कई मामलों में देखा गया है कि कोविड-19 से उबरने के बाद भी लोग इसकी जांच में सार्स-कोव-2 पॉज़िटिव पाए गए। इससे यह लगता था कि या तो उनमें कोरोनावायरस का पुन: संक्रमण हुआ है या उनमें छुपा संक्रमण शेष था। लेकिन हाल ही में हुआ अध्ययन इसकी एक अलग व्याख्या करता है। अध्ययन के अनुसार, एचआईवी वायरस और अन्य रेट्रोवायरस की तरह कोरोनावायरस भी मनुष्य के गुणसूत्रों में अपना जेनेटिक कोड जोड़ जाता है, लेकिन पूरा जेनेटिक कोड नहीं बल्कि इसका सिर्फ कुछ हिस्सा। यदि मामला वास्तव में ऐसा है तो यह ठीक हो चुके व्यक्तियों में भी संक्रमण होने के झूठे संकेत देता रहेगा, और इससे कोविड-19 के उपचार के लिए किए जा रहे अध्ययनों के भ्रामक परिणाम मिलने की संभावनाएं भी हैं।
फिलहाल तो ये नतीजे पेट्रीडिश में अध्ययन से प्राप्त हुए हैं, लेकिन सार्स-कोव-2 से संक्रमित लोगों के जेनेटिक अनुक्रम का डैटा भी कुछ ऐसा ही दर्शाता है। हालांकि शोधकर्ता बताते हैं कि इसका कतई यह मतलब नहीं है कि सार्स-कोव-2 अपनी पूरी जेनेटिक सामग्री स्थायी रूप से मनुष्यों में छोड़ देता है जो लगातार वायरस की प्रतियां बनाती रहे, जैसा कि एड्स वायरस करता है। वास्तव में सभी वायरस यह करते हैं कि जिन कोशिकाओं को वे संक्रमित करते हैं उनमें अपनी जेनेटिक सामग्री भी डाल देते हैं। अलबत्ता, आम तौर पर यह सामग्री मेज़बान कोशिका के डीएनए से अलग ही रहती है।
एमआईटी के आणविक जीवविज्ञानी रुडोल्फ जैनिश की टीम ने देखा कि ठीक होने के बाद भी कई लोग सार्स-कोव-2 पॉज़िटिव पाए जा रहे थे। उन्हें लगा कि शायद पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) टेस्ट वायरस के छिन्न-भिन्न अवशेषों को वायरस की तरह पहचान रहा हो। PCR टेस्ट नाक में रूई के फाहे पर लिए गए नमूनों में वायरस के अनुक्रम की पहचान करता है।
यह संभावना जांचने के लिए कि क्या सार्स-कोव-2 का आरएनए-जीनोम हमारे गुणसूत्र के डीएनए से जुड़ सकता सकता है, शोधकर्ताओं ने मानव कोशिकाओं में ऐसा जीन (रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़, RT) जोड़ा जो आरएनए को डीएनए में परिवर्तित कर देता है। फिर इन कोशिकाओं को सार्स-कोव-2 वायरस के साथ संवर्धित किया। एक प्रयोग में उन्होंने एचआईवी के RT जीन का उपयोग किया। अन्य प्रयोग में उन्होंने मानव डीएनए अनुक्रमों (LINE-1) का उपयोग करके रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन किया। बायोआर्काइव्स में प्रकाशित पर्चे में बताया गया है कि दोनों ही प्रयोगों में कोशिकाओं में सार्स-कोव-2 आरएनए का कुछ हिस्सा डीएनए में परिवर्तित हो गया था और मानव गुणसूत्र में जुड़ गया था।
तो यदि किसी में LINE-1 स्वाभाविक रूप से कोशिकाओं में सक्रिय है तो कोविड-19 से संक्रमित लोगों में सार्स-कोव-2 का आरएनए जुड़ सकता है। ऐसा उन लोगों में भी हो सकता है जो सार्स-कोव-2 और एचआइवी, दोनों से एक साथ संक्रमित हैं। दोनों ही स्थितियां यह संभावना जताती हैं कि कोविड-19 से उबर चुके लोगों में PCR टेस्ट कोरोनोवायरस की जेनेटिक सामग्री के यही अवशेष पहचान रहा होगा।
चूंकि सार्स-कोव-2 के जीनोम का सिर्फ कुछ हिस्सा ही जुड़ता है इसलिए इससे संक्रमण होने या फैलने जैसा कोई खतरा नहीं है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि लोगों में जिन कोशिकाएं में यह प्रक्रिया होती है, वे कोशिकाएं लंबे समय तक जीवित रहती हैं या मर जाती हैं? अध्ययन पर कई प्रश्न हैं। जैसे रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन प्रयोगशाला की अनुकूल परिस्थितियों में तो हो सकता है लेकिन क्या वास्तविक परिस्थिति में भी ऐसा हो सकता है। जैनिश इन सवालों पर अनुसंधान कार्य कर रहे हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.sciencemag.org/sites/default/files/styles/article_main_image_-1280w__no_aspect/public/covidsna121620_0.jpg?itok=V7C2GL8h