मुख्य रूप से अफ्रीका में पाए जाने वाले अफ्रीकी बाओबाब या गोरखचिंच वृक्ष पृथ्वी पर पाए जाने वाले विचित्र वृक्षों में से हैं। इनका तना बोतल या किसी मर्तबान की तरह होता है – अंदर से खोखला। अब वैज्ञानिकों ने जिम्बाब्वे के विक्टोरिया फॉल्स स्थित प्रसिद्ध बाओबाब वृक्ष बिग ट्री की उम्र पता कर ली है।
बिग ट्री ज़मीन के ऊपर लगभग 25 मीटर ऊंचा है। इसमें पांच मुख्य तने, तीन युवा तने और एक जाली तना है, जो मिलकर इसे एक छल्ले जैसा आकार देते हैं। दरअसल, अन्य वृक्षों की तुलना में बाओबाब वृक्ष की उम्र पता करना थोड़ा पेचीदा काम है। सामान्यत: वृक्षों के वार्षिक वलयों की गिनती के आधार पर उनकी उम्र निर्धारित की जाती है। लेकिन बाओबाब के वृक्ष कुछ वर्ष तो कोई वलय नहीं बनाते और कुछ वर्ष एक से अधिक वलय बनाते हैं इसलिए सिर्फ वलय गिनकर इनकी उम्र पता नहीं लगती।
इसलिए शोधकर्ताओं ने रेडियोकार्बन डेटिंग विधि की ओर रुख किया। उन्होंने बिग ट्री से लिए गए नमूनों में कार्बन के दो समस्थानिकों का अनुपात पता किया। इनमें से एक समस्थानिक (कार्बन-14) अस्थिर होता है जबकि दूसरा (कार्बन-12) टिकाऊ होता है। विधि का आधार यह है कि वायुममडल में जो कार्बन डाईऑक्साइड पाई जाती है उसमें कार्बन-14 का एक निश्चित अनुपात होता है। इसी कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण में करते हैं। इसलिए जब तक वे जीवित हैं उनमें कार्बन-14 का वही स्तर मिलता है। मृत हो जाने पर कार्बन-14 का एक निश्चित गति से विघटन होता रहता है, इसलिए उसका अनुपात कम होता जाता है। तो कार्बन-14 और कार्बन-12 के अनुपात से बताया जा सकता है कि कोई ऊतक कब मृत हो गया था। पाया गया कि बाओबाब के तने तीन अलग-अलग समय के हैं: 1000-1100 वर्ष, 600-700 वर्ष, और 200-250 वर्ष पुराने। डेंड्रोक्रोनोलॉजिया में शोधकर्ता ने बताया है कि सबसे प्राचीन तना लगभग 1150 साल पुराना है।
बाओबाब की यह उम्र पूर्व में बाओबाब के आकार के आधार निर्धारित की गई उम्र से अधिक है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इस वृक्ष की अपेक्षाकृत धीमी वृद्धि का कारण इस क्षेत्र में लगातार आने वाले तूफान हैं।
शोधकर्ताओं का सुझाव है कि रेडियोकार्बन तकनीक का उपयोग जटिल वृद्धि वाले पेड़ों की उम्र पता करने के लिए किया जा सकता है। इस तरह के वृक्षों की उम्र निर्धारित करना इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि इससे पता चलता है कि इन्होंने अतीत में जलवायु परिवर्तन को किस तरह झेला है – हाल के वर्षों में संभवत: जलवायु परिवर्तन के चलते हर छह में से पांच विशाल अफ्रीकी बाओबाब की मृत्यु हुई है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.acx9629/full/_20211110_on_zimbabwebigtree-finally-gets-an-age.jpg