डेनमार्क में कोविड-19 संक्रमण दर में कमी राहत के संकेत देते हैं। देशव्यापी लॉकडाउन से दैनिक मामलों में काफी कमी आई है। दिसंबर 2020 के मध्य में प्रतिदिन 3000 मामले अब घटकर कुछ सौ रह गए हैं। लेकिन महामारी मॉडलिंग विशेषज्ञों की प्रमुख कैमिला होल्टन मोलर के अनुसार ये परिणाम आने वाले समय में एक तूफान से पहले की शांति के संकेत हो सकते हैं।
कोविड-19 का ग्राफ वास्तव में दो महामारियों को दर्शाता है। पहली तो वह है जो सार्स-कोव-2 के पुराने संस्करण के कारण हुई और अब तेज़ी से खत्म भी हो रही है। लेकिन यूके में पहली बार पहचाने गए बी.1.1.7 संस्करण का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ रहा है और तीसरी लहर के रूप में नज़र आ रहा है। यदि बी.1.1.7 संस्करण डेनमार्क में इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो यह इस माह के अंत तक वायरस का एक प्रमुख संस्करण बन जाएगा और एक बार फिर कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि होने लगेगी।
ऐसे में अन्य देशों में भी इसी तरह के हालात की संभावना जताई जा रही है। तथ्य यह है कि 58 लाख आबादी वाले डेनमार्क में अन्य देशों की तुलना में व्यापक वायरस-अनुक्रमण तकनीक से कोविड-19 के नए संस्करण का पता चल सका। इन परिणामों के बाद सभी की नज़रें फिलहाल डेनमार्क पर हैं। डैनिश वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बी.1.1.7 संस्करण पिछले संस्करणों की तुलना में 1.55 गुना तेज़ी से फैलता है। इस परिस्थिति में जब तक पर्याप्त लोगों को टीका नहीं लग जाता तब तक देश में एक बार फिर लॉकडाउन या अन्य नियंत्रण उपायों को अपनाना होगा। स्थितियों को देखते हुए कुछ महामारी विज्ञानियों का तो मत है कि समाज के अत्यधिक कमज़ोर वर्ग के टीकाकरण के बाद लॉकडाउन खोल देना चाहिए, भले नए मामलों में वृद्धि क्यों न होती रहे।
इस सम्बंध में जनवरी माह के परिणाम काफी चिंताजनक रहे। जनवरी की शुरुआत में ही हर सप्ताह बी.1.1.7 के मामलों में दुगनी रफ्तार से वृद्धि होती गई। इस स्थिति के पहले ही स्कूल और रेस्तरां बंद कर दिए गए, इस नए खतरे से बचने के लिए 10 लोगों के एक साथ इकट्ठा होने की अनुमति को कम करके 5 कर दिया गया, सामाजिक दूरी भी एक मीटर की बजाय दो मीटर कर दी गई। इन सावधानियों से कुल प्रसार दर 0.78 रह गई जो एक अच्छा संकेत है। लेकिन बी.1.1.7 की अनुमानित प्रसार दर 1.07 है जो तेज़ी से बढ़ रही है। इस बीच कुल संक्रमितों में नए संस्करण से संक्रमितों का प्रतिशत दिसंबर 2020 में 0.5 प्रतिशत था और जनवरी के अंत तक बढ़कर 13 प्रतिशत हो गया है।
फिलहाल डेनमार्क में एक बार फिर लोगों को घर से काम करने के आदेश जारी किए जा सकते हैं और साथ ही कांटेक्ट ट्रेसिंग भी की जा सकती है। इसके साथ ही त्वरित परीक्षण और रोगियों को स्वयं आइसोलेट होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। वैज्ञानिकों को ऐसी उम्मीद है कि इस तरह की सावधानियों से बी.1.1.7 लहर को रोका जा सकता है। हालांकि कई लोगों का ऐसा मानना है कि इस लहर को रोका नहीं जा सकता है। यूके में बी.1.1.7 के मामलों में कमी का कारण लोगों का पहले से ही इस वायरस से संक्रमित होना है जो अब इस संस्करण के प्रति अतिसंवेदनशील नहीं हैं। फिलहाल डेनमार्क को इस संस्करण के लिए प्रसार दर को एक से कम रखने की कोशिश करना होगा जिससे उम्मीद है कि अप्रैल तक स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रण में किया जा सकता है। उस समय तक मौसम भी मददगार होगा।
लेकिन लंबे समय तक देश भर में लॉकडाउन लगाना काफी कठिन हो सकता है। वर्तमान में जनता ने नए मामलों में कमी आने के बाद भी सरकार के लॉकडाउन के फैसले को स्वीकार कर लिया है लेकिन भविष्य में इसे खत्म करने का दबाव आने की संभावना है। ऐसे में 8 फरवरी से कक्षा 1 से लेकर 4 तक के स्कूल शुरू करते हुए लॉकडाउन में ढील देने की शुरुआत की जा चुकी है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार लॉकडाउन को देर से खत्म करना काफी महंगा पड़ सकता है। इसकी बजाय वैज्ञानिकों का सुझाव है कि 50 वर्ष से अधिक और अन्य अतिसंवेदनशील समूहों के टीकाकरण के बाद लॉकडाउन को खत्म करना अधिक उचित होगा। इस स्थिति में कोविड के मामलों में वृद्धि तथा कुछ लोगों की मौत की भी संभावना रहेगी।
लेकिन इस तरीके को कुछ वैज्ञानिकों ने अभी भी पसंद नहीं किया है। उनका मानना है कि इस तरह से मामलों में वृद्धि होने देना सही उपाय नहीं है। अधिक संक्रमण का मतलब और अधिक उत्परिवर्तित वायरसों के खतरे को बढ़ाना है। ऐसे में हल्के संक्रमण वाले लोगों में दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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