एक नए अध्ययन में पता चला है कि मादा वैम्पायर चमगादड़ रात का भोजन अपने साथियों के साथ करना पसंद करती हैं। इसके लिए वे रात को शिकार के दौरान एक विशेष ध्वनि निकालती हैं। लगता है कि इससे उनको रक्तभोज हासिल करने के दौरान समय और उर्जा बचाने में मदद मिलती है। यह वैम्पायर चमगादड़ों में आपसी सामाजिक सहयोग को समझने में मदद कर सकता है।
गौरतलब है कि वैम्पायर चमगादड़ बड़े-बड़े समूह में गुफाओं या खोखले पेड़ों में रहते हैं। समूह में मां-बेटी के जोड़े, युवा नर और अस्थायी नर होते हैं जो संभोग के लिए इन समूहों में शामिल होते हैं। ओहायो स्टेट युनिवर्सिटी के इकॉलॉजिस्ट गेराल्ड कार्टर बताते हैं कि चमगादड़ जीवों के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए एक बेहतरीन मॉडल है। खास तौर से इसलिए कि ये छोटी और बंद जगहों में रहते हैं और अपने सम्बंधियों और असम्बंधित दोस्तों के साथ घनिष्ठ सम्बंध बनाते हैं।
कार्टर द्वारा पूर्व में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि मादा वैम्पायर चमगादड़ जमघट जमाने के दौरान अपने सबसे अच्छे साथियों के साथ समय बिताती हैं। यहां तक कि दोनों अपने मुंह का भोजन एक-दूसरे को देते हैं। इन सम्बंधों का अध्ययन करने के लिए कार्टर ने स्मिथसोनियन ट्रॉपिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता साइमन रिपरगर द्वारा तैयार किए गए सेंसर की सहायता से चमगादड़ों की निगरानी की ताकि यह पता लगाया जा सके कि चमगादड़ एक-दूसरे से कितना करीब हैं।
कार्टर की टीम ने टॉले, पनामा के एक खोखले पेड़ में रहने वाले 200 चमगादड़ों के समूह में से 50 मादा चमगादड़ों को पकड़ा। इनमें से 23 चमगादड़ों को पहले शोधकर्ता पकड़कर उनका अवलोकन कर चुके थे जबकि 27 पूरी तरह जंगली थे। चमगादड़ों पर बहुत ही सावधानी से सेंसर लगाए गए जो हर दो सेकंड में उनकी स्थिति का डैटा प्रसारित करते थे। इससे यह जानने में मदद मिली कि ये चमगादड़ कितना समय एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। टीम ने भोजन तलाश के 586 मामले दर्ज किए।
प्लॉस बायोलॉजी में प्रकाशित डैटा के अनुसार चमगादड़ आम तौर पर भोजन की तलाश में अपना बसेरा अलग-अलग समय पर छोड़ते हैं, भोजन के लिए वे एक साथ मिलते हैं और फिर अलग-अलग रास्ते पर निकल जाते हैं। पूर्व में शोधकर्ताओं का मानना था कि यदि वे मिलकर भोजन की तलाश कर रहे हैं तो वापस भी एक साथ ही आएंगे। लेकिन देखा गया कि भोजन की तलाश में निकलने और अपने पसंदीदा साथियों की तलाश करने की प्रक्रिया काफी जटिल है जिसके लिए उच्च स्तर के सामाजिक सहयोग की आवश्यकता होती है।
इसके बाद टीम ने चमगादड़ों के रक्त के पसंदीदा स्रोत ‘पशुओं के झुंड’ पर रात के समय अध्ययन किया। इन्फ्रारेड कैमरा और माइक्रोफोन की मदद से रिपरगर द्वारा बनाए गए विडियोज़ में चमगादड़ों के आपसी संपर्क के 14 मामले देखने को मिले। इन अवलोकनों को सेंसर द्वारा प्राप्त डैटा के साथ देखने पर महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए। इससे यह जानने में मदद मिली कि जब चमगादड़ एक साथ होते हैं तो क्या करते हैं।
रिपरगर ने जाने-माने सामाजिक कॉल और भोजन के लिए विशिष्ट आवाज़ भी रिकॉर्ड की जो पहले नहीं सुनी गई थी। ऐसा लगता है कि ये ध्वनियां चमगादड़ों को अपनी कॉलोनियों को छोड़ने के बाद एक-दूसरे की पहचान करने में मदद करती हैं और यहां तक कि भोजन के लिए संकेत देने में मदद करती हैं। सामाजिक सहयोग में इन ध्वनियों की भूमिका और गहन अध्ययन से ही स्पष्ट हो पाएगी। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.acx9192/full/_20210925_on_batsociallives.jpg