नए साल में सार्स-कोव-2 का नया संस्करण, ए.1.1.7, वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। पिछले महीने दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड में पहली बार पहचाना गया यह संस्करण संभवत: इस महामारी को एक भयावह रूप में आगे बढ़ा सकता है।
वेलकम ट्रस्ट के प्रमुख जेरेमी फेरार चिंता जताते हैं कि अधिक तेज़ी से फैलने की क्षमता के कारण शायद ए.1.1.7 संस्करण विश्व स्तर पर इस महामारी का प्रमुख संस्करण बन जाएगा। उनको लगता है कि यह बीमारी की एक खतरनाक लहर पैदा करेगा। साल 2020 में थोड़ा अंदाज़ा मिलने लगा था कि यह महामारी किस दिशा में आगे बढ़ेगी लेकिन वायरस के इस नए संस्करण के फैलने से अब इस बारे में ठीक-ठीक कुछ कहना मुश्किल हो गया है।
इस चिंता ने कुछ देशों में टीके की मंज़ूरी प्रक्रिया या टीके देने के तरीके को निश्चित करने की चर्चा को गति दे दी है ताकि जल्द से जल्द अधिकाधिक लोगों को सुरक्षा दी जा सके। लेकिन जिस तरह नया संस्करण अन्य देशों में प्रवेश कर रहा है, वैज्ञानिकों ने देश की सरकारों को मौजूदा नियंत्रण उपायों को भी मज़बूत करने की सलाह दी है। यू.के. ने तो और भी सख्त प्रतिबंध लगाने की घोषणा भी कर दी है जिसमें स्कूलों को बंद रखने और अत्यावश्यक परिस्थितियों में ही लोगों को घर से बाहर निकलने की अपील की गई है। अलबत्ता, कई देश अभी इस तरह के कदम उठाने में हिचक रहे हैं।
प्रतिबंध लगाते समय यू.के. के प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह नया संस्करण 50-70 प्रतिशत अधिक तेज़ी से फैलता है, लेकिन शोधकर्ता इस बारे में कुछ भी कहने में सावधानी बरत रहे हैं। पिछले एक महीने में यू.के. में संक्रमण के मामले बढ़े तो हैं लेकिन देखा जाए तो मामले तब बढ़े हैं जब यू.के. के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न स्तर का प्रतिबंध लगा था, और लोगों के व्यवहार में बदलाव और क्रिसमस के समय क्षेत्रीय संक्रमण दर के कारण बनीजटिल स्थिति में नए संस्करण के प्रभाव को ठीक-ठीक पहचानना कठिन है।
फिर भी साक्ष्य बताते हैं कि ए.1.1.7 के स्पाइक प्रोटीन में हुए आठ परिवर्तनों सहित कई परिवर्तन इस वायरस की संक्रामकता को बढ़ाते हैं। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा किए गए एक विश्लेषण में पता चला है कि इंग्लैंड में ए.1.1.7 संस्करण से संक्रमित लोगों के संपर्क में आए कुल लोगों में से लगभग 15 प्रतिशत लोग कोविड-19 पॉज़िटिव पाए गए जबकि अन्य संस्करणों से संक्रमित लोगों के संपर्क में आए कुल लोगों में से 10 प्रतिशत लोग ही कोविड-19 पॉज़िटिव पाए गए।
जिन अन्य देशों में ए.1.1.7 संस्करण देखा गया है, यदि वहां भी इस संस्करण की लहर आती है तो यह इसका एक पुख्ता प्रमाण हो सकता है कि यह संस्करण तेज़ी से फैलता है। आयरलैंड में, जहां तेज़ी से संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, वहां डीएनए अनुक्रमित किए गए एक चौथाई मामलों में संक्रमण के लिए यही नया संस्करण ज़िम्मेदार पाया गया है। लेकिन युरोपीय संघ में सर्वाधिक अनुक्रमण करने वाले देश डेनमार्क ने अभी इस बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा है। यहां नियमित जांच में दर्जनों बार यह संस्करण दिखा है; दिसंबर की शुरुआत में अनुक्रमित जीनोम में इसकी आवृत्ति 0.2 प्रतिशत थी जो तीन सप्ताह बाद से 2.3 प्रतिशत हो गई। यदि अन्य देशों में भी मामले बढ़ने की प्रवृत्ति इसी तरह बनी रहती है तो यह एक स्पष्ट संकेत होगा कि यू.के. की तरह वहां भी इस संस्करण की लहर उभर सकती है जिसका सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए।
अब तक इस संदर्भ में कुछ साक्ष्य मिले हैं कि नया संस्करण लोगों को कम बीमार करता है लेकिन यह कोई तसल्ली की बात नहीं है। किसी वायरस की प्रसार क्षमता में वृद्धि उसकी घातकता में वृद्धि की तुलना में अधिक चिंताजनक है क्योंकि इसके प्रभाव तेज़ी से बढ़ते हैं। मसलन, यदि किसी रोग की मृत्यु दर एक प्रतिशत है और वह लोगों में अधिक तेज़ी से फैलता है जिससे अधिक लोग प्रभावित होते हैं तो इस स्थिति में अधिक लोग मरेंगे बनिस्बत उस स्थिति के जिसमें किसी रोग की मृत्यु दर तो दो प्रतिशत हो लेकिन फैलता कम हो।
यदि वास्तव यू.के. में वायरस की प्रसार दर में 50-75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तो वायरस को फैलने से रोकना बहुत कठिन होगा। संक्रमितों को अलग करके, उनके संपर्क में आए लोगों को पहचान कर क्वारेंटाइन करके और उनका परीक्षण करने जैसे उपाय कर वायरस की प्रसार दर को 2 से 1 पर लाया जा सकता है। लेकिन यदि मामले एक सीमा तक पहुंच जाते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक भार पड़ता है तो ये कदम नाकाम जाएंगे। यानी सख्त उपाय ही नए संस्करण के प्रसार को रोकने में मदद कर सकते हैं।
पहले ही सार्स-कोव-2 के कई संस्करण उभर चुके हैं। अब, संक्रमण फैलने से रोककर हम वायरस के लिए और अधिक विकसित होने के अवसर भी कम कर सकते हैं। वायरस में कोई उत्परिवर्तन टीकों की प्रभाविता को भी खतरे में डाल सकता है। महामारी के पहले जैसी दुनिया, दिनचर्या के अनुभव के लिए हमें इस वायरस को रोकना होगा। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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