हाल ही में सूक्ष्मजीव विशेषज्ञों को जल-शोधन के एक तालाब के पानी में सूक्ष्मजीवों की अनूठी सांठ-गांठ दिखी है। ज़ूफैगस इंसिडियन नामक एक सूक्ष्म कवक है जो बैक्टीरिया के साथ मिलकर अपने भोजन के इंतज़ाम के लिए जाल बिछाती है। इस जाल में उनके शिकार बनते हैं गंदे पानी में आम तौर पर पनपने वाले छोटे जलीय जीव रोटिफर्स।
जल शोधन संयंत्र के पानी का प्रकाशीय और इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से अवलोकन कर और बैक्टीरिया, डीएनए और अन्य जीवों को चिंहित कर शोधकर्ताओं ने देखा कि किस तरह यह कवक रोटिफर्स को पकड़ने का करतब करती है। उन्होंने देखा कि कवक सबसे पहले मायसेलिया नामक पतले धागों से एक जाल-सा बुनती है। इस जाल से छोटी, लॉलीपॉप के आकार जैसी कई शाखाएं निकलती हैं, जिनमें रोटिफर्स फंस जाते हैं। इसके बाद बैक्टीरिया अपना काम शुरू करते हैं। बैक्टीरिया इन धागों के ऊपर और अंदर इकट्ठा होने लगते हैं; सबसे अधिक संख्या में वे लॉलीपॉपनुमा संरचना की सतह पर एकत्रित होते हैं। फिर कुछ वायरस और उनके डीएनए मिलकर बैक्टीरिया की इस परत पर एक झिल्ली चढ़ा देते हैं।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मालीक्यूलर साइंसेज़ में शोधकर्ताओं ने बताया है कि इस तरह रोटिफर के लिए बिछाया गया यह चिपचिपा जाल रोटिफर के एक बार अंदर आने के बाद उसे बाहर जाने नहीं निकलने देता। जब रोटिफर इस जाल में फंसने लगते हैं तो जाल के धागे रोटिफर को चारों ओर से घेर लेते हैं जिससे जाल पर पनप रहे बैक्टीरिया इन तक पहुंच जाते हैं, और रोटिफर को पचाना शुरू कर देते हैं। इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया द्वारा स्रावित वसा बूंदों से कवक अपना पोषण प्राप्त करती हैं। रोटिफर से पूरा पोषण चूसने के बाद मायसेलिया समाप्त हो जाता है और रोटिफर का केवल खोखला शरीर और उसमें बैक्टीरिया ही बचते हैं। फिर अन्य सूक्ष्मजीव इस बचे-खुचे अवशेष को भी खा डालते हैं।
कवक द्वारा बिछाए गए एक ऐसे ही जाल पर शोधकर्ताओं को लगभग 50 मृत रोटिफर फंसे दिखे। नतीजे एक बार फिर दर्शाते हैं कि सूक्ष्मजीव अपने सूक्ष्म आकार से कहीं अधिक जटिल हैं। गंदे पानी में देखी गई इस साझेदारी पर शोधकर्ताओं का कहना है कि सूक्ष्मजीवों की इस तरह की सांठ-गांठ कई अन्य आवासों में भी बहुत आम होगी, लेकिन अपने सूक्ष्म आकार के कारण वे अब तक नज़र में नहीं आर्इं हैं। बहरहाल इस पर आगे अध्ययन की ज़रूरत है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.sciencemag.org/sites/default/files/styles/article_main_image_-1280w__no_aspect/public/fungibacteria_1280p.jpg?itok=1Zq1HPlq