घुड़दौड़ काफी लोकप्रिय खेल है और इसमें पैसा भी खूब लगता है। रेस जीतने के लिए घुड़सवार (जॉकी) और प्रशिक्षक घोड़े की पिछली दौड़ों के डैटा, घोड़ों के दौड़ने की क्षमता, वर्षों के अनुभव और अपने एहसास पर निर्भर करते हैं। लेकिन हाल ही में पेरिस के स्कूल फॉर एडवांस्ड स्टडीज़ ऑफ सोशल साइंसेज की गणितज्ञ एमैंडाइन एफ्टेलियन ने घुड़दौड़ के लिए घोड़ों द्वारा खर्च की गई ऊर्जा का गणितीय मॉडल तैयार किया है। मॉडल के अनुसार छोटी दूरी की दौड़ जीतने के लिए शुरुआत तो तेज़ रफ्तार के साथ करनी चाहिए लेकिन आखिर में तेज़ दौड़ने के लिए ऊर्जा बचाकर रखनी चाहिए। उनका कहना है कि इस मॉडल की मदद से विभिन्न घोड़ों की क्षमता के मुताबिक उनके दौड़ने की रफ्तार बनाए रखने की रणनीति बनाई जा सकती है।
एफ्टेलियन 2013 से मनुष्यों की रेस के विश्व चैंपियन धावकों के प्रदर्शन का विश्लेषण कर रही थीं। उन्होंने देखा कि कम दूरी की दौड़ों में धावक तब जीतते हैं जब वे दौड़ की शुरुआत तेज़ रफ्तार से करते हैं और फिनिश लाइन की ओर बढ़ते हुए धीरे-धीरे अपनी रफ्तार कम करते जाते हैं। लेकिन मध्यम दूरी की दौड़ में धावक तब बेहतर प्रदर्शन करते हैं जब वे शुरुआत तेज़ रफ्तार से करते हैं, फिर स्थिर रफ्तार से दौड़ते हुए फिनिश लाइन की ओर बढ़ते हैं और फिनिश लाइन के करीब बहुत तेज़ दौड़ते हैं।
उन्होंने अपने मॉडल में दर्शाया था कि किस तरह जीतने की इन दो रणनीतियों में दो अलग-अलग तरीकों से मांसपेशियों को अधिकतम ऊर्जा मिलती हैं। पहली विधि एरोबिक है, जिसमें ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है और दौड़ के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित हो सकती है। दूसरी एनएरोबिक विधि है, जिसमें ऑक्सीजन की ज़रूरत तो नहीं होती लेकिन इस तरीके में ऐसे अपशिष्ट बनते हैं जिनसे थकान पैदा होती है।
एफ्टेलियन देखना चाहती थीं कि इनमें से कौन सी रणनीति घोड़ों के लिए बेहतर होगी। इसके लिए उनकी टीम ने फ्रेंच रेस के घोड़ों की काठियों (जीन) में लगे जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस से घोड़ों की वास्तविक गति और स्थिति का डैटा लिया और दर्जनों रेस के पैटर्न का अध्ययन किया। उन्होंने तीन तरह की दौड़ – 1300 मीटर की छोटी दौड़, 1900 मीटर की मध्यम दूरी दौड़, और 2100 मीटर की लंबी दौड़ – के लिए अलग-अलग मॉडल विकसित किए। मॉडल्स में दौड़ की अलग-अलग दूरियों के अलावा ट्रैक के घुमाव और उतार-चढ़ाव का भी ध्यान रखा।
प्लॉस वन में प्रकाशित परिणाम उन जॉकी को चकित कर सकते हैं जो आखिर में तेज़ दौड़कर रेस जीतने के लिए शुरुआत में घोड़े की रफ्तार पर काबू रखते हैं। मॉडल के अनुसार दौड़ की बेहतर शुरुआत बेहतर अंत देती है। लेकिन शुरू में बहुत तेज़ रफ्तार से अंत तक घोड़े निढाल भी हो सकते हैं।
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि जीत का मामला, प्रशिक्षक और जॉकी या घोड़ों की कद-काठी और एरोबिक क्षमता भर का नहीं है। घोड़ों का व्यवहार भी महत्वपूर्ण है। जब तक घोड़े के मनोवैज्ञानिक व्यवहार को मॉडलों में शामिल नहीं किया जाएगा, मॉडल सही प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे।
और सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या वास्तव में इन मॉडल्स की ज़रूरत है? घुड़दौड़ का असली मज़ा तो उसकी अनिश्चितता में ही है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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