हाल ही में देखा गया है कि प्रदूषण के कारण विशाल सीप (क्लैम) अपने पूर्वजों की अपेक्षा तेज़ी से वृद्धि करती हैं।
प्रदूषण और समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण कोरल रीफ का पारिस्थितिकी तंत्र तबाह हो रहा है। लेकिन कोरल को तबाह करने वाली स्थितियां उत्तरी लाल सागर में पाई जाने वाली विशाल सीप को बढ़ने में मदद कर रही हैं।
विशाल सीप पश्चिमी प्रशांत महासागर और हिंद महासागर की उथली चट्टानों में पाई जाती हैं। वृद्धि के दौरान उनकी खोल पर पट्टियां बनती जाती हैं जो उनकी वार्षिक वृद्धि, यहां तक कि दैनिक वृद्धि, को दर्शाती हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डैनियल किलम और उनके साथियों ने लाल सागर के उत्तरी छोर से एकत्रित विशाल सीप की आधुनिक और जीवाश्मित तीन प्रजातियों (ट्राइडेकना स्क्वामोसा, टी. मैक्सिमा और टी. स्क्वामोसिना) के कवच में विकास पट्टियों का विश्लेषण किया।
पाया गया कि आधुनिक विशाल सीप प्राचीन विशाल सीप की तुलना में तेज़ी से बढ़ती हैं। सीप के कवच के कार्बनिक पदार्थों के विश्लेषण से पता चला कि आधुनिक सीप प्रदूषण कारक नाइट्रेट को खाती है, जो सीप की कोशिकाओं पर रहने वाली सहजीवी शैवाल को भी बढ़ने में मदद करती है जिससे उन्हें अतिरिक्त र्इंधन मिल जाता है। इसके अलावा, ठंड कम होने और मौसमी तूफानों में कमी भी सीप के विकास में मदद करती है। लेकिन सीप की तेज़तर वृद्धि उनके समग्र स्वास्थ्य में सुधार को प्रतिबिंबित नहीं करती है।(स्रोत फीचर्स)
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