यदि आपको किसी ऊंची जगह पर छोटे, सफेद बीजाणुओं से घिरी मृत मक्खी दिखे तो समझ जाइए कि यहां मौत का जाल बिछा हुआ है। ऐसी मक्खी पर एक फफूंद (कवक) का हमला हुआ था जिसने मक्खी के मस्तिष्क पर काबू किया और मक्खी को किसी ऊंची जगह पर जाकर बैठकर मरने को मजबूर किया ताकि फफूंद अपने बीजाणुओं को बिखराकर अधिक से अधिक स्वस्थ मक्खियों को संक्रमित कर सके। इससे भी विचित्र बात यह है कि नर मक्खियां उस फफूंद संक्रमित मृत मादा मक्खी के साथ संभोग करने की कोशिश भी करती हैं।
अब, एक ताज़ा अध्ययन से पता चला है कि यह फफूंद हवा में एक प्रेम-रस छोड़ती है जो मक्खियों को आकर्षित करके संक्रमण की संभावना बढ़ाता है।
पूर्व में कुछ शोधकर्ताओं ने नर घरेलू मक्खी को ऐसी मादा मक्खी के शव के साथ संभोग की कोशिश करते हुए देखा था, जो एंटोमोफथोरा म्यूसके नामक फफूंद के संक्रमण से मारी गईं थीं। लगता तो था कि इस तरह की कोशिश फफूंद को फैलने में मदद करती है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि क्या फफूंद नर मक्खियों को आकर्षित करने में कोई भूमिका निभाती है।
कोपेनहेगन युनिवर्सिटी के वैकासिक पारिस्थितिकीविद हेनरिक डी फाइन लिश्ट और एंड्रियास नौनड्रप हैनसेन ने जांच की कि क्या यह आकर्षण लैंगिक है और क्या फफूंद इसके लिए ज़िम्मेदार है।
इसके लिए उन्होंने मादा मक्खियों को फफूंद से संक्रमित किया और उनके मरने के ठीक बाद उन्हें एक-एक करके पेट्री डिश में रखा। और हर बार उन्होंने पेट्री डिश में एक स्वस्थ नर भी छोड़ा और देखा कि क्या नर मृत मादा के पास गया, कितनी देर मादा के नज़दीक रहा, और क्या उसने संभोग करने की कोशिश की? नियंत्रण के तौर पर उन्होंने एक अलग पेट्री डिश में असंक्रमित मादाएं रखीं जिन्हें ठंड से मारा गया था।
बायोआर्काइव्स में प्रकाशन-पूर्व नतीजों के अनुसार नर मक्खी ने स्वस्थ मादा की तुलना में संक्रमित मादा से संभोग करने की कोशिश पांच गुना अधिक की। नर का साधारण-सा संपर्क भी उसे संक्रमित करने के लिए पर्याप्त होता है हालांकि कभी-कभी ज़ोरदार संभोग बीजाणुओं का गुबार हवा में उड़ाता है।
इसके बाद, एक अन्य प्रयोग में शोधकर्ताओं ने स्वस्थ नर मक्खी के सामने दो मृत मादा मक्खी रखी – एक संक्रमित और दूसरी सामान्य। इस स्थिति में, नर ने अधिक बार संभोग की कोशिश की (बनिस्बत उस स्थिति के जब कोई मादा संक्रमित नहीं थी) लेकिन वे संक्रमित और असंक्रमित मादा में फर्क नहीं कर पाए। इस आधार पर नौनड्रप का अनुमान है कि फफूंद कोई रसायन छोड़ती है जो नर को संभोग के लिए उकसाता है।
अब शोधकर्ता जांचना चाहते थे कि क्या नर फफूंद के बीजाणुओं की ओर आकर्षित होते हैं? इसके लिए उन्होंने चार नर मक्खियों को एक छोटे प्रकोष्ठ में रखा। इस प्रकोष्ठ में दो अपारदर्शी पेट्री डिश थीं – एक में फफूंद के बीजाणुओं से सना कागज़ था और दूसरी में नहीं। प्रत्येक पेट्री डिश के ढक्कन में मक्खी के अंदर जाने के लिए एक छोटा सुराख था। 43 बार ऐसा हुआ कि चारों मक्खियां बीजाणु युक्त पेट्री डिश में गईं, जबकि चारों मक्खियां बीजाणु रहित पेट्री डिश में गई हों ऐसा मात्र 17 बार हुआ।
शोधकर्ताओं का अनुमान था कि नर मक्खी को फफूंद की तेज़ गंध आकर्षित करती है। अपने अनुमान की जांच के लिए शोधकर्ताओं ने मक्खी के एंटीना के सिरे पर एक इलेक्ट्रोड लगाकर दर्शाया कि फफूंद की महक के झोके से मस्तिष्क में विद्युत प्रवाह शुरू हो जाता है।
यह जानने के लिए कि फफूंद कौन से रसायन छोड़ते हैं, शोधकर्ताओं ने मृत मक्खियों से कई रसायनों पृथक किए। उन्होंने पाया कि स्वस्थ मक्खियों की तुलना में संक्रमित मक्खियों में कहीं अधिक रसायन मौजूद थे, और इनमें से कई रसायनों की उपस्थिति और प्रचुरता इस बात पर निर्भर करती थी कि मक्खी कितने समय से संक्रमित है। पूर्व में यह देखा जा चुका है कि इनमें से कुछ रसायन, जिन्हें मिथाइल-शाखित एल्केन्स कहा जाता है, नर घरेलू मक्खी को यौन-उत्तेजित करने में भूमिका निभाते हैं। लेकिन शोधकर्ता फफूंद के ऐसे आकर्षक रसायन की पहचान नहीं कर पाए हैं। यदि इन्हें प्रयोगशाला में बनाया जा सका तो ये घरेलू मक्खियों को फंसा कर मारने में उपयोगी हो सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.acx9529/full/_20211029_on_pathogenic-fungus2.jpg