मौजूदा डिजिटल स्टोरेज डिवाइसेस में कई टेराबाइट डैटा सहेजा जा सकता है। किंतु नई टेक्नॉलॉजी आने पर ये तकनीकें पुरानी पड़ जाती हैं और इनसे डैटा पढ़ना मुश्किल हो जाता है, जैसा कि मैग्नेटिक टेप और फ्लॉपी डिस्क के साथ हो चुका है। अब, वैज्ञानिक जीवित सूक्ष्मजीव के डीएनए में इलेक्ट्रॉनिक रूप से डैटा लिखने की कोशिश में हैं।
डैटा सहेजने के लिए डीएनए कई कारणों से आकर्षित करता है। पहला तो यह कि डीएनए हमारी सबसे कॉम्पैक्ट हार्ड ड्राइव से भी हज़ार गुना ज़्यादा सघन है; नमक के एक दाने के बराबर टुकड़े में यह 10 डिजिटल फिल्में सहेज सकता है। दूसरा, चूंकि डीएनए जीव विज्ञान का केंद्र बिंदु है इसलिए उम्मीद है कि डीएनए को पढ़ने-लिखने की तकनीक समय के साथ सस्ती और अधिक बेहतर हो जाएंगी।
वैसे डीएनए में डैटा सहेजना कोई बहुत नया विचार नहीं है। शुरुआत में शोधकर्ता डीएनए में डैटा सहेजने के लिए डिजिटल डैटा (0 और 1) को चार क्षार – एडेनिन, गुआनिन, साइटोसीन और थायमीन – के संयोजनों के रूप में परिवर्तित करते थे। डीएनए संश्लेषक की मदद से यह परिवर्तित डैटा डीएनए में लिखा जाता था। यदि कोड बहुत लंबा हो तो डीएनए सिंथेसिस की सटीकता पर फर्क पड़ता है, इसलिए डैटा को छोटे-छोटे हिस्सों (200 से 300 क्षार लंबे डैटा खंड) में तोड़कर डीएनए में लिखा जाता है। प्रत्येक डैटा खंड को एक इंडेक्स नंबर दिया जाता है, जो अणु में उसका स्थान दर्शाता है। डीएनए सीक्वेंसर की मदद से डैटा पढ़ा जाता है। लेकिन यह तकनीक बहुत महंगी है; एक मेगाबिट डैटा लिखने में लगभग ढाई लाख रुपए लगते हैं। और डीएनए जिस पात्र में सहेजा जाता है वह समय के साथ खराब हो सकता है।
इसलिए टिकाऊ और आसानी से लिखे जाने वाले विकल्प के रूप में पिछले कुछ समय से शोधकर्ता सजीवों के डीएनए में डैटा सहेजने पर काम कर रहे हैं। कोलंबिया विश्वविद्यालय के तंत्र जीव विज्ञानी हैरिस वांग ने जब ई.कोली बैक्टीरिया की कोशिकाओं में फ्रुक्टोज़ जोड़ा तो उसके डीएनए के कुछ हिस्सों की अभिव्यक्ति में वृद्धि हुई।
फिर, क्रिस्पर की मदद से अधिक अभिव्यक्त होने वाले खंड को कई भागो में काट दिया और इनमें से कुछ को बैक्टीरिया के डीएनए के उस विशिष्ट हिस्से में जोड़ा जो पूर्व में हुए वायरस के हमलों को ‘याद’ रखता है। इस तरह जोड़ी गई जेनेटिक बिट डिजिटल 1 दर्शाती है। फ्रुक्टोज़ संकेत की अनुपस्थिति में डीएनए कोई रैंडम बिट सहेजता है जो डिजिटल 0 दर्शाती है। ई. कोली के डीएनए को अनुक्रमित कर डैटा पढ़ा जा सकता है।
लेकिन इस व्यवस्था में भी सीमित डैटा ही सहेजा जा सकता है इसलिए वांग की टीम ने फ्रुक्टोज़ की जगह इलेक्ट्रॉनिक संकेतों का उपयोग किया। उन्होंने ई. कोली बैक्टीरिया में कुछ जीन जोड़े जो विद्युत संकेत दिए जाने पर डीएनए की अभिव्यक्ति में वृद्धि करते हैं। अभिव्यक्ति में वृद्धि बैक्टीरिया के डीएनए में 1 सहेजती है। डीएनए को अनुक्रमित कर 0-1 के रूप में लिखा डैटा पढ़ा जा सकता है। नेचर केमिकल बायोलॉजी में शोधकर्ता बताते हैं कि इस तकनीक की मदद से उन्होंने 72 बिट लंबा संदेश ‘हैलो वर्ल्ड!’ लिखा है। संदेशयुक्त ई. कोली को मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के साथ भी जोड़कर उनमें डैटा सहेजा जा सकता है।
बैक्टीरिया में उत्परिवर्तन से डैटा में बदलाव या उसकी हानि हो सकती है, जिस पर काम करने की आवश्यकता है। बहरहाल यह तकनीक जासूसी फिल्मों-कहानियों को जानकारी छुपाने के एक और खुफिया तरीके का विचार तो देती ही है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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