गत 6 मार्च को एक 340 मीटर चौड़ा क्षुद्रग्रह एपोफिस पृथ्वी के निकट से सुरक्षित निकल गया। अगली बार 2029 में यह पृथ्वी से मात्र 40,000 किलोमीटर दूर से गुज़रेगा। यह उस क्षेत्र के ठीक ऊपर से गुज़रेगा जहां उच्च-कक्षा वाले उपग्रह चक्कर लगाते हैं। पहली बार खगोलविद इतने बड़े क्षुद्रग्रह को पृथ्वी के पास से गुज़रते हुए देखेंगे। इस घटना ने वैज्ञानिकों को ग्रह रक्षा प्रणाली का आकलन करने का मौका दिया है। इसके अंतर्गत खगोलविद क्षुद्रग्रहों के मार्ग का आकलन करते हुए पृथ्वी से टकराने की संभावना का पता लगाते हैं। एरिज़ोना विश्वविद्यालय के प्लेनेटरी वैज्ञानिक विष्णु रेड्डी ने इस अवलोकन अभियान का समन्वय किया है। एपोफिस ने इस बात को रेखांकित किया है कि खगोलविद नज़दीक से गुज़रने वाले क्षुद्रग्रहों के बारे में कितना कुछ जानते हैं और क्या जानना बाकी है।
नासा द्वारा 1998 में क्षुद्रग्रह की खोज की व्यवस्थित शुरुआत से लेकर अब तक वैज्ञानिकों ने 25,000 से अधिक नज़दीकी क्षुद्रग्रहों का पता लगाया है। वर्ष 2020 में क्षुद्रग्रह देखने की रिकॉर्ड घटनाएं दर्ज की गई हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान कई सर्वेक्षण कार्यक्रम बाधित होने के बाद भी खगोलविदों ने 2020 में अब तक अज्ञात 2958 क्षुद्रग्रह सूचीबद्ध किए हैं।
इनमें से बड़ी संख्या का पता एरिज़ोना स्थित तीन दूरबीनों की मदद से कैटलिना हवाई सर्वे द्वारा लगाया गया है। हालांकि पिछले वर्ष वसंत के मौसम में महामारी और जून में जंगलों की आग के कारण कुछ समय के लिए संचालन बंद होने के बाद भी पृथ्वी के निकट 1548 पिंडों का पता लगाया गया। इसमें 2020 सीडी3 नामक एक दुर्लभ क्षुद्रग्रह भी देखा गया। यह ‘मिनीचंद्रमा’ लगभग तीन मीटर व्यास वाला एक छोटा क्षुद्रग्रह है। यह पास से गुज़रते हुए अस्थायी रूप से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की गिरफ्त में आ गया था। फिर पिछले वर्ष अप्रैल में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को भेदकर बाहर निकल गया।
इसके अलावा, पिछले वर्ष हवाई स्थित Pan-STARS सर्वे टेलिस्कोप द्वारा 1152 क्षुद्रग्रहों का पता लगाया गया। इस खोज में 2020 एसओ नामक पिंड भी शामिल है जिसे गलती से क्षुद्रग्रह मान लिया गया था। यह वास्तव में 1966 में नासा के चंद्रमा मिशन के रॉकेट बूस्टर का शेष भाग था जो तभी से अंतरिक्ष में चक्कर काट रहा था।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष खोजे गए क्षुद्रग्रहों में से लगभग 107 ऐसे थे जो चंद्रमा से भी कम दूरी से गुज़रे हैं। इनमें से एक छोटा क्षुद्रग्रह, 2020 क्यूजी, अगस्त में हिंद महासागर से लगभग 2950 किलोमीटर ऊपर से गुज़रा था। इसने सबसे नज़दीक से गुज़रने का रिकॉर्ड बनाया था। लेकिन इसके तीन महीने बाद ही 2020 वीटी4 नामक एक छोटा क्षुद्रग्रह 400 किलोमीटर से भी कम दूरी से गुज़रा। हैरानी की बात है कि गुज़र जाने के बाद 15 घंटे तक इसे देखा नहीं गया।
इन सभी खोजों से खगोलविद सौर मंडल की कैरम-नुमा प्रवृत्ति के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं। रेड्डी के अनुसार एपोफिस के हालिया अवलोकन इस बात के संकेत देते हैं कि कैसे विश्व भर के खगोलविद एक साथ काम करते हुए क्षुद्रग्रह से होने वाले खतरों का आकलन कर सकते हैं। ऐसी उम्मीद है कि आठ वर्ष बाद जब एपोफिस लौटकर आएगा तब तक वैज्ञानिकों के पास खतरनाक क्षुद्रग्रहों के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी होगी। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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