यह तो अंदाज़ा था कि व्हेल जैसे विशाल प्राणी की भूख भी विशाल होगी। लेकिन कितनी विशाल? हाल ही में शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि बलीन व्हेल की खुराक अनुमान से तीन गुना अधिक है। इनके मुंह में कंघीनुमा छन्ना होता है, जिसे बलीन कहते हैं। यह समुद्र में तैरते हुए पानी के साथ अंदर आए अपने शिकार (छोटे-छोट क्रस्टेशियन जंतु और प्लवक) को छानकर ग्रहण करने में मदद करता है।
इस अध्ययन ने एक विरोधाभास को भी दूर कर दिया है। क्रस्टेशियन जंतुओं का जितनी मात्रा में ये व्हेल भक्षण करती हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि यदि व्हेल न हों तो इन नन्हें जंतुओं की आबादी बढ़ेगी। लेकिन वास्तव में शिकार के चलते समुद्रों में व्हेल की संख्या में गिरावट के बाद क्रस्टेशियन की संख्या में भी तेज़ गिरावट देखी गई है।
शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि ये व्हेल समुद्र में पोषक तत्वो का संवहन भी करती हैं: वे समुद्र के पेंदे से भोजन ग्रहण करती हैं और ऊपरी सतह पर आकर अपशिष्ट उत्सर्जित करती हैं, जिससे समंदर में पोषक तत्वों का चक्रण होता रहता है। यह क्रस्टेशियन्स के लिए पोषण का महत्वपूर्ण स्रोत होता है। इसलिए व्हेल के जाने पर क्रस्टेशियन्स को पोषण मिलना भी बंद हो गया।
युनिवर्सिटी ऑफ हॉपकिंस मरीन स्टेशन के पारिस्थितिकीविद मैथ्यू सावोका यह पता लगाना चाहते थे कि व्हेल के पेट में कितना प्लास्टिक चला जाता है? लेकिन पहले उन्हें एक अधिक बुनियादी सवाल का जवाब पता लगाना पड़ा: व्हेल की कुल खुराक कितनी है? क्योंकि अब तक इस सम्बंध में मोटे-मोटे अनुमान ही लगाए गए थे।
सवोका और उनके दल ने ड्रोन, इको-साउंडिंग उपकरण और सक्शन कप ट्रैकिंग डिवाइस की मदद से 321 व्हेल पर नज़र रखी। नौ वर्ष (2010-19) चले इस अध्ययन में उन्होंने अटलांटिक, प्रशांत और दक्षिणी महासागर की सात व्हेल प्रजातियों का भोजन सम्बंधी डैटा जुटाया। पूरी प्रक्रिया काफी कठिन थी।
नेचर पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों के अनुसार बलीन व्हेल अनुमान से तीन गुना अधिक भोजन गटकती हैं। उदाहरण के लिए, उत्तरी प्रशांत की ब्लू व्हेल एक दिन में औसतन 16 टन छोटे क्रस्टेशियंस खा जाती है – लगभग दो ट्रक भरकर। इसी प्रकार से, धनुषाकार सिर वाली व्हेल प्रतिदिन लगभग 6 टन जंतु-प्लवक खाती है। इस आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि बीसवीं सदी में बड़े पैमाने पर व्हेल का शिकार शुरू होने से पहले दक्षिणी महासागर की बलीन व्हेल प्रति वर्ष लगभग 43 करोड़ टन क्रस्टेशियन्स खा जाती थीं।
अध्ययन में विशेष रूप से यह भी देखा गया कि व्हेल अनुमान से अधिक लौह जैसे पोषक तत्वों का उत्पादन और मिश्रण करती हैं। परिणामस्वरूप समुद्री खाद्य शृंखला की बुनियाद – प्रकाश संश्लेषक प्लवक – की संख्या में वृद्धि होती है। जिसका अर्थ है व्हेल के लिए अधिक क्रस्टेशियन्स और शिकार के लिए अधिक मछलियां उपलब्ध होना। इसके अलावा प्रकाश संश्लेषण अधिक होने से वातावरण में से कार्बन डाईऑक्साइड भी अधिक अवशोषित होगी।
यह अध्ययन ध्यान दिलाता है कि व्हेल का शिकार महासागरों को प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों तरह से प्रभावित करता है और पारिस्थितिकी काफी पेचीदा मामला है। (स्रोत फीचर्स)
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