दुनिया पृथ्वी की सतह के नीचे भी सूक्ष्मजीवों का एक संसार बसता है। हाल ही में हुआ एक अध्ययन बताता है कि इनमें से कुछ सूक्ष्मजीव पृथ्वी के अंदर जाकर ज़ब्त होने वाले कार्बन में से काफी मात्रा में कार्बन चुरा लेते हैं और नीचे के प्रकाश-विहीन पर्यावरण में र्इंधन के रूप में उपयोग करते हैं। सूक्ष्मजीवों की इस करतूत का परिणाम काफी नकारात्मक हो सकता है। जो कार्बन पृथ्वी की गहराई में समा जाने वाला था और कभी वापस लौटकर वायुमंडल में नहीं आता, वह इन सूक्ष्मजीवों की वजह से कम गहराई पर ही बना रह जाता है। यह भविष्य में वायुमंडल में वापस आ सकता है और पृथ्वी का तापमान बढ़ा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पृथ्वी की गहराई में चल रहे कार्बन चक्र को समझने में अब तक इन सूक्ष्मजीवों की भूमिका अनदेखी रही थी।
वैसे तो मानव-जनित कार्बन डाईऑक्साइड पृथ्वी के भावी तापमान में निर्णायक भूमिका निभाएगी लेकिन पृथ्वी में एक गहरा कार्बन चक्र भी है जिसकी अवधि करोड़ों साल की होती है। दरअसल, धंसान क्षेत्र में पृथ्वी की एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धंसती हैं और पृथ्वी के मेंटल में पहुंचती हैं। धंसती हुई प्लेट अपने साथ-साथ कार्बन भी पृथ्वी के अंदर ले जाती हैं। यह लंबे समय तक मैंटल में जमा रहता है। इसमें से कुछ कार्बन ज्वालामुखी विस्फोट के साथ वापस वायुमंडल में आ जाता है। लेकिन पृथ्वी के नीचे पहुंचने वाला अधिकतर कार्बन वापस नहीं आता, और क्यों वापस नहीं आता यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं था।
2017 में कोस्टा रिका के 20 विभिन्न गर्म सोतों से निकलने वाली गैसों और तरल का अध्ययन करते समय युनिवर्सिटी ऑफ टेनेसी की सूक्ष्मजीव विज्ञानी केरेन लॉयड और उनके साथियों ने पाया था कि पृथ्वी के नीचे जाने वाली कुछ कार्बन डाईऑक्साइड चट्टानों में बदल जाती है, जो मैंटल की गहराई तक कभी नहीं पहुंचती और वापस वायुमंडल में भी नहीं आती। ये सोते उस धंसान क्षेत्र से 40 से 120 किलोमीटर ऊपर स्थित है जहां कोकोस प्लेट सेंट्रल अमेरिका के नीचे धंस रही है। इसके अलावा उन्हें यह भी संकेत मिले थे कि जितनी कार्बन डाईऑक्साइड चट्टान में बदल रही है उससे अधिक कार्बन डाईऑक्साइड कहीं और रिस रही है।
नमूनों का बारीकी से विश्लेषण करने पर शोधकर्ताओं ने ऐसी रासायनिक अभिक्रियाओं के संकेत पाए हैं जिन्हें केवल सजीव ही अंजाम देते हैं। उन्हें नमूनों में कई ऐसे बैक्टीरिया मिले हैं जिनमें इन रासायनिक अभिक्रियाओं को अंजाम देने वाले आवश्यक जीन मौजूद हैं। नमूनों से प्राप्त कार्बन समस्थानिकों के अनुपात से पता चलता है कि सूक्ष्मजीव इन धंसती प्लेटों से कार्बन डाईऑक्साइड चुरा लेते हैं और इसे कार्बनिक कार्बन में बदलकर इसका उपयोग करके फलते-फूलते हैं।
नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ कोस्टा रिका के नीचे रहने वाले सूक्ष्मजीव हज़ारों ब्लू व्हेल के द्रव्यमान के बराबर कार्बन प्रति वर्ष चुरा लेते हैं, जो कभी न कभी वापस वायुमंडल में पहुंच जाएगा और पृथ्वी का तापमान बढ़ाएगा। हालांकि अभी इन नतीजों की पुष्टि होना बाकी है, लेकिन यह अध्ययन भविष्य में पृथ्वी के तापमान में होने वाली वृद्धि में सूक्ष्मजीवों की भूमिका को उजागर करता है और ध्यान दिलाता है कि यह पृथ्वी के तापमान सम्बंधी अनुमानों को प्रभावित कर सकती है।
इसके अलावा शोधकर्ताओं को वे सूक्ष्मजीव भी मिले हैं जो कार्बन चुराने वाले बैक्टीरिया के मलबे पर निर्भर करते हैं। शोधकर्ता यह भी संभावना जताते हैं कि कोस्टा रिका के अलावा इस तरह की गतिविधियां अन्य धंसान क्षेत्रों के नीचे भी चल रही होंगी। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.sciencemag.org/sites/default/files/styles/article_main_image_-1280w__no_aspect/public/Deep_earth_microbes_1280x720.jpg?itok=aqFREKgQ