महाविस्फोट (बिग बैंग) के लगभग 1.5 करोड़ वर्ष बाद ब्रह्मांड धीरे-धीरे ठंडा होना शुरू हुआ। इस दौरान विद्युत-चुंबकीय विकिरण सामान्य तापमान पर आने लगा था। अमेरिकी भौतिक विज्ञानी एवी लोएब इस दौर को प्रारंभिक ब्रह्मांड का जीवन-योग्य युग कहते हैं। लोएब के अनुसार यदि हम उस दौर में रहते होते तो हमें गर्मी के लिए सूर्य की आवश्यकता नहीं होती बल्कि ब्रह्मांडीय पृष्ठभूमि विकिरण से प्राप्त गर्मी ही हमारे लिए पर्याप्त होती।
तो क्या यह माना जाए कि जीवन की शुरुआत इतनी जल्दी हुई थी। बिग बैंग घटना के बाद, पहले 20 मिनट की गर्म और सघन परिस्थितियों में केवल हाइड्रोजन और हीलियम के साथ मामूली मात्रा (10 अरब परमाणुओं में एक) में लीथियम भी उपस्थित था। अपेक्षाकृत भारी तत्व नगण्य थे।
जीवन के लिए तो पानी और कार्बनिक यौगिकों का होना आवश्यक है। इनके अस्तित्व में आने के लिए लगभग 5 करोड़ वर्ष और इंतज़ार करना पड़ा जब शुरुआती तारों में हाइड्रोजन और हीलियम के संलयन से ऑक्सीजन और कार्बन का निर्माण हुआ। यानी जीवन की शुरुआत के लिए प्रारंभिक अड़चन उपयुक्त तापमान नहीं बल्कि आवश्यक तत्वों की उपलब्धता भी थी।
शुरुआत में भारी तत्वों की सीमित मात्रा को देखते हुए, जीवन की शुरुआत कितनी जल्दी हुई होगी? गौरतलब है कि ब्रह्मांड के अधिकांश तारे सूर्य से भी अरबों वर्ष पहले उपस्थित थे। तारों के निर्माण के इतिहास के आधार पर लोएब और उनके सहयोगियों का अनुमान है कि सूर्य जैसे तारों के आसपास जीवन की शुरुआत हाल के कुछ अरब वर्षों के दौरान हुई थी। अलबत्ता, भविष्य में बौने तारों (हमारे निकटतम पड़ोसी प्रॉक्सिमा सेंटॉरी जैसे) की परिक्रमा करने वाले ग्रहों में जीवन की शुरुआत होती रह सकती है। ये सूर्य की तुलना में सैकड़ों गुना अधिक समय तक जीवित रहेंगे। अंतत: शायद हमें प्रॉक्सिमा सेंटॉरी बी जैसे तारों के आसपास रहने योग्य ग्रहों पर जाकर बस जाना होगा जो कई खरब वर्षों तक जीवित रहने वाले हैं।
हमारी वर्तमान जानकारी के अनुसार पानी एकमात्र ऐसा पदार्थ है जो जीवन को सहारा दे सकता है। लेकिन इसके बारे में हमें अधिक जानकारी नहीं है। क्या शुरुआती ब्रह्मांड में कोई अन्य तरल पदार्थ मौजूद थे? मनस्वी लिंगम के साथ किए गए एक अध्ययन में लोएब बताते हैं कि शुरुआती तारों के निर्माण के समय अमोनिया, मिथेनॉल और हाइड्रोजन सल्फाइड तरल अवस्था में उपस्थित थे जबकि इथेन और प्रोपेन कुछ समय बाद तरल अवस्था में उपस्थित रहे। हालांकि जीवन की शुरुआत में इन पदार्थों की उपयुक्तता के बारे में तो अभी कोई जानकारी नहीं है लेकिन इनका प्रायोगिक अध्ययन किया जा सकता है। यदि भविष्य में हम संश्लेषित जीवन विकसित करने में सफल होते हैं तो हम यह भी खोज कर सकते हैं कि क्या जीवन पानी के अलावा अन्य तरल पदार्थों में भी उभर सकता है।
ब्रह्मांड में जीवन की शुरुआत का पता लगाने का एक तरीका यह हो सकता है कि क्या यह सबसे पुराने तारों के आसपास के ग्रहों पर शुरू हुआ था। ऐसे तारों पर हीलियम से अधिक भारी तत्वों की कमी होने की उम्मीद की जा सकती है जिन्हें खगोलविज्ञानी ‘धातु’ कहते हैं (यह परिभाषा आम रासायनिक परिभाषा से थोड़ी अलग है और इसमें ऑक्सीजन को धातु कहा जाता है)। धातु की कमी वाले तारे आकाशगंगा की परिधि में खोजे गए हैं और ये ब्रह्मांड के शुरुआती तारे माने गए हैं। इन तारों में अक्सर प्रचुर मात्रा में कार्बन दिखता है और इन्हें ‘कार्बन प्रचुर धातु विहीन’ (सीईएमपी) तारे कहा जाता है। लोएब का मत है कि सीईएमपी के आसपास के ग्रह ज़्यादातर कार्बन से बने होते हैं जिससे उनकी सतह पर प्रारंभिक जीवन का आधार मिल सकता है।
लिहाज़ा हम ऐसे ग्रहों की खोज कर सकते हैं जो सीईएमपी तारों के आसपास हैं और अपने वायुमंडलीय संघटन में जीवन की उपस्थिति के कुछ साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। हम इन तारों की उम्र के आधार पर यह अनुमान लगा पाएंगे कि ब्रह्मांड में जीवन की शुरुआत कितनी पहले हुई होगी।
इसके साथ ही हम अंतर-तारकीय तकनीकी उपकरणों की उम्र का भी अनुमान लगा सकते हैं जो पृथ्वी के नज़दीक चक्कर लगाते हुए दिखें या चंद्रमा से टकरा गए हों।
इसमें एक पूरक रणनीति अंतरिक्ष में प्रारंभिक दौर की सभ्यताओं के तकनीकी संकेतों की खोज करना भी हो सकती है। संचार संकेतों को भी खोजा जा सकता है लेकिन ऐसे संकेतों को यात्रा करने में अरबों वर्षों का समय लगता है और कोई भी सभ्यता इतनी धीमी गति से सूचनाओं के आदान-प्रदान में रुचि नहीं रखेगी। जीवन के संकेत हमेशा के लिए बने नहीं रहते हैं। खैर, अंतरिक्ष में जीवन जब मिलेगा, तब मिलेगा लेकिन तब तक हमें प्रकृति से मिले हुए अस्थायी उपहारों का जश्न मनाना चाहिए, लुत्फ उठाना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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