों में गुरुत्वाकर्षण तरंग सूचकों की मदद से तारों की साइज़ के ब्लैक होल्स की टक्करों की जानकारी प्राप्त हुई है। और अधिक जानकारी प्राप्त करने के प्रयास जारी हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 2022 में उनके पास सूरज से कई गुना भारी ब्लैक होल्स के एक-दूसरे की ओर खिंचने से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण तरंगों को समझने हेतु पर्याप्त डैटा होगा। ऐसे जोड़ों का पता लगाने के लिए कई रेडियो दूरबीनों को पल्सर्स की ओर उन्मुख किया गया है। पल्सर वास्तव में ढह चुके तारे हैं जो नियमित रेडियो तरंगें छोड़ते हैं। तरंगों में सूक्ष्म बदलाव गुरुत्वाकर्षण तरंगों का संकेत देते हैं।
जैव विविधता समझौते को मज़बूती
यदि वर्ष 2050 तक सभी राष्ट्र मिलकर जैव विविधता संधि का नया ढांचा अपनाते हैं तो कई लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के उपायों को बढ़ावा मिल सकता है। वार्ताकारों द्वारा विकसित एक योजना के तहत 2022 में चीन में 196 देशों की एक बैठक आयोजित करने की संभावना है। इस बैठक में पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा और स्थिरता पर ज़ोर देने के साथ आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों के समतामूलक बंटवारे पर भी ध्यान दिया जाएगा। इन प्रयासों के लिए 2030 तक कम से कम 70 करोड़ डॉलर की निधि जुटाने का भी लक्ष्य है। उद्देश्यों में भूमि और समुद्र के 30 प्रतिशत हिस्से का संरक्षण, घुसपैठी प्रजातियों के प्रसार को कम करना, कीटनाशकों के उपयोग में दो-तिहाई की कमी और प्लास्टिक कचरे को खत्म करते हुए वैश्विक प्रदूषण को आधा करना और शहरवासियों के लिए “हरे और नीले” स्थानों तक पहुंच बढ़ाना शामिल है। नई तरीकों में प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण में प्रगति की निगरानी और निर्णय प्रक्रिया में स्थानीय निवासियों जैसे हितधारकों को शामिल करना प्रमुख है।
चीन: जीएम फसलों को अनुमति
चीन अनुवांशिक रूप से परिवर्तित (जीएम) मकई और सोयाबीन के पहले व्यवसायिक रोपण को 2022 के अंत तक अनुमति दे सकता है। वर्तमान में, पपीता एकमात्र खाद्य जीएम पौधा है जिसको चीन में स्वीकृति दी गई है। जीएम कपास की खेती व्यापक रूप से की जाती है और जीएम चिनार भी काफी उपलब्ध है। गौरतलब है कि चीन में पिछले 10 वर्षों से जीएम मकई और सोयाबीन पर अनुसंधान चल रहे हैं लेकिन जनता के विरोध और सावधानी के चलते इसे प्रयोगशाला तक ही सीमित रखा गया है। चीन में प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और पशु आहार के लिए बड़ी मात्रा में जीएम मकई और सोयाबीन आयात किए जाते हैं। इसके मद्देनज़र अधिकारियों ने घरेलू स्तर पर जीएम फसलों पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने का आह्वान किया है। चीन अनाज के मामले में आत्मनिर्भर है इसलिए जीएम चावल को अनुमति मिलने की संभावना फिलहाल कम है।
ग्लोबल वार्मिंग: मीथेन उत्सर्जन
नवंबर 2021 के जलवायु शिखर सम्मलेन में विश्व नेताओं ने 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में 30 प्रतिशत तक कटौती करने का संकल्प लिया है। इन संकल्पों पर कार्रवाई की निगरानी के लिए ज़रूरी उन्नत उपग्रहों को 2022 तक कक्षा में पहुंचाने का लक्ष्य है। एक गैर-मुनाफा संस्था एनवायरनमेंट डिफेंस फंड द्वारा विकसित मीथेनसैट को अक्टूबर में लॉन्च करने की उम्मीद है। यह धान व रिसती पाइपलाइन जैसे स्रोतों से उत्सर्जित मीथेन का पता लगाने की क्षमता से लैस होगा। कार्बन मैपर द्वारा विकसित दो अन्य उपग्रह न सिर्फ मीथेन बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की भी निगरानी करेंगे।
मलेरिया का टीका
अभी भी अफ्रीका में प्रति वर्ष 5 वर्ष से कम उम्र के ढाई लाख से ज़्यादा बच्चे मलेरिया से मारे जाते हैं। उम्मीद है कि 2022 में अफ्रीका के सभी देश मलेरिया के टीके से अनमोल जीवन को बचा सकेंगे। तीन दशकों के शोध के बाद आरटीएस,एस टीके को आखिरकार पिछले वर्ष अक्टूबर में मंज़ूरी मिल गई है। वैक्सीन एलायंस ने टीके खरीदकर लोगों तक पहुंचाने के लिए 2025 तक 15.5 करोड़ डॉलर खर्च करने का निर्णय लिया है। वैसे यह टीका अपूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है और गंभीर मलेरिया के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर को लगभग 30 प्रतिशत तक कम करता है। यह विशेष रूप से तब अधिक प्रभावी होता है जब इसे उच्च जोखिम वाले बरसात के मौसम में रोगनिरोधी रूप से दी जाने वाली मलेरिया-रोधी दवा के साथ दिया जाए।
वैसे अगले वर्ष यूएस के दो नीतिगत निर्णय भी वैज्ञानिक शोध को प्रभावित करेंगे। इनमें से एक का सम्बंध सरकारी वित्तपोषित शोध में चीन की भागीदारी से है तथा दूसरे का सम्बंध स्पष्ट रूप से समाजोपयोगी कहे जाने वाले शोध को बढ़ावा देने के लिए नई परियोजनाओं से है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.nature.com/articles/d41586-021-03772-0