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पृथ्वी का विशालतम जीव – डॉ. किशोर पंवार, भरत नागेश

पने तरह-तरह के जीव-जंतु देखे होंगे या इनके बारे में सुना होगा – अति सूक्ष्म जीवाणु से लेकर विशालकाय नीली व्हेल तक। पर यहां जिस जीव की बात करेंगे, आपने शायद ही कभी उसके बारे में सुना होगा। यदि हम आपसे प्रश्न करें कि इस पृथ्वी का सबसे बड़े जीव कौन है, तो आपकी जानकारी के अनुसार इसका उत्तर जिराफ, हाथी या ब्लू व्हेल या फिर सिकोया पेड़ होगा।

ब्लू व्हेल समुद्र में पाई जाती है जिसकी लंबाई लगभग 30 मीटर तथा वज़न 173 टन तक हो सकता है। यह संसार का सबसे बड़ा स्तनधारी जीव है। इसी तरह सिकोया पेड़ है जो उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है, इसकी लंबाई लगभग 115 मीटर तथा चौड़ाई 10 मीटर तक हो सकती है। यह संसार का सबसे लंबा पेड़ है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि ये दोनों ही पृथ्वी के विशालतम जीवों में से नहीं है। तो फिर कौन है?

आपके मन में यह सवाल भी आ रहा होगा कि विशालतम जीव का निर्धारण कैसे किया जाता है? इसके निर्धारण को लेकर वैज्ञानिक समुदाय में कुछ मतभेद हैं फिर भी कुछ पहलुओं के आधार पर इसका निर्धारण संभव है। जैसे, किसी जीव का परिमाप, क्षेत्रफल, लंबाई, ऊंचाई। यहां तक कि जीनोम के आकार के द्वारा भी इसका निर्धारण किया जा सकता है। चींटियों और मधुमक्खियों जैसे कुछ जीव साथ मिलकर सुपरऑर्गेनिज़्म का निर्माण करते हैं। लेकिन ये एकल जीव नहीं हैं। दी ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया की सबसे बड़ी संरचना है जो 2000 किलोमीटर तक फैली है लेकिन इसमें कई प्रजातियों के जीव हैं।

वज़न के हिसाब से इस पृथ्वी का सबसे बड़ा ज्ञात जीव है – पंडो। शुद्ध वज़न के मामले में पंडो सबसे ऊपर है। पंडो का लैटिन भाषा में मतलब ‘I Spread’  (यानी मैं फैलता हूं) है। इसे ट्रेम्बलिंग जाएंट (कंपायमान दैत्य) या एस्पेन के नाम से भी जाना जाता है। पंडो संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिण मध्य ऊटा में कोलेरैडो पठार के पश्चिम छोर पर फिशलेक राष्ट्रीय उद्यान में है। लेकिन आप यदि इस जीव के बारे में पढ़े बिना इसे खोजने जाएंगे तो ढूंढना थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि यह एक पेड़ है। एक पेड़ को ढूंढना इतना मुश्किल क्यों है? तो आपको बता दें कि यह पेड़ देखने में एक जंगल के समान ही है। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से पंडो एक पेड़ है जिसके क्लोनों के समुदाय 5 किलोमीटर तक फैले हो सकते हैं। आनुवंशिक शोधकर्ताओं द्वारा इसे एकल जीव के रूप में चिंहित किया गया है। यह लगभग 108 एकड़ में फैला है जिसका वजन लगभग 6000 टन (60,00,000 कि.ग्रा.) हो सकता है। यह सबसे बड़े विशालकाय सिकोया पेड़ से लगभग 5 गुना अधिक और लगभग पूरी तरह से विकसित 45 ब्लू व्हेल के बराबर है।

पंडो (Populus tremuloids) की पहचान 1976 में जेरी केम्परमैन और बर्टन बार्न्स ने की थी। माइकल ग्रांट, जेफरी लिटन और कोलेरैडो विश्वविद्यालय के यिन लिनहार्ट ने 1992 में क्लोन्स की फिर से जांच की और इसे पंडो नाम दिया। साथ ही वज़न के लिहाज़ से दुनिया का सबसे बड़ा जीव होने का दावा किया। ऐसा माना जाता है कि पंडो की शुरुआत एक बीज से हुई थी। यह लगभग 14,000 साल या उससे भी पहले की बात है। हालांकि इसकी उम्र का सही-सही अनुमान लगा पाना कठिन है। कुछ जगह इसकी उम्र  50,000-60,000 वर्ष भी बताई गई है। पंडो आनुवंशिक रूप से नर है जिसमें एक अलग जड़ तंत्र होता है जो आपस में जुड़ा हुआ होता है। वैज्ञानिक नहीं जानते कि क्लोन में बड़े पैमाने पर पेड़ कैसे जुड़े हैं। एक बार पौधे जब एक निश्चित उम्र तक पहुंच जाते हैं, तो वे अपने जड़ तंत्र को अलग कर सकते हैं। ऊटा विश्वविद्यालय की कैरन मॉक बताती हैं कि साझा आनुवंशिकी के कारण, अलग होने वाले पेड़ों में अभी भी एक जैसे गुणधर्म हैं। जैसे कि कलियों का एक समय में खिलना और पत्तियों का विशेष परिस्थिति होने पर एक ही समय में मुड़ना।

