पिछले हिमयुग के अंत में मनुष्यों के समूह उत्तर-पूर्वी साइबेरिया के विशाल घास के मैदानों में नुकीले पत्थर-जड़े भालों के साथ बाइसन और मैमथ का शिकार किया करते थे। भेड़िये जैसा एक जीव भी उनके साथ दौड़ा करता था। ये भेड़िए अपने पूर्वजों की तुलना में अधिक सौम्य थे तथा अपने मनुष्य-साथियों की मदद करने को तैयार रहते थे – शिकार करने में भी और शिकार को वापस अपने शिविर तक लाने में भी। ये जीव ही विश्व के सबसे पहले कुत्ते थे जिनके वंशज युरेशिया से लेकर अमेरिका और दुनिया में सभी ओर फैलते गए।
इस परिदृश्य ने कुत्तों और मनुष्यों, दोनों के डीएनए डैटा के एकसाथ अध्ययन का रास्ता सुझाया। दी प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ में प्रकाशित विश्लेषण का उद्देश्य कुत्तों के पालतू बनाए जाने के स्थान और समय की लंबी बहस का समापन करना है। इससे यह भी समझने में मदद मिल सकती है कि कैसे सतर्क भेड़िए मनुष्य के वफादार साथी में बदल गए।
अध्ययन के महत्व को देखते हुए वैज्ञानिकों ने विभिन्न सुझाव दिए हैं। युनिवर्सिटी ऑफ केंसास की मानव आनुवंशिकी विज्ञानी जेनिफर रफ के अनुसार निष्कर्षों की पुष्टि करने के लिए प्राचीन कुत्तों और लोगों के अधिक से अधिक जीनोम की आवश्यकता होगी।
इस अध्ययन की शुरुआत इस बात से हुई थी कि कुछ आनुवंशिक और पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि उत्तरी अमेरिका के प्राचीन कुत्तों की उत्पत्ति 10,000 वर्ष पुरानी है। तो इनकी उत्पत्ति कहां व कब हुई थी। इस संदर्भ में सदर्न मेथोडिस्ट युनिवर्सिटी के पुरातत्व विज्ञानी डेविड मेल्टज़र ने सुझाव दिया कि कुत्तों और मनुष्यों के डीएनए की तुलना करना उपयोगी होगा। इसके लिए यह पता करना भी ज़रूरी है कि कैसे और कब साइबेरिया में रहने वाले मनुष्य विभिन्न समूहों में बंटने के बाद उत्तरी अमेरिका पहुंच गए। इसी तरह से यदि कुत्तों के डीएनए में समान पैटर्न मिलते हैं तो कुत्तों के पालतूकरण की शुरुआत का पता लगाया जा सकता है।
अपने इन अनुमानों की बारीकी से जांच करने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने विश्व भर के 200 से अधिक कुत्तों के माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम का विश्लेषण किया जिनमें से कुछ 10,000 साल पूर्व के थे। गौरतलब है कि माइटोकॉण्ड्रिया नामक कोशिकांग का अपना डीएनए होता है जो किसी जीव को सिर्फ उसकी मां से मिलता है।
अध्ययन से पता चला कि सभी प्राचीन अमरीकन कुत्तों में एक जेनेटिक चिंह पाया जाता है। इसे A2b नाम दिया गया। और ये कुत्ते लगभग 15,000 वर्ष पूर्व चार समूहों में उत्तरी अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में फैल गए। टीम ने पाया कि कुत्तों के ये समूह और इनकी भौगोलिक स्थिति प्राचीन मूल अमरीकियों के समूहों से मेल खाती है। ये सभी लोग एक ऐसे समूह के वंशज हैं जिन्हें वैज्ञानिक पैतृक मूल अमरीकी कहते हैं। यह समूह लगभग 21,000 वर्ष पहले साइबेरिया का निवासी था। टीम का निष्कर्ष है कि मनुष्य 16,000 वर्ष पूर्व अमेरिका में प्रवेश करते समय कुत्तों को भी अपने साथ लाए होंगे। ऐसा अनुमान है कि प्राचीन अमेरिकी कुत्ते अंतत: गायब हो गए। जब युरोपवासी अमेरिका आए तब वहां के कुत्ते अमेरिका में फैल गए।
