जब बेन्डेड नेवलों की दो सेनाएं आमने-सामने आती हैं तो उनके बीच वैसा ही युद्ध होता है जैसा मानव प्रतिद्वंद्वियों के बीच होता है। अक्सर विजेता समूह हारने वाले समूह के अड़ियल नेवलों को घेरकर खून से लथपथ कर देते हैं। जब नर युद्धरत होते हैं, एक मादा नेवला चुपके से अपने बच्चों के जीन में विविधता तथा जीवित रहने की संभावना बढ़ाने के लिए दुश्मन गुट में से अपना प्रजनन साथी तलाश लेती है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक अफ्रीकी बेन्डेड नेवलों (मंगोस मंगो) के गुटों में आपसी संघर्ष आम घटना है। परंतु आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इन लड़ाइयों के पीछे एक मादा नेवला होती है। नेवलों के इस झगड़े में हमेशा मादा के दोनों हाथों में लड्डू होते हैं। एक तो नरों के कत्लेआम के चलते उनकी आबादी संतुलित रहती है। दूसरा, मादा को दुश्मन गुट के बहादुर नरों से प्रजनन करके बेहतर जीन्स प्राप्ति का फायदा मिलता है।
उपरोक्त नतीजे युगांडा के क्वीन एलिज़ाबेथ नेशनल पार्क में 20 वर्षों के अध्ययन से मिले हैं। सवाना में पाए जाने वाले बेन्डेड नेवले औसतन 20-20 सदस्यों के समूहों में रहते हैं जिनमें नर, मादा एवं बच्चे सम्मिलित होते हैं। इनका आवास भूमिगत सुरंगों में होता है जिसके बहुत से द्वार होते हैं। ये अपने मूल गुट में बने रहते हैं। निष्कासन अथवा सदस्यों की अधिक संख्या के कारण समूह के कुछ सदस्य नए गुट बनाते हैं। मूल गुट के साथ बने रहने से सदस्यों की सुरक्षा तो होती है किंतु एक ही समूह में प्रजनन होने के कारण आनुवंशिक विविधता की हानि होती है। ऐसे में गुट की मादाएं प्रजनन के लिए दूसरे गुटों के नरों की ओर आकर्षित होती हैं। अपनी प्रजाति और संतति के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए मादा अक्सर प्रतिद्वंद्वी समूहों के उपयुक्त नरों से प्रजनन करने के लिए अपने समूह के नरों को दूसरों के इलाके में ले जाकर युद्ध शुरू करवा देती है।
जब कोई मादा नेवला प्रजननशील होती है तो गुट के चौकीदार उसकी चौबीसों घंटे सुरक्षा करते हैं और गुट का प्रमुख नर ही उससे प्रजनन करता है। चौकीदारों की उपस्थिति में मादा का बाहरी गुट के नरों से प्रजनन करना असंभव होता है। ऐसी परिस्थितियों में चौकीदार नरों को दुश्मन गुट के इलाके में ले जाकर मादा उन्हें युद्ध में झोंक देती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रजननशील मादाएं गुट के फैसलों को नरों की तुलना में अधिक प्रभावित करती हैं। मादा के नरों के साथ इस अनुचित व्यवहार को वैज्ञानिक ‘शोषणमूलक नेतृत्व’ कहते हैं, जहां मादा को शायद ही कभी नुकसान होता है और कई बार बहुत सारे नर मारे जाते हैं। वयस्क नरों में से 10 प्रतिशत की मृत्यु अक्सर इसी प्रकार होती है। जैव विकास के नज़रिए से मादा की करतूत उचित लगती है। वैज्ञानिकों का आकलन है कि गुट के बाहर के नरों से उत्पन्न बच्चों के जीवित रहने की संभावना समूह के नरों से उत्पन्न बच्चों से अधिक होती है। अन्य किसी सामाजिक स्तनधारी में ऐसी घटना नहीं देखी गई है। प्लिस्टोसिन तथा होलोसिन युग के प्रारंभ में मानव की शिकारी आबादी में भी ‘शोषणमूलक नेतृत्व’ के कारण गुटीय युद्धों के दौरान 14-18 प्रतिशत नर मारे जाते थे। क्या अफ्रीकी बेन्डेड नेवले के समान मनुष्यों में भी शीर्ष नेतृत्व, बाकी समुदाय को युद्ध में भेजकर खुद सुरक्षित व फायदे में नहीं बना रहता?(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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