जब जीव अपने लिए प्रणय-साथी, अधिकार क्षेत्र या स्थान के लिए एक-दूसरे से लड़ते हैं, तो नज़ारा दर्शनीय व डरावना होता है। हाल ही में वैज्ञानिकों को इस बात के सबूत मिले हैं कि टायरेनोसॉरस रेक्स जैसे डायनासौर भी ऐसा ही करते थे, और इस लड़ाई में वे एक-दूसरे के चेहरे पर काटते थे।
शोधकर्ताओं ने विभिन्न तरह के डायनासौर (थेरापॉड) की 528 जीवाश्मित खोपड़ियों का विश्लेषण किया। इनमें से 122 खोपड़ियों पर उन्हें काटने के गहरे निशान और ठीक हो चुके घावों के निशान मिले। ये निशान लगभग 60 प्रतिशत वयस्क डायनासौर में दिखाई दिए, लेकिन किसी भी कम उम्र डायनासौर में नहीं दिखे। पैलियोबायोलॉजी में शोधकर्ता बताते हैं कि इससे पता चलता है कि डायनासौर एक-दूसरे को तभी काटते थे जब वे किशोरावस्था पार कर जाते थे (यानी यौन परिपक्वता पर पहुंच जाते थे)। लगभग इसी समय वे अपने लिए प्रणय-साथियों की तलाश में होते थे या अपना सामाजिक प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश कर रहे होते थे।
काटने के निशान की जगह से पता चलता है कि लड़ाई में डायनासौर अधिकतर प्रतिद्वंदी को थोड़ा बाजू से काटते थे, जिसमें दोनों डायनासौर थोड़ा सिर झुकाकर अपने प्रतिद्वंद्वी की खोपड़ी या निचला जबड़ा दबोचते थे।
शोधकर्ताओं ने उन छोटे आकार के डायनासौर की खोपड़ी की भी जांच की, जिनसे आज के सभी पक्षी विकसित हुए हैं। लेकिन इनमें से किसी भी डायनासौर के चेहरे पर काटने के निशान नहीं थे। इससे लगता है कि अपने वंशज पक्षियों की तरह इन डायनासौर ने भी मादाओं के लिए हिंसक तरीके से लड़ना बंद कर दिया था, और इसकी बजाय वे मादाओं को अपने चमकदार पंखों से लुभाने लगे थे। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.acx9081/full/_20210910_on_trexlovebites.jpg