जापान में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच विशेषज्ञों ने राष्ट्रव्यापी स्तर पर संक्रमण की रोकथाम के लिए क्लस्टर-बस्टिंग तकनीक अपनाई थी। अब लग रहा है कि शायद उस तरीके की सीमा आ चुकी है। जापानी स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार समिति के अनुसार इस तकनीक की मदद से अब महामारी को नियंत्रित नहीं रखा जा सकता है। यानी अब कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कोई अन्य शक्तिशाली कदम उठाना होगा।
गौरतलब है कि जापान में जन-स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से क्लस्टर-बस्टिंग (प्रसार के स्थानों को चिंहित करना) तकनीक को अपनाया गया था। इसमें संक्रमण के मूल स्रोत का पता लगाने के लिए उलटी दिशा में कांटेक्ट ट्रेसिंग की जाती है। यह तकनीक जापान में वायरस के प्रसार को रोकने में अब तक काफी प्रभावी रही है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर में परिस्थिति बदल चुकी है। अब क्लस्टर काफी फैल गए हैं और विविधता भी काफी अधिक है।
देखा जाए तो गर्मी के मौसम में दूसरी लहर के दौरान रात के मनोरंजन स्थलों पर सबसे अधिक क्लस्टर पाए गए थे। लेकिन अब ये क्लस्टर चिकित्सा संस्थानों, कार्यस्थलों और विदेशी बस्तियों सहित कई स्थानों पर पाए जा रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य-कर्मियों की कमी के कारण जन-स्वास्थ्य केंद्रों में वृद्ध लोगों की देखभाल को प्राथमिकता दी जा रही है। फिर भी जन-स्वास्थ्य केंद्रों का बोझ कम करने के लिहाज़ से विशेषज्ञों की मानें तो यह तकनीक अपनी अंतिम सीमा तक पहुंच चुकी है। वर्तमान स्थिति में राष्ट्र स्तर पर पांच दिनों तक रोज़ाना 2000 से अधिक मामले इस तकनीक की सीमा को उजागर करते हैं।
सलाहकार समिति के एक सदस्य के अनुसार क्लस्टर-बस्टिंग तकनीक का उपयोग केवल तब संभव है जब किसी क्षेत्र में संक्रमण व्यापक रूप से न फैला हो। लेकिन एक खास बात यह भी है कि ऐसे स्थानों को नियंत्रित करना भी मुश्किल होता है जहां आधे से अधिक मामलों में संक्रमण का मार्ग अज्ञात हो। ऐसे हालात में समिति का सुझाव है कि लंबी दूरी की यात्रा पर प्रतिबंध के साथ-साथ सरकार को महामारी नियंत्रित करने के लिए अन्य सख्त कदम उठाने चाहिए।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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