कुछ समय पहले दक्षिणी पेरू में 3925 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विल्माया पटजक्सा नामक पुरातात्विक स्थल पर युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के रैन्डी हास और उनके साथियों को छ: कब्रगाहों में लगभग 9000 साल पुराने मानव अवशेष मिले थे। इनमें से दो कब्रों में पत्थर के औज़ार मिले थे जो शिकार में उपयोग किए जाते थे। लेकिन इनमें से भी एक कब्र काफी दिलचस्प थी; इसमें पत्थर के 20 फेंककर इस्तेमाल करने वाले औज़ार और ब्लेड शव की जांघ के ऊपरी हिस्से के पास करीने से रखे हुए थे। ऐसा लगता था जैसे ये कमर पर किसी पाउच में रखे गए हैं। औज़ारों को देखकर लगता था कि शव किसी प्रमुख शिकारी का होगा। और मान लिया गया कि वह पुरुष ही रहा होगा।
लेकिन एरिज़ोना विश्वविद्यालय के जैव-पुरातत्वविद् जिम वाटसन ने गौर किया कि हड्डियां पतली और हल्की हैं, इस आधार पर उनका अनुमान था यह कोई महिला होगी। और अब हाल ही में हुआ अध्ययन इस अनुमान की पुष्टि करता है कि वास्तव में यह शव महिला का ही है।
अब तक यह माना जाता रहा है कि प्राचीन शिकारी-संग्रहकर्ता समूहों में शिकार का काम पुरुष किया करते थे और महिलाएं संग्रह किया करती थीं। और शायद ही कभी उनकी इस लैंगिक भूमिका में अदला-बदली हुई होगी। वर्तमान में मौजूद शिकारी-संग्रहकर्ता समूहों पर हुए अध्ययनों ने इस मान्यता को और भी पुख्ता किया था; जैसे वर्तमान तंजानिया के हदजा समूह और दक्षिणी अफ्रीका के सैन समूहों में पुरुष बड़े जानवरों का शिकार करते हैं और महिलाएं कंद, फल, मेवे और बीज इकट्ठा करती हैं। लेकिन साइंस एडवांसेस पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन इस मान्यता को चुनौती देता और बताता है कि हमेशा से महिलाएं शिकार में सक्षम थीं और वास्तव में करती भी थीं।
प्राप्त कंकालों के लिंग निर्धारण के लिए शोधकर्ताओं ने एक नई विधि का उपयोग किया। उन्होंने पता लगाया कि दांत के एनेमल में एमिलोजेनिन नामक प्रोटीन का नर संस्करण मौजूद है या मादा। पाया गया कि 20 औज़ारों के साथ दफन शव महिला का था जिसकी उम्र 17-19 वर्ष के बीच होगी, औज़ारों के साथ मिली दूसरी कब्र पुरुष की थी जिसकी उम्र 25-35 वर्ष के बीच होगी। महिला कंकाल के दांतों में कार्बन और नाइट्रोजन के समस्थानिकों के अध्ययन से पता चला कि उसका आहार विशिष्ट शिकारी आहार था।
इन नतीजों से प्रेरित होकर शोधकर्ताओं ने अमेरिका के अन्य 107 पुरातात्विक स्थलों की 14,000 से 8000 वर्ष पुरानी 429 कब्रों की पुन: जांच की। शिकार करने वाले औज़ारों के साथ 10 महिलाओं और 16 पुरुषों की कब्र मिलीं। यह मेटा-विश्लेषण बताता है कि शुरुआत में शिकारी होने का आधार लैंगिक नहीं था।
लेकिन कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि किसी व्यक्ति की कब्र में औज़ारों के मिलने का हमेशा यह मतलब नहीं होता कि वे उनका उपयोग भी करते होंगे, जैसे दो मादा शिशुओं की कब्र में भी औज़ार पाए गए थे। हो सकता है कि नर शिकारी अपना दुख व्यक्त करने के लिए औज़ार समर्पित करते हों।
बहरहाल, यह शोध जेंडर भूमिकाओं सम्बंधी विमर्श में नया आयाम तो जोड़ता ही है।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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