हालिया अध्ययन बताता है कि जीव-जगत में सबसे चमकदार हरी चमक जुगनू की नहीं होती, बल्कि एशिया में पाई जानी वाली पेपर ततैया के छत्ते हरे रंग में सबसे तेज़ चमकते हैं। जर्नल ऑफ दी रॉयल सोसाइटी इंटरफेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह प्रकाश ततैया के लार्वा (जीनस पॉलिस्टेस) द्वारा ककून में बुने रेशम प्रोटीन से निकलता है। इस चमक को पराबैंगनी रोशनी में 20 मीटर दूर से देखा जा सकता है।
शोधकर्ताओं को लगता है कि छत्ते की यह चमक संध्या के समय ततैया को घर वापसी में मदद करती है – जब शाम गहराने लगती है लेकिन हल्की पराबैंगनी रोशनी होती है। पोलिस्टेस 540 नैनोमीटर तरंग दैर्घ्य तक का प्रकाश देख सकते हैं, और ककून से निकलने वाला हरा प्रकाश इसी तंरग दैर्घ्य का होता है।
यह भी संभावना है कि यह फ्लोरेसेंट प्रोटीन सूर्य के पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित कर लेता है और विकसित होते लार्वा को इस हानिकारक विकिरण से बचाता है। संभवत: फ्लोरेसेंस लार्वा की वृद्धि में भी मदद करता है: शोधकर्ता बताते हैं कि कई पोलिस्टेस प्रजातियों की वृद्धि जंगल में बरसात के मौसम के दौरान होती हैं, जब अक्सर धुंध या बादल छाए रहते हैं। तब यह ककून लैम्प धुंध में ततैयों को सूर्य का अंदाज़ा देता है; ककून की हरी रोशनी ततैयों द्वारा दिन-रात चक्र का तालमेल बनाए रखने में उपयोग की जाती होगी, जो उनके उचित विकास में महत्वपूर्ण है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.abm0832/full/_20210824_on_glowing_waspnest.jpg