शोधकर्ताओं द्वारा आनुवंशिक अतीत का और गहराई से अध्ययन करने पर पता चलता है कि A2b कुत्ते 23,000 वर्ष पूर्व साइबेरिया में पाए जाने वाले कुत्तों के वंशज हैं। टीम का अनुमान है कि प्राचीन कुत्ते संभवत: उन मानव समूहों के साथ रहते थे जिन्हें प्राचीन उत्तर साइबेरियाई के रूप में जाना जाता है। 31,000 वर्ष पूर्व में पाया जाना वाला यह मानव समूह हज़ारों वर्षों से पूर्वोत्तर साइबेरिया के अपेक्षाकृत समशीतोष्ण इलाकों में रहता था। सख्त मौसम के कारण ये समूह बहुत अधिक पूरब या पश्चिम में नहीं जा पाए। वे यहां आज पाए जाने वाले कुत्तों के सीधे पूर्वज मटमैले भेड़िये के साथ रहा करते थे।
कुत्तों के पालतूकरण का आम सिद्धांत तो यह है कि मटमैले भेड़िये भोजन की तलाश में मानव शिविरों के अधिक से अधिक करीब आते गए। इनमें से कुछ दब्बू भेड़िये सैकड़ों से हज़ारों वर्षों में विकसित होते-होते पालतू कुत्ते बन गए। अलबत्ता, यह प्रक्रिया उस स्थिति की व्याख्या नहीं करती जब मनुष्य काफी दूर-दूर यात्रा करने लगे। ऐसे में उनको हमेशा भेड़ियों की नई आबादी का सामना करना होगा। यदि टीम के निष्कर्षों को सही माना जाए तो इन दोनों प्रजातियों ने साइबेरिया में काफी लंबा समय साथ-साथ बिताया है।
इसके अलावा कुछ आनुवंशिक साक्ष्य यह सुझाव देते हैं कि प्राचीन उत्तर साइबेरिया के लोग अमेरिका प्रवास करने से पहले पैतृक मूल के अमरीकियों के संपर्क में आ चुके थे। ऐसा अनुमान है कि प्राचीन कुत्तों के प्रजनकों ने मूल अमरीकी लोगों के साथ इस जीव का लेन-देन किया होगा। यही कारण है उत्तरी अमेरिका और युरोप दोनों जगह कुत्ते 15,000 वर्ष पूर्व से ही पाए जाने लगे थे। पूर्व में वैज्ञानिकों का ऐसा मानना था कि कुत्तों को एक से अधिक बार पालतू बनाया गया था जबकि टीम के अनुसार सच तो यह है कि सभी कुत्ते 23,000 वर्ष पूर्व के साइबेरियाई कुत्तों के वंशज हैं।
रॉयल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, स्टॉकहोम के आनुवंशिकीविद पीटर सवोलैनेन यह तर्क देते रहे हैं कि कुत्तों का पालतूकरण दक्षिण पूर्व एशिया में हुआ है। लिहाज़ा वे इस अध्ययन के निष्कर्षों को लेकर शंकित हैं। पीटर के अनुसार A2b चिंह, जिसके बारे में टीम ने दावा किया है कि वह विशिष्ट रूप से अमरीकी कुत्तों में पाया जाता है, वह विश्व में अन्य जगहों पर भी पाया गया है। यह तथ्य उपरोक्त आनुवंशिक विश्लेषण पर सवाल खड़े करता है। अत: सवोलैनेन के मुताबिक इस अध्ययन के आधार पर कुत्तों के पालतूकरण के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
लेकिन जेनिफर रफ के अनुसार प्राचीन लोगों के बारे में वे जितना जानती हैं उस आधार पर यह अध्ययन मूलत: सही मालूम होता है। लेकिन माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए किसी जीव के जीनोम का छोटा-सा अंश होता है। रफ का कहना है कि बिना नाभिकीय डीएनए की मदद से पूरी जानकारी प्राप्त करना मुश्किल है। गौरतलब है कि मूल अमेरिकी पूर्वजों के लिए भी यही बात सही हो सकती है जिन्होंने कुत्तों को अमेरिका के कोने-कोने तक फैलाया है। कई वैज्ञानिक इस अध्ययन को एक अच्छी प्रगति के रूप में तो देखते हैं लेकिन मानते हैं कि निष्कर्ष अधूरे हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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