चीन में हुए कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कोरोनावायरस फ्रोज़न सतहों से फैल सकता है। लेकिन डबल्यूएचओ की टीम ने कहा है कि महामारी की शुरुआत इस रास्ते से नहीं हुई है।
फरवरी में एक प्रेसवार्ता में टीम ने कोरोनावायरस के चमगादड़ों से एक मध्यवर्ती जीव के मार्फत मनुष्यों में प्रवेश की बात की। टीम का मत है कि चीनी फार्मस में जंगली जीवों का फ्रोज़न मांस वायरस के शुरुआती मामलों का कारण हो सकता है। अलबत्ता टीम के एक सदस्य डोमिनिक डायर के मुताबिक यह जानना ज़रूरी है कि फ्रोज़न वन्यजीव संक्रमित कैसे हुए।
लगता तो यह है कि डबल्यूएचओ द्वारा फ्रोज़न मांस की जांच के सुझाव का गलत अर्थ निकाला गया है। वायरस के फ्रोज़न सतह से फैलने के विचार के आधार पर कहा गया कि यह वायरस विदेशों से आयात किए गए फ्रोज़न वन्यजीवों के साथ वुहान में आया है। इसी तरह बाद के मामलों के पीछे भी आयातित फ्रोज़न फूड को दोषी ठहराया गया। चीन के वैज्ञानिकों ने भी फ्रोज़न मांस से वायरस फैलने के साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं।
दूसरी ओर, चीन के बाहर के कई वैज्ञानिकों ने इस ‘कोल्ड चेन’ सिद्धांत को खारिज कर दिया है और इसे आलोचनाओं से बचने का एक प्रयास बताया है। उनके अनुसार संक्रमित सतहों से सार्स-कोव-2 का फैलना बहुत कम संभव है।
बहरहाल, कुछ अध्ययन सतह से संक्रमण की संभावना को दर्शाते हैं। अगस्त में सिंगापुर के शोधकर्ताओं द्वारा बायोआर्काइव्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि सार्स-कोव-2 वायरस फ्रोज़न या फ्रिज में रखे मांस पर तीन सप्ताह से अधिक समय तक संक्रामक रह सकता है। वैसे इस पेपर की समकक्ष समीक्षा नहीं की गई है। इसके दो माह बाद चीनी शोधकर्ताओं ने ज़िनफादी बाज़ार में जून में फैले प्रकोप को भी फ्रोज़न मांस से जोड़कर देखा। इसमें पहला मामला बिना किसी सामुदायिक प्रसार के 56 दिन के बाद सामने आया जिसमें सार्स-कोव-2 का एक विशिष्ट स्ट्रेन पाया गया। जांचकर्ताओं ने यही स्ट्रेन कोल्ड स्टोरेज में रखी साल्मन मछली पर भी पाया था।
इसी तरह नवंबर में प्रकाशित तीसरे अध्ययन में चीनी वैज्ञानिकों के एक अन्य समूह ने शैनडांग के पूर्वी प्रांत किंगडाओ बंदरगाह के कर्मचारियों में संक्रामक वायरस का पता लगाया जो फ्रोज़न कॉड मछली की पैकेजिंग का काम करते थे। वैज्ञानिक के अनुसार इस संक्रमण का कारण फ्रोज़न कॉड हो सकता है। इन रिपोर्ट्स के आधार पर चीनी अधिकारियों ने नवंबर में सभी फ्रोज़न सामग्रियों के अनिवार्य विसंक्रमण के निर्देश दिए थे।
डबल्यूएचओ की टीम महामारी के शुरुआती मामलों के पीछे खाद्य सामग्री या पैकेजिंग से संक्रमण के विचार से सहमत नहीं है। जांचकर्ता ये ज़रूर मानते हैं कि वायरस से संक्रमित कोई जीव हुनान सीफूड बाज़ार में शुरुआती प्रकोप का कारण हो सकता है। डायर के अनुसार ऐसी भी संभावना है कि बाज़ार में किसी संक्रमित व्यक्ति या उत्पाद के आने से यह प्रकोप फैल गया हो।
देखा जाए तो जनवरी 2020 में हुनान बाज़ार के बंद होने से पहले तक वहां की 653 में से 10 दुकानों पर फार्म से लाए गए जीवित या फ्रोज़न वन्यजीव बेचे जाते थे। डायर के अनुसार रैकून और बिज्जू कोरोनावायरस के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। लेकिन बाज़ार बंद होने के बाद जब मांस, जीव और यहां तक कि उनके फ्रोज़न मृत शरीर के नमूनों का अध्ययन किया गया तो किसी में भी सार्स-कोव-2 नहीं मिला, हालांकि नमूनों की कम संख्या को देखते हुए इस संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता।
युनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के एंड्रयू ब्रीड के अनुसार वायरस से संक्रमित फ्रोज़न शवों के हैंडलिंग के दौरान संक्रमण का खतरा हो सकता है। यह विशेष रूप से मध्यवर्ती जीवों के लिए सही हो सकता है जिनका प्रतिरक्षा तंत्र संक्रमण से निपटने के लिए अनुकूलित नहीं होता और वे काफी मात्रा में वायरस बिखेरते हैं। अफ्रीका में एबोला प्रकोप के दौरान ऐसा मामला देखा गया था। लेकिन पूरी जानकारी के अभाव में कुछ भी स्पष्ट कह पाना संभव नहीं है।
इसी बीच जीवित जानवरों से सार्स-कोव-2 के फैलने की संभावना भी जताई जा रही है। चीन में अधिकतर जीवित जानवरों का व्यापार किया जाता है जिससे जीवों से मनुष्यों में वायरस फैलने की अधिक संभावना रहती है। इनमें से कई जीव चीन के दूरदराज़ फार्म से बाज़ार में लाए जाते हैं। ऐसे में विभिन्न प्रजातियों के जीवों के एक स्थान पर आने से नए वायरस उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है। डायर के अनुसार वुहान बाज़ार में उत्पादों को पहुंचाने वाले वन्यजीव कर्मचारियों में सार्स-कोव-2 की एंटीबॉडी तलाशना इसमें काफी निर्णायक हो सकता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://media.nature.com/lw800/magazine-assets/d41586-021-00495-0/d41586-021-00495-0_18896774.jpg