वायरस की मदद से परजीवी ततैया पर पतंगों और तितलियों के दो बड़े दुश्मन हैं – परजीवी ततैया और वायरस। ये एक दूसरे से संघर्ष भी करते हैं। एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि कुछ वायरस संक्रमण के बाद पतंगों और तितलियों में अपने जीन्स स्थानांतरित करते हैं जिससे वे परजीवी का सफाया करने वाले प्रोटीन बनाने लगते हैं।
गौरतलब है कि ततैया और मक्खियों की कई प्रजातियां अन्य कीड़ों के अंदर अपने अंडे देती हैं जिससे उनकी संतानों को भोजन का स्रोत और विकास के लिए एक सुरक्षित स्थान मिल जाता है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में मेज़बान जीव की जान चली जाती है। लेकिन आर्मीवर्म, कटवर्म और कैबेज बटरफ्लाई जैसी कुछ प्रजातियों में कुछ ततैया के प्रति प्रतिरोध देखा गया है।
मामले की छानबीन के लिए टोकियो युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नॉलॉजी की कीटविज्ञानी मडोका नकाई और उनकी टीम ने पहले नॉर्थ आर्मीवर्म लार्वा को सामान्य पॉक्स वायरस से संक्रमित किया और फिर विभिन्न परजीवी ततैया प्रजातियों से संपर्क करवाया। असंक्रमित लार्वा परजीवियों के शिकार हो गए, जबकि वायरस-संक्रमित लार्वा और उनके प्लाज़्मा ने मीटियोरस पल्चीकॉर्निस के अलावा, लगभग सभी परजीवियों को खत्म कर दिया। शोधकर्ताओं ने संक्रमित आर्मीवर्म में दो प्रोटीन्स की भी पहचान की, जिसे उन्होंने पैरासीटॉइड किलिंग फैक्टर (PKF) नाम दिया। उन्हें लगता है कि यह परजीवी के लिए विषैला हो सकता है।
इसके बाद युनिवर्सिटी ऑफ वालेंसिया के कीट विज्ञानी साल्वेडोर हेरेरो और सहयोगियों ने कीट-संक्रामक वायरस और पतंगे व तितली दोनों में वे जीन्स खोज निकाले जो PKF का निर्माण कर सकते हैं। विश्लेषण से पता चलता है कि PKF जीन कई बार वायरस से इन कीटों में स्थानांतरित हुआ है। यानी वायरस से संक्रमित होने के बाद भी कोई कीट जीवित रहे तो उसे ऐसा जीन मिल जाता है जो परजीवी से रक्षा करता है।
PKF प्रोटीन की भूमिका की बात सुनिश्चित करने के लिए युनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के आणविक जीवविज्ञानी डेविड थीलमन और उनके सहयोगियों ने आर्मीवर्म्स को दो वायरसों से संक्रमित किया। उन्होंने पाया कि संक्रमित आर्मीवर्म्स ततैया लार्वा को रोकने में सफल रहे। इसके अलावा, बीट आर्मीवर्म जिनके स्वयं के जीन PKF का निर्माण करते हैं, भी परजीवियों को मारने में सक्षम थे। जब PKF बनाने वाले जीन को खामोश कर दिया, तो कई परजीवी जीवित रहे। अर्थात परजीवियों को मारने में PKF की भूमिका है। रिपोर्ट साइंस में प्रकाशित हुई है।
PKF से परजीवी कैसे मरते हैं यह पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ततैया लार्वा को संक्रमित नार्थ आर्मीवर्म प्लाज़्मा के संपर्क में रखा। पता चला कि PKF ने प्रभावित कोशिकाओं को तहस-नहस कर दिया था।
इस अध्ययन से शोधकर्ताओं को फसलों और जंगलों में लार्वा-परजीवियों के रूप में उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोध को समझने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इसकी जटिलता को समझने के लिए अभी और अध्ययन की आवश्यकता है। फिर भी, इन नए प्रोटीन्स की पहचान से आगे का रास्ता तो मिला है। शोधकर्ता वायरस-मेज़बान-परजीवी के पारस्परिक प्रभाव को जांचना चाहते हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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