दुनिया भर के कई देश/शहर कोरोनावायरस की दूसरी लहर और एक के बाद एक लगते जा रहे दोबारा लॉकडाउन से गुज़र रहे हैं। संभवत: यह महामारी आने वाले कुछ महीनों या सालों तक बनी रहने वाली है। ऐसे में आर्थिक, सामाजिक और मनौवैज्ञानिक क्षति पहुंचाने वाली संपूर्ण तालाबंदी की बजाय अन्य प्रभावी और स्थायी विकल्प तलाशने की ज़रूरत है।
इस डिजिटल युग में दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा डैटा कोविड-19 के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है। विभिन्न स्रोतों से जुटाए गए डैटा की मदद से कोविड-19 के ‘सुपरस्प्रेडर स्थानों’ को पहचाना जा सकता है ताकि हम पूरे शहर या देश में तालाबंदी करने की बजाय, तालाबंदी की अन्य निभने योग्य रणनीति बना सकें या सिर्फ उन स्थानों की तालाबंदी करें जहां से कोविड-19 के फैलने की संभावना अधिक है।
लोगों की तरह कुछ स्थान भी अधिक संक्रमण फैलाने वाले ‘सुपरस्प्रेडर्स स्थान’ हो सकते हैं। शहरों में लगातार कुछ ना कुछ गतिविधि होती रहती है। जैसे शहरों से होकर लोग गुज़रते हैं, आते-जाते हैं, मिलते हैं। इसलिए शहर मानव संपर्क और बीमारी फैलाने के केंद्र होते हैं। छोटी-बड़ी हर तरह की बीमारी को फैलने से रोकने के प्रबंधन के लिए शहरों में लोगों की सामूहिक गतिविधियों की रूपरेखा और शहरों में लोगों के आने-जाने और शहरों से गुज़रने के पैटर्न को पहचानना-समझना ज़रूरी है।
अच्छी बात यह कि इन सुपरस्प्रेडर स्थानों की पहचान के लिए हमारे पास मानव आवागमन का काफी डैटा है। हांगकांग, पेरिस और सिंगापुर जैसे शहरों में बेहतर शहरी और आवागमन योजना के लिए पहले से ही परिवहन डैटा का व्यवस्थित तरीके से विश्लेषण किया जाता रहा है। और अब राइड-शेयरिंग सेवाओं, इंटरनेट से जुड़े डिवाइसेस (जैसे स्मार्ट लैम्पपोस्ट और स्मार्ट फोन) पर ट्रैफिक ऐप, और स्थान को टैग करती हुई सोशल मीडिया पोस्ट से मानव आवागमन के पैटर्न, सामूहिक गतिविधि और महामारी वाली जगहों को चिंहित करने में मदद मिल सकती है।
फिर इस डैटा को कोविड-19 के प्रसार के ताज़ा आंकड़ों के आधार पर प्रोसेस किया जा सकता है। कोविड-19 के कुछ प्रभावी कारक भी पहचाने गए हैं। जैसे, खुली जगहों पर मेलजोल छोटे, बंद कमरों में मेलजोल की तुलना में कम जोखिम भरा है। मास्क पहनने और सामाजिक दूरी रखने की कारगरता से तो सभी सहमत हैं। बहरहाल कोविड-19 के प्रसार और मानव संपर्क की हमारी टूटी-फूटी समझ संक्रमण के फैलाव का विस्तृत नक्शा बनाने में हमारी प्रमुख चुनौती है।
इसलिए नए प्रमाण इकट्ठे किए जा रहे हैं ताकि संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण की योजनाएं बनाने, उन्हें परिष्कृत और सटीक करने के लिए स्थानीय सरकार और स्वास्थ्य विभागों के पास जानकारी उपलब्ध हो। इसके अलावा, शहरों की मानव गतिविधि और सामाजिक संपर्क वाले स्थानों को पहचानने वाले अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ वित्त-पोषण भी ज़रूरी है। शहरों को ऐसे स्रोत भी बनाने चाहिए जो मानव गतिविधि का डैटा जुटा सकें। इसके अलावा शहरों को, इस डैटा का सामाजिक हित के अनुसंधान में उपयोग करने के लिए कानूनी और तकनीकी व्यवस्था भी बनानी चाहिए।
मानव आवागमन और संपर्क के डैटा को कोविड-19 के डैटा के साथ जोड़कर सुपरस्प्रेडर स्थानों को पहचानकर नियंत्रित किया जा सकता है, और असुरक्षित लोगों के लिए बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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