गोल्डन पेपर ततैया सामाजिक जीव हैं। वे चेहरों से अपने साथियों को पहचानती और याद रखती हैं। अब, हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि ठीक मनुष्यों की तरह गोल्डन पेपर ततैया भी चेहरे की पहचान चेहरे की सारी विशेषताओं को एक साथ रख कर करती हैं। कीटों में ‘समग्र’ तरीके से चेहरा पहचानने का यह पहला प्रमाण है। अध्ययन के परिणाम दर्शाते हैं कि समग्र पहचान के लिए बड़ा और जटिल मस्तिष्क ज़रूरी नहीं है।
अधिकांश मनुष्य चेहरों को उसकी किसी एक खासियत (जैसे आंख या नाक की खास बनावट या किसी पहचान चिन्ह) से नहीं पहचानते बल्कि चेहरे की सभी विशेषताओं-बनावटों को एक साथ जोड़ते हुए पहचानते हैं।
पूर्व में हुए अध्ययन बताते हैं कि लोग आंख-नाक या चेहरे की किसी अन्य बनावट को पूरे चेहरे के संदर्भ में ही पहचान पाते हैं। एक-एक लक्षण को अलग से दिखाने पर पहचानना मुश्किल होता है कि चेहरा किसका है। चिम्पैंज़ियों सहित अन्य प्राइमेट्स भी इसी तरह पहचान करते हैं। और तो और, अध्ययनों से यह भी पता चल चुका है कि मानव-चेहरे को पहचानने के लिए प्रशिक्षित मधुमक्खियों और ततैया को पूरे चेहरे की तुलना में आंशिक चेहरा पहचानने में अधिक कठिनाई होती है। यह इस बात के संकेत देता है कि ये कीट समग्र रूप से चेहरे की पहचान करते हैं।
लेकिन क्या ये कीट अपने साथियों की पहचान करने के लिए भी समग्र पहचान का तरीका अपनाते हैं? यह जानने के लिए मिशिगन विश्वविद्यालय की वैकासिक जीव विज्ञानी एलिज़ाबेथ टिबेट्स और उनके साथियों ने गोल्डन पेपर ततैया पर अध्ययन किया। सबसे पहले उन्होंने इन ततैयों की तस्वीरें लीं और फिर हर तस्वीर में ततैया के चेहरे के अंदरुनी हिस्सों को बदल दिया। इस तरह शोधकर्ताओं के पास तस्वीरों की जोड़ियां थी – दोनों तस्वीरों में बाकी शरीर, पैर और एंटीना एक समान थे लेकिन चेहरा भिन्न था। फिर जोड़ी में से एक तस्वीर एक बक्से की सभी तरफ की दीवारों पर लगाई और दूसरी तस्वीर दूसरे बक्से की सभी दीवारों पर। फिर दोनों बक्सों में ततैयों को प्रवेश कराया।
एक बक्से में प्रवेश करने पर ततैयों को हल्का बिजली का झटका दिया गया ताकि वे असहज हो जाएं लेकिन आहत न हों। इस तरह झटकेदार चेहरा ‘दुष्ट ततैया’ का बन गया। दूसरे बक्से में झटका नहीं लगता था और उस बक्से के चेहरे को ‘भली ततैया’ की तरह पहचानना सिखा दिया गया।
प्रशिक्षण के बाद, एक बड़े बक्से में एक तरफ ‘भली ततैया’ और दूसरी तरफ ‘दुष्ट ततैया’ की तस्वीरें लगाई गर्इं और फिर बक्से में ततैयों को प्रवेश कराया गया। इस बक्से में इस तरह व्यवस्था की गई थी कि बक्से के बीचों-बीच प्रशिक्षित ततैया 5 सेकंड तक रुकी रहे ताकि वे दोनों ओर के चेहरों को देख-पहचान सकें। फिर ततैयों को आगे बढ़ने दिया और देखा कि ततैया किस चेहरे की ओर जाती हैं।
जैसा कि अपेक्षित था, ततैया ‘भली’ ततैया की तरफ गर्इं। फिर, अगले चरण के परीक्षण में ततैयों को चेहरे का सिर्फ एक हिस्सा – आंखें और नाक वाला हिस्सा – दिखाया गया। प्रोसीडिंग्स ऑफ दी रॉयल सोसाइटी बी में शोधकर्ता बताते हैं कि चेहरे का हिस्सा दिखाने पर ततैया हमेशा भली ततैया की तरफ नहीं गर्इं, जिससे लगता है कि ततैया समग्र तरह से चेहरा पहचान करती हैं।
इसी प्रयोग को जब शोधकर्ताओं ने गोल्डन पेपर ततैया की करीबी प्रजाति युरोपीय पेपर ततैया पर दोहराया तो उन्होंने पाया कि ये ततैया संपूर्ण चेहरा पहचान की जगह विशेष लक्षणों से पहचान करती हैं। दो प्रजातियों के बीच यह अंतर बताता है कि गोल्डन पेपर ततैया को समग्र पहचान का तरीका कई अलग-अलग चेहरों को तेज़ी से ठीक-ठीक पहचानने में मदद करता होगा।
लेकिन कुछ शोधकर्ता इन परिणामों पर संदेह करते हैं। अभी इसी बात पर बहस चल रही है कि पहचान का समग्र तरीका क्या है और इसका सही तरह से आकलन कैसे किया जाए। और, अध्ययन में ततैया पर इस्तेमाल किया गया ‘पूर्ण/भाग’ तरीका मानवों की चेहरे की पहचान को जांचने का मानक तरीका नहीं माना जाता। इसके अलावा, अध्ययन में परीक्षण सिर्फ एक तरीके से किया गया है, विभिन्न तरीकों से परीक्षण अधिक स्पष्ट निष्कर्ष दे सकते थे – जैसे विभिन्न चेहरों की विभिन्न विशेषताओं को आपस में मिलाकर तैयार तस्वीर के साथ परीक्षण। बहरहाल कुछ शोधकर्ता इन नतीजों से काफी उत्साहित हैं। उनके अनुसार यह अध्ययन मनुष्यों के चेहरा पहचान परीक्षण के परिवर्तित रूप पर आधारित है और बताता है कि ततैया चेहरे की पहचान समग्र ढंग से करती हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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