लगभग डेढ़ साल से बच्चे घर पर हैं। और तब से उनकी शिक्षा और मनोरंजन डिजिटल स्क्रीन में सिमट गए हैं। इसका मतलब है कि वे अधिक समय तक मोबाइल फोन देख रहे हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद से 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मायोपिया (निकट दृष्टिता) के मामले बढ़े हैं। यह आंखों का ऐसा विकार है जिसमें दूर की चीज़ें देखने में कठिनाई होती है।
अग्रवाल आई हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों में ‘भेंगेपन’ के मामले भी अधिक देखे जा रहे हैं। एक निजी अस्पताल में सलाहकार नेत्र रोग विशेषज्ञ पलक मकवाना के अनुसार, ‘हमारे आंकड़े बताते हैं कि इस महामारी दौरान 5-15 वर्ष की उम्र के बच्चों में मायोपिया के मामलों में 100 प्रतिशत वृद्धि और भेंगापन के मामलों में पांच गुना वृद्धि हुई है।’
डॉ. मकवाना बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान कंप्यूटर, लैपटॉप, और मोबाइल फोन या टैबलेट के माध्यम से काम हुआ, और इस दौरान बार-बार ब्रेक भी नहीं लिए गए। शैक्षणिक व अन्य उद्देश्यों से स्क्रीन को घूरने के समय में काफी वृद्धि हुई है। आंखों पर पड़ने वाला यह तनाव भेंगेपन का कारण हो सकता है और मायोपिया को बढ़ावा देता है।
सलाहकार नेत्र रोग विशेषज्ञ टी. श्रीनिवास ने बताते हैं कि कोविड-19 महामारी की वजह से इस समस्या में तेज़ी आई है। चूंकि खुद को और परिवार को सुरक्षित रखना ही लोगों की सर्वोच्च प्राथमिकता थी इसलिए लोग नेत्र रोग विशेषज्ञों सहित अन्य चिकित्सकों से भी मुलाकात से बचते रहे। वे आगे बताते हैं, ‘बच्चों का नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाना नहीं हो पाने की वजह से कई बच्चे नामुनासिब पॉवर का चश्मा पहनते रहे, जिससे उनकी आंखों पर ज़ोर पड़ा। इससे उनकी नज़र और भी कमज़ोर हुई। बिना ब्रेक लिए लगातार डिजिटल स्क्रीन पर काम ने इस समस्या को और बढ़ाया। अक्सर 21 वर्ष की आयु तक नेत्रगोलक की साइज़ बदलती है। आम तौर पर बढ़ती उम्र में चश्मे का नंबर बदलता है। गलत नंबर वाले चश्मों का उपयोग और अधिक समय डिजिटल स्क्रीन पर बिताने से दृष्टि और भी कमज़ोर हो सकती है।’
मौजूदा हालात में, ऑनलाइन कक्षाओं से बचा नहीं जा सकता है। इसलिए डॉ. मकवाना का सुझाव है कि बच्चे कक्षा में शामिल होने के लिए मोबाइल फोन की बजाय लैपटॉप या डेस्कटॉप का उपयोग करें क्योंकि बड़ी स्क्रीन और आंखों के बीच की दूरी अधिक होती है। इसके अलावा, स्वस्थ और संतुलित आहार के साथ-साथ मैदानी खेल खेलने और दिन में एक से दो घंटे धूप में रहने की सलाह दी जाती है।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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