इसका जड़ तंत्र कई हज़ार साल पुराना माना जाता है। सभी क्लोन जड़ों की एक साझा प्रणाली के ज़रिए एक पेड़ द्वारा एकत्रित ऊर्जा या पानी को इस जड़ तंत्र के द्वारा सभी पेड़ साझा करते हैं। पंडो में अपने जड़ तंत्र के माध्यम से अलैंगिक रूप से आनुवंशिक रूप से समान संतानें उत्पन्न करने की अद्भुत क्षमता है।

पंडो देखने में खूबसूरत होता है। इसके सभी क्लोन लगभग समान ऊंचाई के हैं। शरद ऋतु में पंडो अपने पीले-सुनहरे रंग के लिए जाने जाते हैं। ऊटा ने 2014 में पंडो को अपने राज्य का अधिकारिक पेड़ बनाया। इसकी छाल सफेद-भूरे रंग की होती है जिसमें मोटे काले आड़े निशान और गांठें होती हैं। ये निशान एल्क (एक प्रकार का बारहसिंहा) द्वारा बनाए गए संकेत हैं जो दांतों द्वारा एस्पेन की छाल को छीलने से बने हैं। पंडो की पत्तियां गोल होती हैं और तनों पर विशिष्ट तरीके से जुड़ी हुई होती हैं। जब हवा इन पत्तियों को छूकर गुज़रती है तो वे विशिष्ट तरीके से हिलती-डुलती हैं।

लेकिन इस ग्रह का विशालतम जीव आज मरने की कगार पर है। इसके कुछ कारण ज्ञात हैं तो कुछ अज्ञात। रोग, जलवायु परिवर्तन और जंगल में लगी आग ने पंडो पर बहुत ही बुरा प्रभाव डाला है। परंतु गिरावट का मूल कारण बहुत ही आश्चर्यजनक है। बहुत सारे शाकाहारी जानवर (खच्चर, हिरण, एल्क) पंडो के बीच घूमते रहते हैं। परन्तु इनकी बढ़ती जनसंख्या सबसे बड़ा खतरा बन गई है। इन जानवरों ने नई निकल रही कोपलों तथा युवा तनों को तेज़ी से खाना प्रारंभ कर दिया है, जिसके कारण नए क्लोनों की संख्या घट रही है। पंडो पर शोध करने वाले रॉजर्स कहते हैं कि पुराने पेड़ के लगभग 47,000 तने लगभग 70 प्रतिशत मृत हैं या तेज़ी से अपने अंत के करीब हैं। अमेरिकी वन सेवा के निकोलस मास्टो कहते हैं कि पंडो के नए तने खच्चर, हिरण एवं एल्क के लिए स्वादिष्ट भोजन हैं। पंडो के पास अपना सुरक्षा तंत्र भी है – यदि पंडो खुद को खतरे में पाता है तो वह अपने रसायनों को बदल सकता है और अधिक अंकुरण कर सकता है। विपरीत परिस्थितियों में एस्पेन एक रसायन का उत्पादन करने में सक्षम होते हैं जो हिरणों के लिए अपने तनों के स्वाद को खराब करते हैं जो चराई के खिलाफ एक सुरक्षा है। शाकाहारी जानवरों से पंडो की सुरक्षा के लिए 2013 में अमरीकी वन विभाग के सहयोग से तथा संरक्षण प्रेमियों के एक गैर-मुनाफा संगठन की मदद से पंडो की 108 एकड़ जगह को तार से घेरा गया है। वैज्ञानिक आशावादी थे, पर कुछ कशमकश में थे कि शाकाहारी जानवरों के आक्रमण से बचाव के बाद पंडो के नए अंकुरों तथा युवा क्लोनों का क्या होगा? क्या पंडो नए क्लोनों को तेज़ी बनाने में सक्षम होंगे या फिर इनके मरने के और भी कारण है। खुशी की बात यह है कि फेंसिंग के कुछ साल बाद नए क्लोनों की कोपलें सुरक्षित हैं और युवा क्लोन तेज़ी से बढ़ रहे है। आशा है कि पृथ्वी का यह विशालतम जीव सुरक्षित रहेगा। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : http://www.mattheweckert.com/wp-content/uploads/2014/06/Pando-Forest.jpg

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