मकई और अन्य प्रमुख फसलों का विपुल उत्पादन संकरण तकनीक पर निर्भर है। जब अलग-अलग अंत:जनित किस्मों का संकरण किया जाता है तो पैदा होने वाली नस्ल लंबी और मज़बूत होती है तथा अधिक पैदावार देती है। इसे संकर ओज कहते हैं और इसके कारणों को भलीभांति समझा नहीं गया है। हाल ही में शोधकर्ताओं ने इसके पीछे मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों की भूमिका की संभावना जताई है, जो शायद पौधे की प्रतिरक्षा प्रणाली के माध्यम से अपना असर दिखाते हैं।
20वीं सदी की शुरुआत में, जीव विज्ञानियों ने संकर बीजों का निर्माण करके इस प्रभाव को कृषि क्षेत्र में लागू किया था। 1940 के दशक तक, अमेरिका के लगभग सभी किसानों ने संकर मकई लगाना शुरू किया जिसके परिणामस्वरूप फसल में कई गुना वृद्धि हुई। संकर ओज के बारे में कई सिद्धांत दिए गए हैं लेकिन अब तक कोई निश्चित व्याख्या नहीं मिल सकी है।
इसे समझने के लिए युनिवर्सिटी ऑफ कैन्सास की पादप आनुवंशिकीविद मैगी वैगनर और उनके साथियों ने सोचा कि शायद इसमें सूक्ष्मजीवों की भूमिका होगी। वास्तव में इन सूक्ष्मजीवों का पौधों पर प्रभाव काफी व्यापक होता है। जैसे लाभदायक बैक्टीरिया और कवक अक्सर पत्तियों और जड़ों में बसेरा बनाते हैं और पौधे को रोगजनक सूक्ष्मजीवों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। सोयाबीन और अन्य फलियों वाली फसलें ऐसे सूक्ष्मजीवों की मेज़बानी करती हैं जो नाइट्रोजन उपलब्ध कराते हैं।
पिछले वर्ष वैगनर ने संकर मकई की पत्तियों और जड़ों में ऐसे सूक्ष्मजीव पाए थे जो मकई की अंत:जनित किस्म से भिन्न थे। वैगनर ने प्रयोगशाला में इस निष्कर्ष को दोहराने की कोशिश की। उन्होंने मिट्टी जैसे पदार्थ से भरी थैलियों में बीज लगाए। इस मिट्टी को पूरी तरह सूक्ष्मजीव रहित (स्टेरिलाइज़) कर दिया गया था। फिर कुछ थैलियों में मृदा बैक्टीरिया का एक सामान्य समूह (मकई की जड़ों में सामान्यत: पाए जाने वाले सात स्ट्रेन) मिलाया जबकि अन्य बैग्स को स्टेरिलाइज़ ही रहने दिया।
अपेक्षा के अनुरूप, सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति में संकर बीज की पैदावार अधिक हुई – उनकी जड़ें अंत:जनित किस्म की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक वज़नी थीं। प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार आश्चर्यजनक रूप से सूक्ष्मजीव-रहित मिट्टी में संकर और अंत:जनित, दोनों किस्मों का विकास एक जैसा रहा।
वैगनर के अनुसार संभवत: संकर पौधे सूक्ष्मजीवों से अलग प्रकार से अंतर्क्रिया करते हैं। परिणामों के आधार पर टीम ने मत व्यक्त किया है कि सूक्ष्मजीवों ने संकर किस्म को बढ़ावा नहीं दिया बल्कि अंत:जनित किस्मों के विकास को धीमा किया।
हो सकता है कि अंत:जनित किस्मों की प्रतिरक्षा प्रणाली लाभदायक सूक्ष्मजीवों के प्रति अधिक प्रतिक्रिया देती है जिसका प्रतिकूल असर उनके विकास पर पड़ता है। दूसरी ओर, संकर पौधे मृदा के कमज़ोर रोगजनकों से बचाव में बेहतर होते हैं। इस विचार पर और अध्ययन की ज़रूरत है। फिर भी कुछ विशेषज्ञों के अनुसार ये परिणाम दर्शाते हैं कि पौध प्रजनकों को फसल की आनुवंशिकी और उस क्षेत्र के मृदा सूक्ष्मजीवों के बीच तालमेल बनाना चाहिए ताकि खेती को अधिक उत्पादक और टिकाऊ बनाया जा सके। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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